चीन के उइगर मुस्लिमों पर अत्याचारों ने की हदें पार, पाकिस्तानी भी हो रहे जुल्म के शिकार

punjabkesari.in Sunday, Sep 27, 2020 - 02:41 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः उइगरों के खिलाफ चीन सरकार सभी सीमाएं लांघती जा रही है। चीन के उइगर विरोधी अभियान से सैकड़ों पाकिस्तानियों का जीवन प्रभावित हुआ है। चीन द्वारा किए गए अत्याचारों पर पाकिस्तान शासन की चुप्पी ने मूल निवासियों के लिए मामले को बदतर बना दिया है। दक्षिण एशिया से लेकर पश्चिम तक दुनियाभर के देशों को परेशान कर देने वाले चीन ने अपनी देश के अंदर और भी खतरनाक अभियान छेड़ रखा है। चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगरों के ऊपर ढाए जा रहे अत्याचार के बारे में दुनिया जानती ही है।

 

एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि कैसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने उइगर मुस्लिमों की संस्कृति को मिटाने और उनके इतिहास की डोर को काटने के लिए हर तरह के कदम उठाए हैं। चीन में उइगर मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों के किस्से आम हैं, पर कभी-कभी पाकिस्तानी नागरिक भी इसके लपेटे में आ जाते हैं। ताजा मामला सिकंदर हयात नाम के शख्स का है, जिसकी उइगर पत्नी और बेटे को चीन की सरकार ने डिटेंशन कैंप में डाल रखा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि हयात की बेटियों को अनाथालय में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है। सिकंदर हयात सिर्फ इसलिए बाहर रह गए क्योंकि वह पाकिस्तानी नागरिक हैं। चीन सरकार की नीतियों के चलते एक पाकिस्तानी का पूरा परिवार बिखर चुका है।

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिकंदर हयात ने चीन के शिनजियांग की एक महिला से शादी की थी। उस समय हयात चीन में ही रह रहे थे। बाद में अल्पसंख्यकों पर हो रहे चीन के अत्याचारों से तंग आकर उन्होंने 2017 में अपने बेटे अराफात के साथ बॉर्डर पार किया और अपने वतन पाकिस्तान आ गए। उन्हें पाकिस्तान आए अभी कुछ ही दिन हुए थे कि चीन से एक फोन कॉल आई। उस कॉल के बाद उनकी जिंदगी कुछ ऐसी बिखरी कि आज तक संवर नहीं पाई है। सिकंदर को आए फोन पर बताया गया कि कुछ चीनी अधिकारी उनकी पत्नी को लेकर डिटेंशन कैंप गए हैं। फोन पर उनके रिश्तेदारों ने यह भी कहा कि उन्हें और उनके बेटे को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है। सिकंदर तुरंत अपने बेटे के साथ चीन के लिए निकल पड़े, और डिटेंशन कैंप पहुंचे।

 

यहां सिकंदर हयात को तब एक और बड़ा झटका लगा जब उनके बेटे को भी उइगर होने के चलते गिरफ्तार कर लिया गया। तब उनसे कहा गया था कि एक-दो सप्ताह में उनके बेटे को छोड़ दिया जाएगा, लेकिन 2017 से आज तक वह वक्त नहीं आ पाया। 2017 से सिकंदर हयात सिर्फ अपने परिवार की यादों के सहारे जी रहे हैं। उनकी बेटियां अनाथालय में हैं, बेटा डिटेंशन कैंप में है, पत्नी भी चीनी सरकार की हिरासत में है। यह कहानी सिर्फ सिकंदर हयात की नहीं बल्कि लाखों उइगर मुस्लिमों और उनसे ताल्लुक रखने वाले लोगों की है। फिलहाल सिकंदर की अपने परिवार से मुलाकात की उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही। फिर भी, उम्मीद पर दुनिया कायम है और सिकंदर भी फिलहाल यही सोच रहे होंगे।


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Tanuja

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