कोरोना से जूझ रहे ब्रिटेन में ड्रैगन की साजिश, शुरू किया नया खेल

punjabkesari.in Friday, Jul 10, 2020 - 11:11 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: हांगकांग में विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही किरकिरी के बाद अब चीन ने ब्रिटेन को राजनीतिक तौर पर अस्थिर करने की साजिश रचनी शुरू कर दी है।  हांगकांग में चीन द्वारा लागू किए गए कानून का ब्रिटेन ने खुल कर विरोध किया था और इसके बाद ही यू.के. के पी.एम. बोरिस जॉन्सन ने यू.के. 5 जी प्रोजैक्ट से चीन की कम्पनी हुवावई को बाहर निकालने का खाका तैयार किया है। हालांकि ब्रिटेन ने हुवावई को यू.के. से बाहर निकालने के पीछे सुरक्षा संबंधी मुद्दों का हवाला दिया है लेकिन माना जा रहा है कि यू.के. हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून से खासा नाराज है इसलिए वह चीन के खिलाफ कदम उठा रहा है।

 

चीन ने शुरू किया सांसदों को तोडऩे का खेल
ब्रिटेन में 2010 के बाद कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार है और इसी पार्टी के नेता डेविड कैमरून के प्रधानमंत्री रहते 2015 में बकिंघम शायर के एक पब में तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरून और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं और उस तस्वीर को ब्रिटेन और यू.के. संबंधों को स्वॢणम पल बताया गया था और इसी पार्टी के सत्ता में रहते यूरोप में सबसे ज्यादा चीनी निवेश यू.के. में ही हुआ। यहां तक कि जब 2019 में जर्मनी और फ्रांस में चीनी निवेश में भारी गिरावट आई तो भी इस रीजन में यू.के. ही चीनी निवेशकों की पसंदीदा जगह बना रहा। 2017 में चीन का इन यूरोपीय देशों में निवेश 71 फीसदी था जो 2019 में कम हो कर 35 फीसदी रह गया। लेकिन पिछले 5 साल में काफी कुछ बदल गया है और यू.के. में लोग पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार मान रहे हैं। इस बीच हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के चलते चीन की छवि और ज्यादा धूमिल हुई है और आम धारणा चीन विरोधी बनने लगी है।

 

कोरोना संकट के कारण यू.के.  की इकोनॉमी को बड़ा झटका लगा है और माना जा रहा है कि इस साल चीन की आर्थिकता में 8 फीसदी की गिरावट आएगी और 2023 तक इसमें रिकवरी की संभावना नहीं है। इस बीच यू.के. ब्रैग्जिट के कारण भी आॢथक चुनौतियों से जूझ रहा है लिहाजा चीन ने यू.के. की इसी कमजोरी को आधार बना कर कंजर्वेटिव पार्टी के कुछ सांसदों को अपने पाले में करने का खेल शुरू कर दिया है। दरअसल ब्रिटेन के कुछ सांसदों के इलाकों में चीनी कंपनियों द्वारा बड़े-बड़े प्रोजैक्ट लगाए गए हैं इनमें से परमाणु बिजली घर के प्रोजैक्ट्स भी शामिल हैं, इन प्रोजैक्ट्स में लोगों को रोजगार मिला है लिहाजा इन इलाकों के सांसद अपने-अपने हलकों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए चीन का विरोध नहीं कर रहे।

 

चीन के साथ अच्छे रिश्ते जरूरी: रिचर्ड ग्राहम
यू.के. में आल पार्टी पार्लियामेंट्री चाइना ग्रुप के चेयरमैन रिचर्ड ग्राहम का मानना है कि पिछले कई वर्षों तक हम यूरोपियन यूनियन को बलि के बकरे की तरह ट्रीट कर रहे थे लेकिन अब ब्रिटेन में हर कोई चीन को बलि का बकरा बनाने में खुशी महसूस कर रहा है लेकिन चीन इस समय इतना अहम नहीं है बल्कि हमारे लिए इस समय सबसे अहम हमारे हलके के लोग हैं। नौकरियां इस समय बहुत अहमियत रखती हैं और इसके लिए हमें चीन के साथ अच्छे रिश्ते रखने ही चाहिएं।

 

तिलमिलाए चीन ने दी निवेश में कमी की धमकी
चीन और यू.के. के मध्य बढ़ रहे इस तनाव के पीछे अमरीका के साथ यू.के. के पारम्परिक रिश्ते भी हैं। यू.के. मिनिस्ट्रियल ग्रुप के आकलन के मुताबिक दोनों देशों का फ्री ट्रेड 19 बिलियन डालर तक पहुंच सकता है। इसलिए यू.के. जाहिर तौर पर अमरीका को कारोबार के मामले में प्राथमिकता देगा और यदि अमरीका चीन को लेकर आॢथक पाबंदियों का ऐलान करता है तो उसे यू.के. का पूरा साथ मिलेगा लेकिन अब चीन यू.के. के बदले स्टैंड से तिलमिलाया हुआ है। यू.के. में चीन के राजदूत लिऊ शीमोइंग ने गीदड़ भभकी देते हुए कहा कि हुवावई को लेकर लिए जा रहे फैसले से चीन तय करेगा कि यू.के. उसका विश्वसनीय साथी है या नहीं। यदि चीन को लेकर यू.के. का रवैया ऐसा ही रहा तो चीन यू.के. में चल रहे रेल प्रोजैक्ट्स और पावर प्रोजैक्ट्स में अपने निवेश में कटौती कर सकता है।

 

चीन के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे: बोरिस जॉनसन
यू.के. के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 2013 में लंदन के मेयर के अपने कार्यकाल के दौरान चीन समर्थक रहे हैं लेकिन अब चीन को लेकर उनका विचार पूरी तरह से बदल गया है और उनका कहना है कि कोरोना के कारण पैदा हुई स्थिति और इस गंभीर संकट में अपने राष्ट्रीय आधारभूत ढांचे को बचाने और हांगकांग में चीन द्वारा लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर हमें बीजिंग के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और हम ऐसा करते रहेंगे।


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vasudha

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