दक्षिण-एशियाई देशों में शुरू चीनी परियोजनाओं पर गहराए संकट के बादल

punjabkesari.in Sunday, Oct 03, 2021 - 05:15 PM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्क: दक्षिण-एशियाई देशों में  शुरू की गई चीनी परियोजनाओं पर संकट के गहरे बादल मंडरा रहे हैं। शुरुआत में धूमधाम के बाद दुनिया की नजरों के सामने आईं बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों में बहुप्रचारित ये योजनाएं  बढ़ती लागत की जटिलताओं व देरी के चलते  अब अधर में हैं।  चीन की बहुप्रचारित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) हर जगह अपनी चमक खोती दिख रही है। धीमी गति से काम और आतंकी हमलों सहित विभिन्न मुद्दों ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की प्रगति को धीमा कर दिया है।

 

और भ्रष्टाचार की घटनाओं ने इसे धीमा कर दिया है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने पाकिस्तान के एक सीनेट पैनल ने CPEC पर विकास की धीमी गति और चीनी कंपनियों द्वारा व्यक्त किए जा रहे असंतोष पर चिंता व्यक्त की थी। पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश के अधिकारियों ने भी 2016 में द्विपक्षीय समझौता ज्ञापनों के तहत सहमत चीनी सहायता प्राप्त बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त की है। सिंगापुर पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2016 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ढाका यात्रा के दौरान जिन दो दर्जन से अधिक  समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे, वे अमल में नहीं आए हैं।

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश के बार-बार अनुरोध के बावजूद चीन वित्तीय तौर-तरीकों को पूरा करने और इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने में बहुत धीमा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, "नेपाल में भी पनबिजली परियोजनाओं में चीनी भागीदारी कथित तौर पर विवादों में घिरी हुई है। चीन की BRI परियोजना दक्षिण एशिया के लिए एक सतत विकास मॉडल की सुविधा के लिए अवसर पैदा करने का वादा करती  है लेकिन इसमें आर्थिक, कानूनी और संप्रभुता के मुद्दों के अलावा महत्वपूर्ण पर्यावरणीय जोखिम भी शामिल हैं।

 

दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव से गंभीर रूप से प्रभावित होने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। 2013 में बीजिंग द्वारा घोषित BRI इन प्रवृत्तियों को बढ़ा देगा, दक्षिण एशियाई अध्ययन के लिए यूरोपीय फाउंडेशन (EFSAS) की सूचना दी। इसके अलावा, एक शोध रिपोर्ट से पता चला है कि BRI ने निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC ) को 385 बिलियन अमरीकी डालर के "छिपे हुए ऋण" के साथ छोड़ दिया है।

 

चीनी परियोजनाओं पर ये निष्कर्ष वर्जीनिया में विलियम और मैरी कॉलेज में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय विकास अनुसंधान प्रयोगशाला, एडडाटा द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट का हिस्सा हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त बाजार में एक प्रमुख स्थिति स्थापित करने के लिए सहायता के बजाय ऋण जाल  नीति का उपयोग किया है। रिपोर्ट में 165 देशों में 843 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की 13,000 से अधिक सहायता और ऋण-वित्तपोषित परियोजनाओं का विश्लेषण किया गया है। 


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Content Writer

Tanuja

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