बच्चों के लिए सबसे खतरनाक जगह बना अफगानिस्तानः रिपोर्ट
punjabkesari.in Saturday, Sep 18, 2021 - 05:37 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः तालिबान शासन के बाद अफगानिस्तान में बच्चे गंभीर संकट के दौर से गुजर रहे हैं। दुनिया भर के विशेषज्ञों ने अफगान बच्चों की स्थिति व मनोस्थिति को लेकर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान बच्चों के लिए बहुत खतरनाक जगह बन गया है। वर्जीनिया गाम्बा के विशेष प्रतिनिधि व बच्चों और सशस्त्र संघर्ष के महासचिव का कहना है कि मासूम बच्चे दुर्भाग्य से हिंसक संघर्ष का सबसे अधिक खामियाजा भुगतते हैं। ज्यादातर मामलों में उन्हें जानबूझकर निशाना नहीं बनाया जाता है लेकिन वे संयोग से प्रभावित होते हैं। नतीजतन, इससे पहले कि उनका पूर्ण शारीरिक विकास हो, संघर्ष का प्रभाव उन्हें दिल-दिमाग और शरीर से जख्मी और विकलांग बना देता है।
यही स्थिति अफगानी बच्चों के साथ भी है जो न केवल शारीरिक रूप से बल्कि भावनात्मक रूप से भी गहन आघात सहते हैं और इस प्रकार उनका समग्र विकास बाधित होता है।अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) की मिडीयर रिपोर्ट 2021 बहुत ही गंभीर चिंता का विषय है, जिसमें 1 जनवरी से 30 जून 2021 के बीच बच्चों के हताहतों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई गई है। बाल हताहतों में सभी नागरिक हताहतों का लगभग 32 प्रतिशत शामिल था, जिनमें से 20 प्रतिशत लड़के और 12 प्रतिशत लड़कियां थीं।
1,682 बच्चों के हताहत होने के रूप में दर्ज किए गए इन आंकड़ों में 2020 के पहले छह महीनों की तुलना में 55 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। लड़कियों की हताहतों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई, जो UNAMA द्वारा दर्ज किए गए उच्चतम स्तर को चिह्नित करती है, और लड़कों के हताहतों की संख्या में भी 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इसके अलावा यूनिसेफ ने कहा है अफगानिस्तान में लाखों बच्चों को मानवीय सहायता की सख्त जरूरत है। ये बच्चे पहले से कोरोना संकट को झेल रहे थे और अब तालिबान के शासन के बाद सहायता देने वाली एजेंसियों के देश छोड़ने के कारण उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। क्योंकि ये बच्चे पहले से ही मानवीय और विदेशी सहायता पर जीवित थे। गौरतलब है कि तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान को दी जाने वाली विदेशी सहायता रोक दी गई है।
विश्व बैंक ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली सहायता राशि और करोड़ों की फंडिंग पर रोक लगा दी है। विश्व बैंक ने 2002 से अब तक वहां 5.3 बिलियन डॉलर खर्च किया है और 27 परियोजनाएं चल रही हैं। पिछले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने तालिबान को कोई सहायता देने से मना कर दिया है। इस बीच, अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस निकाल रहे हैं।