कोरोना वैक्सीन को लेकर दुनियाभर के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मचाया बवाल, टीके को लेकर उठाए सवाल

punjabkesari.in Sunday, Dec 20, 2020 - 04:19 PM (IST)

जकार्ता: दुनियाभर के इस्लामिक धर्मगुरुओं के बीच इस बात को लेकर असमंजस है कि सुअर के मांस का इस्तेमाल कर बनाए गए कोविड-19 टीके इस्लामिक कानून के तहत जायज हैं या नहीं। एक ओर कई कंपनियां कोविड-19 टीका तैयार करने में जुटी हैं और कई देश टीकों की खुराक हासिल करने की तैयारियां कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर कुछ धार्मिक समूहों द्वारा प्रतिबंधित सुअर के मांस से बने उत्पादों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिसके चलते टीकाकरण अभियान के बाधित होने की आशंका जतायी जा रही है।

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कोरोना वैक्सीन के बहिष्कार की अपील
ऑक्सफर्ड  कोरोना वैक्सीन का दुनियाभर के कई मुस्लिम नेताओं ने बहिष्कार करने की अपील की है। ऑस्ट्रेलिया के एक इमाम ने तो इसे हराम करार देते हुए मुसलमानों से टीका न लगवाने को कहा है। दरअसल मुस्लिम नेताओं को इस वैक्सीन को बनाए जाने की तकनीकी को लेकर सवाल खड़े किए हैं। ऑस्ट्रेलिया के विवादित इमाम सूफियान खलीफा ने एक वीडियो जारी कर इस्लाम के अनुयायियों से अत्याचार और फासीवाद का विरोध करने का आग्रह किया है। उन्होंने इस वीडियो में वैक्सीन लगवाने का समर्थन कर रहे लोगों को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के इस्तेमाल को उचित ठहराने वाले संगठनों को शर्म आनी चाहिए। उन्होंने वैक्सीन के समर्थन में जारी फतवे पर हस्ताक्षर करने वाले मुस्लिम इमामों को लेकर भी निशाना साधा।

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मुस्लिम और ईसाई संगठनों ने उठाए सवाल
सूफियान खलीफा ने आगे कहा कि कैथोलिक इस वैक्सीन के खिलाफ स्पष्ट रूप से खड़े हो गए हैं। वे जानते हैं कि यह हराम है, यह गैरकानूनी है। लेकिन, आप इसके विरोध के बजाय सरकार के साथ खड़े हैं? उन्होंने कहा कि उन लोगों पर शर्म करना चाहिए जो धर्म के खिलाफ सरकार के साथ खड़े हैं। मालूम हो कि सिडनी के कैथोलिक आर्कबिशप, सिडनी के एंग्लिकन आर्कबिशप और शहर के ग्रीक ऑर्थोडॉक्स आर्कबिशप ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनसे 25 मिलियन वैक्सीन की खरीद करने के सौदे पर पुनर्विचार करने को कहा है।
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ऑक्सफर्ड वैक्सीन को लेकर विवाद क्यों 
दरअसल, इन लोगों का कहना है कि इस वैक्सीन को बनाए जाने की जो तकनीक है, वह धार्मिक रूप से स्वीकार नहीं है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन को भ्रूण की कोशिकाओं (सेल) में उगाया जाता है, जिसे दवा पैक होने से पहले हटा दिया जाता है। इस सेल को 1973 में नीदरलैंड में एक कानूनी गर्भपात से प्राप्त किया गया था। जिसके बाद इसमें बदलाव कर दिया गया था जिससे ये सेल्स लैब में लगातार डिवाइड होती रहें। कई धर्मों में इसे पाप माना जाता है, इसलिए धार्मिक नेता इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं ऑक्सफर्ड की वैक्सीन दुनिया में प्रमाणिक रूस से ट्रायल में सबसे आगे मानी जा रही है।

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सुअर के मांस (पोर्क) के इस्तेमाल को लेकर बवाल
दरअसल टीकों के भंडारण और ढुलाई के दौरान उनकी सुरक्षा और प्रभाव बनाए रखने के लिए सुअर के मांस (पोर्क) से बने जिलेटिन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। कुछ कंपनियां सुअर के मांस के बिना टीका विकसित करने पर कई साल तक काम कर चुकी हैं। स्विटजरलैंड की दवा कंपनी 'नोवारटिस' ने सुअर का मांस इस्तेमाल किये बिना मैनिंजाइटिस टीका तैयार किया था जबकि सऊदी और मलेशिया स्थित कंपनी एजे फार्मा भी ऐसा ही टीका बनाने का प्रयास कर रही हैं। हालांकि फाइजर, मॉडर्न, और एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ताओं ने कहा है कि उनके कोविड-19 टीकों में सुअर के मांस से बने उत्पादों का इस्तेमाल नहीं किया गया है, लेकिन कई कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उनके टीकों में सुअर के मांस से बने उत्पादों का इस्तेमाल किया गया है या नहीं।

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टेंशन में मुस्लिम आबादी वाले देश

  •  इंडोनेशिया जैसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देशों में चिंता पसर गई है।
  • टीके के इस्तेमाल को लेकर असमंजस की स्थिति है, जो सुअर के मांस से बने उत्पादों के इस्तेमाल को धार्मिक रूप से अपवित्र मानते हैं।
  • सिडनी विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर हरनूर राशिद कहते हैं कि टीके में पोर्क जिलेटिन के उपयोग पर अब तक हुई विभिन्न परिचर्चा में आम सहमति यह बनी है कि यह इस्लामी कानून के तहत स्वीकार्य है, क्योंकि यदि टीकों का उपयोग नहीं किया गया तो ''बहुत नुकसान'' होगा।
  • इसराईल की रब्बानी संगठन 'जोहर' के अध्यक्ष रब्बी डेविड स्टेव ने कहा, ''यहूदी कानूनों के अनुसार सुअर का मांस खाना या इसका इस्तेमाल करना तभी जायज है जब इसके बिना काम न चले। ''
  • उन्होंने कहा कि अगर इसे इंजेक्शन के तौर पर लिया जाए और खाया नहीं जाए तो यह जायज है और इससे कोई दिक्कत नहीं है। बीमारी की हालत में इसका इस्तेमाल विशेष रूप से जायज है ।  

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Tanuja

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