EU ने पाकिस्तान के कठोर ईशनिंदा कानूनों पर जताई चिंता, भड़क गया PAK

punjabkesari.in Saturday, May 01, 2021 - 03:08 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः यूरोपीय संघ (EU) ने पाकिस्तान के कठोर ईश निंदा कानूनों पर चिंता जताई है। यूरोपीय संघ का कहना है कि पाकिस्तान में कठोर ईश निंदा कानून का “विरोधियों और उनके रक्षकों को चुप कराने और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने के लिए अक्सर दुरुपयोग किया जाता है और यह अहमदी मुसलमानों  के लिए सबसे अधिक बड़ा खतरा है। यूरोपीय संसद ने अपने नवीनतम सत्र में पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के लिए जगह देने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव रखा और यूरोपीय संघ के अधिकारियों से आग्रह किया कि जीएसपी (वरीयताओं की सामान्यीकृत योजना) की समीक्षा करें और पाकिस्तान के खिलाफ ईशनिंदा मामलों की बढ़ती संख्या के बीच स्थिति का पता लगाएं।

 

यूरोपीय संसद ने इस्लामाबाद से 2014 से मौत की सजा पर रखे  लकवाग्रस्त  ईसाई दंपति शगुफ्ता कौसर और उनके पति शफाकत इमैनुएल को  मुक्त करने की अपील की है। दोनों को इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का दोषी ठहराया गया था। कौसर और इमैनुएल को 2013 में पूर्वी पंजाब प्रांत के एक स्थानीय मौलवी को निन्दात्मक संदेश भेजने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। दोनों को 2014 में मौत की सजा देने की कोशिश की गई थी। तब से उनकी अपीलें लाहौर उच्च न्यायालय में लंबित हैं।

 

इस बीच पाकिस्तान ने शुक्रवार को यूरोपीय संसद के एक कदम को रोक दिया, जिसने एक दिन पहले इस्लामाबाद को धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए स्वतंत्रता की अनुमति देने के प्रस्ताव को अपनाया था और यूरोपीय संघ को दक्षिण एशियाई देश की तरजीही व्यापार स्थिति पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था।  बता दें कि पाकिस्तान के ईश निंदा कानूनों के तहत, इस्लाम का अपमान करने के आरोपी किसी को भी दोषी पाए जाने पर मौत की सजा दी जा सकती है।

 

यूरोपीय संसद का मानना है कि सिर्फ ईश निंदा का आरोप दंगे का कारण बन सकता है और हिंसा और हत्याओं के लिए भीड़ को उकसा सकता है। उधर, इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय ने  एक बयान जारी करते हुए यूरोपीय प्रस्ताव पर सरकार की निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह “पाकिस्तान में ईश निंदा कानूनों और संबंधित धार्मिक संवेदनशीलता के संदर्भ में समझ की कमी को दर्शाता है ।

 

 

 


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Content Writer

Tanuja

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