संकट में चीनी कंपनियां, रियल्टी फर्म एवरग्रांडे भी डिफॉल्टर घोषित

punjabkesari.in Thursday, Dec 09, 2021 - 04:12 PM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्कः  चीन की दूसरी सबसे बड़ी रियल्टी कंपनी एवरग्रांडे भी डिफॉल्टर घोषित  हो गई है।  सोमवार को पेमेंट करने  में असफल  रहने पर  ये कदम उठाया गया। इसके बाद चीन सरकार को डर है कि उसकी  कई और  कंपनियां भी चपेट में आ सकती हैं।  एवग्रांडे ने 3 दिसंबर को एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि यह अपने रीस्ट्रक्टरिंग प्लान के तहत ऑफशोर क्रेडिट देने वालों के साथ एक्टिवली इंगेज होगा। जानकारी के मुताबिक, सोमवार को आखिरी डेडलाइन निकल जाने के बावजूद एवरग्रांडे ने कुछ अमेरिकी डॉलर बॉंड पर बकाया पेमेंट नहीं किया जिससे ये डिफॉल्ट हो गई।

 

ग्वांगडोंग सरकार से नहीं मिली मदद
पिछले शुक्रवार को एवरग्रांडे ने अपने गृह प्रांत ग्वांगडोंग की सरकार से मदद मांगी थी। इसके बदले सरकार कंपनी के मुद्दों का आंकलन करने और मदद करने के लिए एक वर्किंग ग्रुप भेजने पर सहमत हुई थी। एवरग्रांडे का ज्यादातर कर्ज मेनलैंड चाइना में है, लेकिन कंपनी के पास अंतरराष्ट्रीय बॉंड में करीब 20 अरब डॉलर है। हाल के महीने में एवरग्रांडे ने ग्रेस पीरियड खत्म होने से कुछ समय पहले डॉलर बॉंड पर ओवरड्यू ब्याज पेमेंट करके कई मौकों पर चूक से बचा है। कंपनी ने कैश जुटाने के लिए संपत्ति बेची है। इसके फाउंडर और शेयर होल्डर ने भी हाल ही में अपने शेयरों का एक बड़ा हिस्सा बेचा है। इन सब से कुछ लेनदारों को उम्मीद थी कि एवरग्रांडे सोमवार को अपना बकाया भुगतान करने की तैयारी कर रही थी।

 

मार्च 2022 तक चुकाना है 8.35 करोड़ डॉलर का ब्याज
एवरग्रांडे को 8.35 करोड़ डॉलर का ब्याज मार्च 2022 तक चुकाना है। वहीं, 23 सितंबर 2022 तक इसे 4.75 करोड़ रुपए ब्याज के रूप में चुकाने हैं। हाल के हफ्तों में रियल एस्टेट डेवलपर एवग्रांडे कर्ज का पेमेंट करने और नकदी जुटाने के लिए हाथ-पांव मार रहा थी। एवरग्रांडे चीन की दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी है। इस पर 300 अरब डॉलर का कर्ज है। यह कर्ज चीन की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) की तुलना में 2% है। इसके पास 280 शहरों में 1300 प्रोजेक्ट हैं। हाउसिंग के अलावा एवरग्रांडे ने इलेक्ट्रिक व्हीकल, स्पोर्ट्स, थीम पार्क आदि में भी निवेश किया है।

 

कंपनी का फूड और बेवरेजेस बिजनेस भी
कंपनी का फूड और बेवरेजेस बिजनेस भी है। कंपनी की दिक्कतें तब शुरू हुईं, जब चीन सरकार ने हाउसिंग मार्केट का फायदा उठाने पर कड़क प्रतिबंध लागू कर दिए। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन की बढ़ती लागत, सप्लाई की कमी और वैश्विक महंगाई भी कंपनी को संकट में लाने का कारण रही हैं। इससे कंपनी के प्रॉफिट मार्जिन पर बुरा असर देखा गया। दिसंबर 2020 तक एवरग्रांडे की 15 लाख यूनिट्स अधूरी थी। चीन के सेंट्रल बैंक ने 18.6 अरब डॉलर की रकम बैंकिंग सेक्टर में भी डाली थी, पर एवरग्रांडे डिफॉल्ट हो गई। चीन में बिकने वाली सालाना प्रॉपर्टी में एवरग्रांडे की सिर्फ 4% भागीदारी है। एवरग्रांडे के बाद यहां की कंट्री गार्डेन पर भी 300 अरब डॉलर की देनदारी है। रियल्टी कंपनियों के डिफॉल्ट होने से घरों की कीमतें कम हो सकती हैं। चीन की अर्थव्यवस्था में रियल इस्टेट सेक्टर का योगदान 29% है।

 

चीन पर निर्भर देशों पर होगा असर
एवरग्रांडे के डिफॉल्ट का ज्यादा असर उन देशों पर होगा, जो चीन पर निर्भर हैं। एवरग्रांडे पर 128 बैंकों का कर्ज है। 21 नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों ने भी कर्ज दिया है। HSBC बैंक का 20.69 करोड़ डॉलर का निवेश एवरग्रांडे के बॉन्डस में है। UBS और ब्लैकरॉक ने 27.5 और 37.5 करोड़ डॉलर इसके बॉन्ड में निवेश किया है।  एवरग्रांडे में 2 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। हर साल वह चीन में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट 38 लाख रोजगार जनरेट करती है। भारत में स्टील, मेटल और आयरन ओर का निर्माण करने वाली कंपनियां अपना 90% माल चीन को बेचती हैं। इसमें भी एवरग्रांडे सबसे बड़े खरीदारों में से एक है। अगर ये कंपनी डूबी तो चीन और भारत के बीच निर्यात भी प्रभावित होगा।

 


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Content Writer

Tanuja

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