फिनलैंड के लोगों को परमाणु कचरे से डर नहीं लगता?

punjabkesari.in Friday, Aug 12, 2022 - 08:00 PM (IST)

पूरी दुनिया में परमाणु कचरे से लोग डरते और उसे डंप करने की जगहों का विरोध करते हैं लेकिन फिनलैंड के लोग इन्हें गले लगा रहे हैं. क्या इन लोगों को परमाणु हादसों का डर नहीं है?दुनिया के ज्यादातर हिस्से में यह सोच पाना मुश्किल है कि कोई परमाणु कचरे के आस पास रहना चाहेगा.हालांकि पश्चिमी फिनलैंड के यूरायोकी शहर में ऐसी कोई बात नहीं है. वास्तव में यहां कि म्युनिसिपल्टी ने तो दूसरे शहरों के खिलाफ बकायदा अभियान चलाया है जिससे कि अपने यहां परमाणु कचरा डंप करने की जगह बनाई जा सके. यहां के मौजूदा ओल्किलुओटो न्यूक्लियर पावर प्लांट के बगल में ही परमाणु कचरा डालने की जगह बनाई गई है. अधिकारी यह जान चुके हैं कि इस इलाके में लोगों का समर्थन भी है और साथ ही बेकार हो चुके परमाणु ईंधन को डंप करने के लिये जगह भी जो जमीन से करीब आधा किलोमीटर नीचे होगा. फिनलैंड वासियों को कोई चिंता नहीं? मेयर वेसा लानीयेमी बताते हैं कि तीन रियेक्टरों और एक कचरा भंडार होने की वजह से यहां के निवासियों को लंबे समय से सुरक्षा मिलती रही है. इस भंडार का नाम है ओंकालो जिसका मतलब है गहरी गुफा. परमाणु केंद्रों से रियल स्टेट टैक्स के रूप में म्युनिसिपल्टी को हर साल 2 करोड़ यूरो मिलते हैं जो उसकी कमाई का करीब आधा है. लाकानियेमी ने कहा, "इस तरह से हम अपने भविष्य के निवेश की योजना बान सकते हैं." वो उस स्कूल की तरफ इशारा करते हैं जो सिटी हॉल के ठीक पीछे है और जिसे नया रंग रूप दिया गया है इसके साथ ही पार्किंग लॉ के साथ एक विशाल नई लाइब्रेरी बनाई गई है. इनके अलावा करीब 8 करोड़ यूरो खर्च करके स्पोर्ट्स स्टेडियम तैयार हो रहा है. लाकनियेमी ने कहा, "जब आपके पास नियमित आय हो तो इस तरह के भविष्य के निवेश की योजना बनाना आसान है. निश्चित रूप से यह हमारे लिये बहुत बड़ी चीज है जिससे हम अपने निवासियों के लिये बहुत अच्छी सेवायें मुहैया करा सकते हैं, स्कूल और स्वास्थ्य सेवायें बेहतर कर सकते हैं." यह भी पढ़ेंः रेडियोधर्मी कचरे का जीवनकाल कैसे घटे? लाकानियेमी ध्यान दिलाते हैं कि फिनलैंड के नागरिकों की एक विशेषता है कि वो अधिकारियों पर काफी ज्यादा भरोसा करते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह भरोसा अधिकारियों ने पिछले चार दशकों में बिना किसी समस्या के परमाणु संयंत्र का प्रबंधन करके अर्जित की है. अधिकारी लगातार यहां के निवासियों के संपर्क में रहते हैं. उन्होंने याद दिलाया कि इस डंपिंग साइट की योजना दो दशक पहले बननी शुरू हुई लेकिन इसके लिये नेताओं से पहले स्थानीय लोगों से बातचीत शुरू की गयी. पहले इस इलाके वैज्ञानिकों और इंजीनियरों और विशेषज्ञों यह पता लगाया कि कचरे की डंपिंग को सुरक्षित कैसे बनाया जायेगा. इसके बाद राजनेताओं और फैसले करने वालों से बात की गई और मुझे लगता है कि इसे करने का सबसे सही तरीका यही है. समय की परीक्षा योहाना हानसेन उन्हीं वैज्ञानिकों में से एक हैं. ओंकालो के कचरा प्रबंधन से जुड़ी कंपनी पोसिवा के साथ वो जियोलॉजिस्ट के रूप में काम करती हैं. उन्होंने अपनी आधी जिंदगी इसी प्रोजेक्ट पर काम