वैज्ञानिकों का दावा: कोरोना महामारी का यूरोप को हुआ एक बड़ा फायदा
punjabkesari.in Tuesday, Apr 21, 2020 - 04:39 PM (IST)
सिडनीः कोरोना महामारी से जहां दुनिया भर में अब तक 1 लाख 70 हजार 423 लोगों की जान जा चुकी है व संक्रमितों की संख्या 24 लाख 81 हजार बताई जा रही है। वहीं अकेले यूरोप में 10 लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं 95 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है। संकट के इस वक्त में नीदरलैंड के मौसम विज्ञान संस्था (केएनएमआई) ने दावा किया है कि इस महामारी से बेशक वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और बहुत नुकसान भी हुआ है लेकिन दुनिया को एक बड़ा फायदा भी हुआ है। एक अध्ययन के अनुसार वायुमंडल में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर भी 54% तक गिर गया है और यूरोप के 3 बड़े देशों के वायुमंडल से वायु प्रदूषण 2019 की तुलना में 45% तक घट गया है।
इस दावे को सही साबित करने के लिए यूरोप के इन तीन बड़े देशों स्पेन, इटली और फ्रांस के वायुमंडल की सैटेलाइट तस्वीर भी जारी की गई हैं। डच इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के कॉपरनिकस ट्रोपोमी उपकरण से 2019 के मार्च-अप्रैल का 2020 के मार्च-अप्रैल से तुलनात्मक अध्ययन किया। इसमें पाया कि तीनों देशों का वातावरण बहुत साफ हो गया है। इन तस्वीरों से भी पता चलता है कि 2019 में इन देशों के वायुमंडल में प्रदूषण का स्तर कितना ज्यादा था। स्पेन, इटली, फ्रांस में अब तक 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वायु प्रदूषण से हर साल दुनिया में 7 फीसदी लोगों की असमय मौत होती है।
दूसरी तरफ, बात अगर स्पेन, फ्रांस और इटली की करें तो अब तक कोरोना से यहां करीब 60 हजार लोगों की मौत हाे चुकी है। 4.5 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। यूरोप में सबसे ज्यादा मौतें इटली में 23,660 में हुई हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जानलेवा प्रदूषक है, जो औद्योगिक गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है। स्टडी करने वाले केएनएमआई के वैज्ञानिक डॉ. हंक एस्कस कहते हैं कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड एक घातक प्रदूषक है, जो औद्योगिक गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है।
हमारी टीम ने 2019 और 2020 के तुलनात्मक अध्ययन में पाया कि मैड्रिड (स्पेन), मिलान और रोम (इटली) के साथ लगते अन्य शहरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 45% तक कम हो गया है, जबकि फ्रांस के पेरिस में इसका स्तर 54 प्रतिशत रहा। डेटा कैलुकेलेशन में 15% प्लस और माइनस की संभावना है, जो कि एक अहम मार्जिन है। ऐसा मुख्य रूप से बदलते मौसम की स्थिति और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की दैनिक दर में भारी उतार-चढ़ाव के कारण होता है। कोरोना महामारी का यही एक उजला पक्ष है कि दुनिया में वायु प्रदूषण का स्तर कम हो गया है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Bhalchandra Sankashti Chaturthi: आज मनाई जाएगी भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Rang Panchami: कब मनाया जाएगा रंग पंचमी का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
आज जिनका जन्मदिन है, जानें कैसा रहेगा आने वाला साल
आज अमरोहा आएंगे Jayant Chaudhary, चुनावी प्रचार अभियान की करेंगे शुरुआत