चीन में कूलिंग-ऑफ नियम से चमत्कार ! तलाक के 72% मामलों में आई कमी
punjabkesari.in Saturday, May 22, 2021 - 04:15 PM (IST)
बीजिंगः चीन में कूलिंग-ऑफ नियम ने चमत्कारिक असर दिखाया है। इस नियम के कारण तलाक के मामलों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2021 की पहली तिमाही में 2.96 लाख तलाक के मामले पंजीकृत हुए। जबकि पिछले साल अंतिम तिमाही में 10 लाख 60 हजार तलाक के मामले पंजीकृत किए गए थे। यानी इस साल 72 फीसदी की गिरावट आई है। कहा जा रहा है कि ‘कूल-ऑफ’ नियम के चलते तलाक के मामले कम हुए हैं।
दरअसल, चीन में 1 जनवरी 2021 से सिविल कोड लागू किया गया जिसे मई में संसद से मंजूरी मिल गई थी। इस कानून को चीन में तलाक के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए जोड़ा गया है। इसके तहत अब पति-पत्नी को तलाक की अर्जी देने के एक महीने तक ‘कूल-ऑफ’ अवधि बितानी होगी। अगर इस दौरान दोनों में से किसी का भी मन बदलता है तो वो अपनी अर्जी वापस ले सकते हैं। इससे पहले तलाक की अर्जी लगाते ही पति-पत्नी को तलाक मिल जाया करता था। हालांकि, देश में इसे लागू किए जाने पर सरकार को विरोध का सामना करना पड़ा।
इसे निजी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप, और जबरन लोगों को ऐसे रिश्ते में बांधने की कोशिश बताई जा रही थी, जिससे वो खुश नहीं है। लेकिन राज्य में कई लोगों ने इसे पारिवारिक मजबूती और सामाजिक स्थिरता के लिए बेहतर भी बताया है। ऑल चाइना वुमेन फेडरेशन के मुताबिक, बीते सालों में चीन में तलाक के मामले बढ़े हैं। इसकी एक वजह महिलाओं की स्वायत्ता को बढ़ावा देने और दूसरी वजह तलाक को धब्बे के तौर पर न देखा जाना है। इस तरह के तलाक के मामलों में 70% से ज्यादा में पहल करने वाली पत्नियां हैं।
इस चलन ने कई नीति निर्माताओं को सचेत किया और नागरिक मामलों से जुड़े मंत्रालय के अधिकारी यांग जोंगताओ ने पिछले साल एक कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ‘शादी और प्रजनन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर शादी की दर में गिरावट होती है तो जन्मदर खुद ब खुद कम होगी। जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी असर पड़ेगा।’ चीन अकेला देश नहीं है, जहां कूलिंग-ऑफ लागू हुई है। फ्रांस और ब्रिटेन में भी कूलिंग-ऑफ नियम लागू है। यहां दंपती के बीच अपसी सामंजस्य से तलाक लेने की प्रक्रिया में इंतजार की अवधि 2 से 6 हफ्ते की होती है। 2018 में चीन की घरेलू मामलों से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक 66% तलाक से जुड़े मामले पहली सुनवाई के दिन ही खारिज हो जाते हैं।
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