ब्रिटेन: अमीरों का आयकर कम करने का प्रस्ताव रद्द

punjabkesari.in Monday, Oct 03, 2022 - 03:15 PM (IST)

ब्रिटेन की नई सरकार अमीरों पर लगने वाले 45 प्रतिशत आयकर को हटाना चाह रही थी, लेकिन भारी विरोध के बाद सरकार ने अपने कदम को वापस लेने का और आयकर को बनाए रखना का फैसला किया है.ब्रिटेन की सरकार का यह प्रस्ताव कटौतियों के उस पैकेज का हिस्सा था जिसकी वजह से बाजार में उथल पुथल हो गई थी और पाउंड की कीमत भी गिर गई थी. प्रस्ताव के तहत सालाना 1,50,000 पाउंड से ज्यादा कमाने वालों के लिए अभी तक लागू 45 प्रतिशत आयकर को खत्म कर दिया जाना था. सरकार अपनी योजना पर आगे भी बढ़ रही थी लेकिन वित्त मंत्री क्वासि क्वारटेंग ने नाटकीय ढंग से ऐसा न करने की घोषणा कर दी है. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, "हम समझ गए और हमने आपकी बात सुन ली है. स्पष्ट है कि 45 प्रतिशत टैक्स दर को हटाना देश की चुनौतियों का सामना करने के हमारे बड़े मिशन से ध्यान भटका रहा है." यह यू-टर्न सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों द्वारा सरकार के प्रस्ताव का विरोध करने के 10 दिनों बाद आया. घोषणा के कुछ ही घंटे पहले पार्टी के सदस्यों ने उस भाषण के कुछ हिस्से सार्वजनिक कर दिए जो क्वारटेंग बिर्मिंघम में पार्टी के सालाना सम्मलेन मेंदेने वाले थे. एक महीने में बड़े विवाद क्वारटेंग कहने वाले थे, "हमें इस पर अंत तक बने रहना होगा. मुझे विश्वास है कि हमारी योजना सही है." प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने भी रविवार को इन कदमों का समर्थन किया था, लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि वो इन घोषणाओं के लिए "और बेहतर तरीके से जमीन तैयार कर सकती थीं." ट्रस को पद संभाले हुए एक महीना भी नहीं हुआ है. उन्होंने सालों से धीमे विकास की राह पर चल रही ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को मौलिक रूप से बदलने का वादा किया था. लेकिन 23 सितंबर को सरकार ने एक स्टिमुलस पैकेज की घोषणा की और उसके बाद पाउंड डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर तक लुढ़क गया. बॉन्ड बाजार का स्तर बनाए रखने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड को हस्तक्षेप करना पड़ा. लेकिन इसके साथ लोगों को यह डर भी सताने लगा कि बैंक जल्द की ब्याज दरें भी बढ़ाएगा. इस वजह से कर्ज देने वाली संस्थाओं ने अपनी सबसे सस्ती डीलों को वापस ले लिया और फिर मकान खरीदने वालों के बीच हड़कंप मच गया. जनता में और पार्टी के अंदर नाराजगी ये कटौतियां अलोकप्रिय रही. यहां तक कि पार्टी के अंदर भी इन्हें पसंद नहीं किया गया. जब ऊर्जा के बढ़े हुए दामों की वजह से करोड़ों लोग वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं ऐसे में सबसे ज्यादा कमाने वालों का टैक्स कम करने और बैंकरों के बोनस पर सीमा को हटाने के कदमों को राजनीतिक रूप से घातक कदम के रूप में देखा गया. ट्रस और क्वारटेंग का मानना है कि उनकी योजना अर्थव्यवस्था को विकसित करेगी और आगे चल कर टैक्स से राजस्व बढ़ेगा, जिससे इन कटौतियों का बोझ उठाने की कीमत की भरपाई हो जाएगी. लेकिन दोनों ने यह संकेत भी दिया है कि सरकारी खर्च में कटौती करनी होगी. क्वारटेंग ने ताजा बयान में कहा कि सरकार अपने दूसरे टैक्स प्रस्तावों पर कायम है. इनमें अगले साल आय कर की मूल दर में कटौती और पिछली सरकार द्वारा लाई गई कारपोरेशन टैक्स में बढ़ोतरी को पलट देना शामिल हैं. क्वारटेंग की घोषणा के बाद पाउंड लगभग 1.12 तक आ गया, जो 23 सितंबर की घोषणाओं से पहले के स्तर के आस पास है. सीके/एए (एपी)

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