चीन ने CPEC पर फिर खेला दाव, पाकिस्तान के राजनीतिक दलों को पढ़ाया पाठ

punjabkesari.in Saturday, Jun 19, 2021 - 05:08 PM (IST)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए चीन ने एक बार फिर दाव खेला है।  चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के विकास से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए  बीजिंग ने  अब पाक के सभी  राजनीतिक दलों को सहयोग का पाठ पढ़ाते हुए मदद मांगी है। "पीपुल-सेंटेड: सेलिब्रेटिंग 100 इयर्स ऑफ चाइना कम्युनिस्ट पार्टी" शीर्षक वाले एक वेबिनार में पाकिस्तान में चीनी राजदूत नोंग रोंग ने कहा कि चीन  CPEC और नया पाकिस्तान विजन के बीच समन्वय को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के राजनीतिक दलों के साथ काम करने के लिए तैयार है।

 

राजदूत रोंग ने कहा कि "चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) पाकिस्तानी राजनीतिक दलों के साथ आदान-प्रदान और सहयोग को बहुत महत्व देती है  और पार्टियों के बीच आम सहमति तक पहुंचने और पार्टी-टू-पार्टी का योगदान करने के लिए अंतर-पार्टी संबंधों के लाभों को पूरा खोल देगी। राजदूत ने सीपीईसी के उच्च गुणवत्ता वाले विकास के लिए "अच्छा राजनीतिक और सार्वजनिक वातावरण" बनाने के लिए विचारों, नीतियों और लोगों के आदान-प्रदान को मजबूत करने की पार्टी की इच्छा भी व्यक्त की। पाकिस्तानी अखबार के अनुसार चीनी दूत के बयान ने सीपीईसी से संबंधित मुद्दों को हल करने और इसके आगे के विकास के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाने के लिए पाकिस्तानी राजनीतिक दलों के साथ सहयोग बढ़ाने में बीजिंग की रुचि का संकेत दिया।

 

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई सरकार ने पिछले महीने संसद सदस्यों के कड़े विरोध के बावजूद सीपीईसी प्राधिकरण की स्थापना के लिए विधेयक पारित किया था। विशेषज्ञों के अनुसार विधेयक में सीपीईसी के तहत शुरू की जा रही परियोजनाओं की योजना बनाने, उन्हें क्रियान्वित करने और उनमें तेजी लाने के लिए व्यापक अधिकार और कानूनी छूट है। जाहिर है  चीन ने  पाकिस्तान पर सीपीईसी प्राधिकरण को मजबूर कर दिया है क्योंकि वह चाहता  है कि सेना सीधे सीपीईसी पोर्टफोलियो में शामिल हो क्योंकि बीजिंग परियोजना पर इमरान खान की धीमी गति से परेशान था। यह विधेयक ऐसे समय में आया है जब सभी समस्याओं के लिए सीपीईसी को रामबाण औषधि के रूप में पेश करने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया प्रचार तेजी से लुप्त होता जा रहा है। संघर्षरत स्थानीय व्यवसायी इस बात पर खेद व्यक्त करते हैं कि चीनी निवेशक पाकिस्तानी हितों को अनदेखा कर प्रमुख घरेलू उद्योगों, राज्य की संपत्ति और व्यवसायों पर कब्जा कर रहे हैं।

 

बता दें कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा चीन की बेहद महत्वकांशी  बहुत बड़ी वाणिज्यिक परियोजना है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान से चीन के उत्तर-पश्चिमी स्वायत्त क्षेत्र शिंजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस की कम समय में वितरण करना है। आर्थिक गलियारा चीन-पाक संबंधों में केंद्रीय महत्व रखता है, गलियारा ग्वादर से काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबा है। यह योजना को सम्पूर्ण होने में काफी समय लगेगा। इस योजना पर 46 बिलियन डॉलर लागत का अनुमान किया गया है। यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान होते हुए जायेगा। विविध सूचनाओं के अनुसार ग्वादर बंदरगाह को इस तरह से विकसित किया जा रहा है, ताकि वह 19 मिलियन टन कच्चे तेल को चीन तक सीधे भेजने में सक्षम होगा।


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Content Writer

Tanuja

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