पाकिस्तान में चल रही जिहाद यूनिवर्सिटी, दी जाती है आतंकी बनने की ट्रेनिंग
punjabkesari.in Sunday, Nov 22, 2020 - 04:47 PM (IST)
इस्लामाबाद: पाकिस्तान बेशक फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से बचने के लिए आंतकियों के खिलाफ कार्रवाई का ड्रामा कर रहा है लेकिन दूसरी तरफ खुलेआम आतंकवाद का प्रचार और प्रसार में जुटा है । आंतकवाद को लेकर पाक का दोगला चरित्र कई बार दुनिया के सामने आ चुका है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार पाक में जिहाद की यूनिवर्सिटी चल रही है जहां आतंकी बनने की ट्रेनिंग दी जाती है। यहां के मदरसों में बच्चों का ब्रेन वॉश कर उन्हें आंतक की ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसी ही एक संस्था पेशावर से लगभग 60 किलोमीटर पूर्व में अकोरा खट्टक में मौजूद है, जिसे 'यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद' के रूप में जाना जाता है। दारुल उलूम हक्कानिया नामक इस मदरसे को पाकिस्तान की सरकार का पूरा समर्थन मिला हुआ है।
जिहाद यूनिवर्सिटी का मुख्यधारा के राजनीतिक दलों और धार्मिक गुटों के साथ संबंधों से काफी बढ़ावा मिला है। इसके अलावा कुछ पाकिस्तानी चरमपंथी और आत्मघाती हमलावर भी इस मदरसे से जुड़े रहे हैं, जिसने पूर्व प्रधान मंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या का अंजाम दिया। बता दें कि इसमें लगभग चार हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं, जिसमें कई पाकिस्तानी और अफगान शरणार्थी भी हैं। यहां पढ़ने वालों को फ्री में रहना और खाना उपलब्ध कराया जाता है। इस महीने की शुरुआत में हक्कानिया मदरसे के नेताओं ने तालिबान उग्रवादियों का समर्थन करते हुए एक वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया था जिस पर काबुल की सरकार ने नाराजगी जताई थी। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रवक्ता सादिक सिद्दीकी ने कहा था कि ये संस्थाएं कट्टरपंथी जेहाद को जन्म देती हैं, तालिबानी पैदा करती हैं।
वहीं, मदरसे के नेताओं ने इस बात को खारिज किया है कि संस्था आतंकवादी को ट्रेनिंग देने का काम कर रही है । माना जाता है कि यहां पढ़ने वाले लोगों का तालिबान और दूसरे कट्टरपंथी संगठनों के निर्णयों में हाथ रहा है। यह एक तरह का जिहादी कैरियर बनाने वाला इंस्टीट्यूट बन गया है। पाकिस्तान को पड़ोसी देशों में आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए कई बार फटकार लगाई जा चुकी है। पाकिस्तान 2018 से वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स ( की ग्रे लिस्ट से निकल नहीं पाया है। इस बार भी एफएटीएफ ने पाक को ग्रे-लिस्ट में बरकरार रखा है।
हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी पहली अफगानिस्तान की यात्रा पर गए थे जहां पर उनका जमकर विरोध हुआ। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में मौजूद बड़े आतंकवादी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से संबंधित लगभग 6,500 पाकिस्तानी आतंकवादी अफगानिस्तान में काम कर रहे हैं।हाल ही में एक यूरोपीय थिंक टैंक- यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) ने भी एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में हिंसा का विस्तार करने में शामिल है।
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