अमेरिका में महंगाई ने तोड़ा चार दशक का रिकॉर्ड, अर्थशास्त्रियों ने बताया कारण

punjabkesari.in Monday, Jan 24, 2022 - 12:26 PM (IST)

वॉशिंगटन: भारत ही नहीं  दुनिया के कई देश इस समय महंगाई की समस्या से जूझ रहे हैं। कोरोना महामारी से जूझ रहा अमेरिका मुद्रास्फीति  दर के बढ़ने से रिकार्ड तोड़ महंगाई  का सामना कर रहा है।अमेरिका में उपभोक्ता मूल्य महंगाई सूचकांक  दिसंबर 2021 में सात सदी से अधिक की सालाना दर से बढ़ा जो जून1982 के बाद सबसे अधिक है। ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स ने बुधवार को ये आंकड़े जारी किए। नवंबर में यह 6.8 फीसदी बढ़ी थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ती मांग और सप्लाई की कमी के कारण देश में महंगाई बढ़ रही है।

 

अमेरिकी सेंट्रल बैंक इस साल ब्याज दरों में बढ़ोतरी सकता है। उधारी लागत में बढ़ोतरी से खरीदारी महंगी हो जाएगी। अमेरिका में लगातार तीसरे महीने सालाना महंगाई 6 फीसदी से अधिक गति से बढ़ी है। यह फेडरल रिजर्व के महंगाई के 2% के टारगेट से तीन गुना ज्यादा है। राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार का कहना है कि  एशिया में कारखानों के बंद होने और समुद्र के रास्ते माल भेजने में कठिनाइयों के कारण दुनिया भर में कीमतें बढ़ गई हैं। व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना है कि यूरोप सहित अन्य देशों में कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रही हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार की नीतियों कारण अमेरिका में महंगाई ने 4 दशकों यानि 40 साल का  रिकार्ड तोड़ दिया है।

 

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महामारी के बीच उपभोक्ता सरकारी नकद सहायता पर भारी खर्च कर रहे हैं। उनका मानना ​​​​है कि वैश्विक रुझानों ने भी मुद्रास्फीति को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक अर्थशास्त्री क्रिस्टीन फोर्ब्स का कहना है कि कीमतों में वृद्धि के लिए वैश्विक कारक जिम्मेदार हैं, लेकिन घरेलू मांग भी महत्वपूर्ण है। मुद्रास्फीति से निपटने के लिए सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और विदेशों से आपूर्ति की स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाए हैं।

 

अमेरिका वर्तमान में दुनिया भर से उपभोक्ता वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है। जहाज बंदरगाहों पर फंसे हुए हैं।   अमेरिका में मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ी है। पिछले साल, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक सात प्रतिशत बढ़ा था। 1982 के बाद यह सबसे तेज वृद्धि है। राष्ट्रपति बाइडेन ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुद्रास्फीति आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से जुड़ी है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने पिछले साल मार्च में बाइडेन सरकार के 14 लाख करोड़ रुपये के पैकेज पर सवाल उठाया है।

 

उन्होंने तर्क दिया कि प्रत्येक परिवार को एक लाख रुपये से अधिक की नकद सहायता देने से उपभोक्ता मांग और मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है। भारत, बासेल और कुछ यूरोपीय देशों में आपूर्ति श्रृंखला में गड़बड़ी के कारण मुद्रास्फीति बढ़ रही है। बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, यूके और कनाडा दोनों में कीमतें 30 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। यूरोपीय संघ (ईयू) में मुद्रास्फीति दिसंबर में सालाना आधार पर 5 फीसदी थी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका में विकास दर 6% बढ़ जाएगी। 2022 में इसके 5.2 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।

 


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Content Writer

Tanuja

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