करते बिताई है. ओकालो की गहरी सुरंगों में हानसेन कई बार गई हैं और वो बताती हैं कि अंदर की चट्टानें 2 अरब साल पुरानी हैं और इससे इनकी स्थिरता का पता चलता है. इसी वजह से इस जगह को परमाणु कचरा डंप करने के लिये उचित माना गया. फिनलैंड के दो बिजली घरों से इस्तेमाल हो चुके परमाणु ईंधन को इस जगह लाया जायेगा और उसे बाद उन्हें स्टील के कनस्तरों में जमीन के ऊपर मौजूद केंद्र में डाला जायेगा. इसके बाद इन्हें जस्ते के कैप्सुल में पैक कर जमीन के भीतर बनायी सुरक्षित जगहों तक पहुंचाया जायेगा. नीचे इन्हें बेंटोनाइट में पैक किया जायेगा और उसके बाद सुरंग को पीछे से भर कर सील कर दिया जायेगा. यह भी पढ़ेंः कहां रखे जर्मनी परमाणु कचरा हानसेन ने बताया कि यह सिस्टम चालू होने के लिये लगभग तैयार है और उसे लेकर लोगों में काफी भरोसा है. अगले कुछ सालों में इसका परीक्षण कर यह "सुनिश्चित किया जायेगा कि भविष्य में भी इस कचरे के सतह पर आने की कोई गुंजाइश ना रहे. यहां कनस्तरों को दस हजार साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा." जाहिर तौर पर गर्व से भरी हानसेन कहती हैं, "निश्चित रूप से यह देखना अच्छा लगता है कि इस तरीके से फिनलैंड दूसरे देशों के सामने उदाहरण बन सकता है." यूरोपीय संघ का प्रोत्साहन अब आखिरकार दूसरे कई देश भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि यूरोपीय संघ ने परमाणु ऊर्जा को "हरित ईंधन" का दर्जा दे दिया है और साथ ही वह रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता को घटना चाहता है. पोसिवा की संचार प्रमुख पासी तुओहिमा कहती हैं कि यूरोपीय संघ का फैसला देशों के लिये परमाणु ऊर्जा के बारे में उनका नजरिया बदलने के लिहाज से अहम साबित हुआ है. कचरे के लिये सुरक्षित और स्थायी समाधान ने भी इसके लिये उनमें सहमति बढ़ाई है. स्वीडन ने इसी साल की शुरुआत में ओंकालो के सिद्धांत पर ही एक जगह बनाने का फैसला किया है. तुओहिमा को उम्मीद है कि जर्मनी समेत दूसरे देश भी जल्दी ही इस राह पर चलेंगे. तुओहिमा ने कहा कि निश्चित रूप से घरेलू स्तर पर यह कई दशकों से आसान बना हुआ है, "(फिनलैंड के) पर्यावरणवादी पहले से ही परमाणु ऊर्जा के समर्थन में हैं, जो एक बड़ी बात है." फिनलैंडवासियों के लिये डर नहीं मजा फिनलैंड के लोग इससे डरने की बजाय इसका मजा लेते हैं. ओल्किलुओटो पावर प्लांट का दौरा करने बड़ी संख्या में लोग आते हैं. हेली ब्लोमरूस के परिवार का गर्मियों वाला घर प्लांट के पास ही हैं. वो अपने छोटे बच्चे जुहो को यहां लेकर आती हैं. उन्हें उम्मीद है कि इससे उसमें दिलचस्पी जगेगी और एक दिन वह परमाणु उद्योग में अपना करियर बनायेगा. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात की चिंता नहीं होती कि इससे पर्यावरण को नुकसान होगा तो उनका कहना था कि यह कभी नहीं हुआ- "नहीं, कभी नहीं." ब्लोमरूस को पूरा भरोसा है कि अधिकारियों ने सभी जरूरी सावधानियां बरती होंगी. वो कहती हैं, "मैं अपने देश के नागरिकों पर भरोसा करती हूं. वो इस मामले में पेशेवर हैं, वो इसे सुरक्षित तरीके से कर सकते हैं. यह दुनिया का पहला है तो यह शानदार है."

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