तिब्बत में जातीय एकता अनिवार्य बनाने वाला विधेयक पास; खुद को कहा,चीन का हिस्‍सा

punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2020 - 12:30 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः तिब्बत में पहली बार जातीय एकता को अनिवार्य करने वाला कानून पास हुआ है। इसमें सुदूर हिमालयी क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में इसकी अहम भूमिका की झलक मिलती है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, तिब्बत की पीपुल्स कांग्रेस ने शनिवार को विधेयक पारित किया। यह एक मई से अमल में आएगा। अखबार ने लिखा है कि, नए कानून में कहा गया है कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का अभिन्न हिस्सा है।

 

नए कानून में यह भी कहा गया है कि, क्षेत्रीय एकीकरण को सुरक्षित रखना सभी जातीय समूहों के लोगों की संयुक्त जिम्मेदारी है। जातीय एकता को मजबूत किया जाए तथा अलगाववाद के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया जाए। तिब्बत एकेडमी ऑफ सोशल साइंस में समकालीन अध्ययन संस्थान के उप प्रमुख पेनपा लहामो ने कहा, पूरे चीन के स्वायत्तशासी क्षेत्र में जातीय एकता पर यह पहला कानून है। मालूम हो कि तिब्बत में 40 से ज्यादा जातीय अल्पसंख्यक समुदाय हैं जो कुल आबादी 30 लाख का 95 फीसद हैं।

 

पिछले साल अप्रैल में आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा था कि वह अलगाववादी नहीं हैं लेकिन तिब्बत के लोग सन 1974 से चीन के साथ परस्पर स्वीकार्य समाधान चाहते हैं। उन्‍होंने आरोप लगाया था कि बीजिंग लोगों की मांग पर विचार करने के लिए तैयार नहीं है। दलाई लामा ने यह भी कहा था कि मैं कई मंचों से कह चुका हूं कि मैं तिब्बत के चीन से अलगाव का पक्षधर नहीं हूं लेकिन चीन सरकार मुझे हमेशा अलगाववादी कहती है।

 

 


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Edited By

Ashish panwar

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