रिपोर्ट में दावाः फेसबुक विज्ञापनों ने बढ़ाया लिंग-जाति और उम्र आधारित भेदभाव
punjabkesari.in Sunday, Oct 03, 2021 - 03:40 PM (IST)
मेलबर्न: मोनाश विश्वविद्यालय से मार्क आंद्रेजेविक, क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से अब्दुल करीम ओबेद, डैनियल एंगस और जीन बर्गेस की एक रिपोर्ट में बताया गया कि सोशल मीडिया मंच ने ऑनलाइन विज्ञापनों के तौर तरीकों को बदल दिया है साथ ही भेदभाव के नये तरीकों और विपणन के ढंग ने भी नयी चिंताओं को जन्म दिया है। ऑस्ट्रेलिया में RMIT के नेतृत्व में एक बहु-विश्वविद्यालय इकाई ARC सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ऑटोमेटेड डिसीजन मेकिंग एंड सोसाइटी (MDM plus S) विज्ञापन वेधशाला आरंभ की गई है। इस शोध परियोजना से यह पता लगाया जाएगा कि कैसे सोशल मीडिया मंच विज्ञापनों के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया के उपयोगकर्ताओं तक पहुंचते हैं।
इसका लक्ष्य ऑनलाइन विज्ञापन में सार्वजनिक पारदर्शिता की आवश्यकता के बारे में बातचीत को बढ़ावा देना है। ‘डार्क एड' के खतरे मास मीडिया के युग में विज्ञापन (अधिकांश भाग के लिए) सार्वजनिक थे। इसका मतलब था कि यह जांच के लिए भी खुले थे। जब विज्ञापनदाताओं ने अवैध या गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया, तो परिणाम सबके सामने थे। विज्ञापन का इतिहास गैर-जिम्मेदार व्यवहार से भरा हुआ है। हमने देखा है कि तंबाकू और अल्कोहल (शराब) कंपनियां महिलाओं, कम उम्र के लोगों और सामाजिक रूप से वंचित समुदायों को किस प्रकार से लक्षित करती हैं। हमने इनमें लैंगिक और नस्ल को निशाना बनाते देखा है।
हाल में गलत सूचना का प्रसार एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। जब ये चीजें खुले तौर पर होती हैं तो मीडिया के प्रहरी, नागरिक और नियामक उस पर प्रतिवाद कर सकते हैं,वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन विज्ञापन जो खास लोगों के लिए बनाए जाते है और उनके निजी उपकरणों पर साझा किए जाते है, उनकी जनता के प्रति जवाबदेही कम हुई है। ये तथाकथित ‘डार्क एड' केवल लक्षित उपयोगकर्ता को दिखते हैं। उनका पता लगाना कठिन होता है क्योंकि विज्ञापन कुछ ही समय तक दिखने के बाद गायब हो जाता है। साथ ही उपयोगकर्ता को यह नहीं पता होता है कि वे जिस विज्ञापन को देख रहे हैं क्या वे दूसरों को दिखाए जा रहे हैं।
विज्ञापनों के साथ उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने के लिए फेसबुक द्वारा नियोजित स्वचालित प्रणालियों के साथ-साथ विज्ञापनदाताओं को प्रदान की जाने वाली सिफारिशों में पारदर्शिता की कमी है। मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट में ऑस्ट्रेलिया के तीन चौथाई उपयोगकर्ताओं ने कहा है कि फेसबुक को अधिक पारदर्शी होना चाहिए। फेसबुक की ऑनलाइन विज्ञापन लाइब्रेरी अपने लक्षित विज्ञापन व्यवहारों में कुछ स्तर की दृश्यता प्रदान करती है, लेकिन यह व्यापक नहीं है।