रूस को इस साल ऊर्जा बेच कर हुई और ज्यादा कमाई
punjabkesari.in Thursday, Aug 18, 2022 - 02:37 PM (IST)
तेल के निर्यात और गैस की कीमतें बढ़ने के कारण इस साल रूस की कमाई पिछले साल के मुकाबले करीब 38 फीसदी ज्यादा रहेगी. इस कमाई से रूस पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के कारण हुए नुकसान की कुछ भरपाई कर सकेगा.रूस के वित्त मंत्रालय के दस्तावेजों से न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को मिली जानकारी के मुताबिक इस साल उसे ऊर्जा के निर्यात से करीब 337.5 अरब डॉलर की कमाई होने का अनुमान है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस पैसे से सैन्य खर्च करने या फिर तनख्वाह और पेंशन में इजाफा करने के लिए काफी धन मिल जायेगा. मंदी और महंगाई की मार झेल रही है अर्थव्यवस्था में वह लोगों को थोड़ी राहत देने के उपाय कर सकते हैं.
प्रतिबंधों के असर की भरपाई
हालांकि इस कमाई से वो अर्थअव्यवस्था को हो रहे नुकसान के कुछ हिस्से की ही भरपाई कर सकेंगे. जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के सीनियर एसोसियेट यानिस क्लुगे का कहना है, "रूस की अर्थव्यवस्था पर प्रतिबंधों का असर अलग अलग रहा है, कार उद्योग जैसे सेक्टरों के लिये यह किसी तबाही जैसा है. तेल क्षेत्र तुलनात्मक रूप से अब तक इस मामले में अनछुआ है."
कार के अलावा आईटी और फाइनेंस दो और ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर काफी बुरा असर पड़ा है. क्लुगे का कहना है, "इन क्षेत्रों का पश्चिम के साथ मजबूत संबंध था और इसलिये इन्हें सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है."
अनुमान जताया गया है कि रूसी गैस निर्यात की औसत कीमत इस साल दोगुनी हो कर प्रति एक हजार क्यूबिक मीटर के लिए 730 डॉलर रहेगी. इसके बाद यह साल 2025 के आखिर में धीरे धीरे नीचे जायेगी.
यह भी पढ़ेंः भारतीय कंपनियों ने निकाली रूस के कारोबार की जुगत
गैस निर्यात में कमी
रूस यूरोप में गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद रूसी गैस की एक पाइपलाइन तो पूरी तरह बंद कर दी गई जबकि दूसरी पाइपलाइन से सप्लाई में काफी कटौती हुई है. कुछ यूरोपीय देशों ने रूस के रूबल में भुगतान करने की शर्त मानने से मना कर दिया है. इसके अलावा रूस से जर्मनी गैस की सप्लाई करने वाले नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन में एक टरबाइन की मरम्मत को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है.
रूस के आर्थिक मंत्रालय से मिले दस्तावेज बता रहे हैं कि रूसी निर्यातक गाजप्रोम की गैस सप्लाई इस साल घट कर 170.4 अरब क्यूबिक मीटर रह जायेगी इससे पहले मई में इसके 185 अरब क्यूबिक मीटर रहने का अनुमान लगाया गया था. 2021 में यह 205.6 अरब क्यूबिक मीटर था.
इन सबके नतीजे में गैस की कीमतें काफी ज्यादा बढ़ गई हैं. मंत्रालय के दस्तावेजों से पता चलता है कि ऊर्जा का निर्यात अगले साल घट कर 255.8 अरब डॉलर तक जायेगा हालांकि यह फिर भी 2021 के 244.2 अरब डॉलर से ज्यादा रहेगा. मंत्रालय ने इस मामले में पूछे सवालों का जवाब नहीं दिया है.
गैस की कीमत बढ़ने का असर यूरोप की अर्थव्यवस्था पर काफी ज्यादा बढ़ा है. यहां इस साल सर्दियों में ऊर्जा का कोटा तय करने का खतरा मंडरा रहा है, दूसरी तरफ महंगाई कई दशकों के सबसे ऊंचे स्तर पर चली गई है.
तेल का उत्पादन बढ़ा
रूस इस बीच तेल का उत्पादन बढ़ा रहा है. प्रतिबंधों के बाद कईएशियाई देशों ने रूस से तेल की खरीदारी बढ़ादी है. गाजप्रोम चीन को गैस की सप्लाई बढ़ाने की तैयारी में भी है लेकिन इसका अभी ब्यौरा नहीं मिला है.
कुल मिला कर जिस तरह से प्रतिबंधों का असर रहने की कल्पना की गई थी उसके मुकाबले रूस बेहतर ढंग से इनसे निपट रहा है. रूस की अर्थव्यवस्था भी उतनी नहीं सिकुड़ी है जितनी आशंका जताई गई थी. खुद रूसी आर्थिक मंत्रालय ने चेतावनी दी थी कि यह 12 फीसदी तक सिकुड़ सकती है. अगर ऐसा होता तो सोवियत संघ के विघटन और 1990 के दशक में भारी आर्थिक संकट के बाद यह सबसे बुरी स्थिति होती. हालांकि मंत्रालय के मुताबिक इस साल जीडीपी में 4.2 फीसदी की गिरावट आने का अंदेशा है साथ ही वास्तविक आय में 2.8 फीसदी की कमी होगी.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स)
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे DW फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे DW फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।