कनाडा आम चुनाव आजः PM ट्रूडो का कंजर्वेटिव पार्टी से कड़ा मुकाबला, भारतीयों की धड़कनें तेज

punjabkesari.in Monday, Oct 21, 2019 - 03:57 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः कनाडा में आज शाम यानि सोमवार को आम चुनाव होने हैं। कनाडा में सघन चुनाव अभियान के बाद एक नई संसद का चुनाव हो रहा है। इस चुनाव में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सत्ता से बाहर होने का खतरा है। ट्रूडो ने अपने उदारवादी पिता एवं दिवंगत प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो की अपार लोकप्रियता को आगे बढ़ाते हुए 2015 का चुनाव जीता था, लेकिन घोटाले और लोगों की भारी उम्मीदों ने उनकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है।

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ट्रूडो को इस बार पूर्ण बहुमत मिलना मुश्किल
ये चुनाव ट्रूडो के लिए परीक्षा की घड़ी मानी जा रही है। चुनावों से पहले संकेत मिल रहे हैं कि ट्रूडो की लिबरल पार्टी प्रतिद्वंद्वी कंजर्वेटिव पार्टी से हार सकती है, या शायद जीत भी जाए तो भी संसद में बहुमत पाने में नाकाम रह सकती है। ऐसे में उन्हें सत्ता में बने रहने के लिए विपक्षी पार्टी पर निर्भर रहना पड़ेगा। पिछले 84 वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि पूर्ण बहुमत के साथ पहली बार कनाडा का प्रधानमंत्री बना कोई व्यक्ति अगले चुनाव में हार गया हो। ट्रुडो ने कनाडा में करीब 10 साल तक चले कंजर्वेटिव पार्टी के शासन के बाद 2015 में उदारवादी सरकार बनाई थी और वह दुनिया के चुनिंदा उदारवादी नेताओं में एक हैं।

 

लिबरल पार्टी का कंजर्वेटिव पार्टी से कड़ा मुकाबला

  • ट्रूडो को इस साल हुए एक घोटाले से भी जूझना पड़ रहा है, जिसमें उनकी पूर्व अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि उन्होंने क्यूबेक कंपनी के मुकदमे को रोकने के लिए उन पर दबाव डाला। इस बारे में ट्रूडो ने अपनी सफाई में कहा कि वह नौकरियां बचाना चाहते थे, लेकिन फिर भी इस घटना से उन्हें नुकसान हुआ और एंड्रयू शीयर के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी को बढ़त मिली।
  • चुनावी पोल के अनुसार, ट्रूडो और लिबरल पार्टी का अपनी प्रतिद्वंद्वी कंजर्वेटिव पार्टी से कड़ा मुकाबला है।ट्रूडो और लिबरल पार्टी को बहुमत के लिए जरूरी सीटें मिलनी मुश्किल हैं। इससे वे कमजोर पड़ जाएंगे और शासन के लिए छोटे दलों पर निर्भर होंगे।

 

NDP के सिख नेता जगमीत सिंह लिबरल पार्टी के साथ
तीसरे नंबर पर दिख रही पार्टी है NDP। उनके नेता जगमीत सिंह हैं। उन्होंने अभी हाल में कहा है कि अगर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो वो लिबरल पार्टी को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। " जगमीत सिंह सिख समुदाय से आते हैं और इस समुदाय का एक बड़ा तबक़ा ट्रुडो को पसंद करता रहा है।  बताते हैं, "कनाडा में भारतीय समुदाय के 15 से 16 लाख लोग हैं और उनमें क़रीब 5 लाख सिख हैं। उनके लिए ट्रूडो लोकप्रिय नेता हैं। वो उनको प्यार से जस्टिन सिंह कहते हैं। दुर्भाग्य से कनाडा में क़रीब सभी राजनीतिक दल राजनीति के लिए ख़ालिस्तानी तर्जों को सपोर्ट करते हैं। उनके पास गुरुद्वारे का पैसा है, वो संगठित हैं, चुनाव में मदद करते हैं।"  माना जाता है कि एक ये वजह भी है कि ट्रूडो अपने कार्यकाल में भारत के साथ उम्मीद के मुताबिक़ रिश्ते नहीं बना सके। हालांकि चुनाव का कनाडा और भारत के रिश्तों पर ख़ास असर नहीं होगा।

 

  • कनाडा की संसद यानी हाउस ऑफ कॉमंस में कुल 338 सीटें हैं
  • किसी भी पार्टी को बहुमत की सरकार बनाने के लिए 170 सीटों की जरूरत होती है।
  • जस्टिन ट्रूडो ने सर्वाधिक चुनाव अभियान ओंटारियो में किया जो कनाडा का सर्वाधिक आबादी वाला राज्‍य है।
  • कुल 338 सीटों में से ओंटारियो  की 108 सीटें हैं  और इनमें से 76 सीटें लिबरल पार्टी के पास हैं
  • अगर ट्रूडो को चुनाव में जीत हासिल करनी है तो इन सीटों को बचाना पड़ेगा।
     

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ट्रूडो को सता रहा हार का डर
खास बात यह है कि जस्टिन ट्रूडो ने चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी के जीतने की संभावना जताते हुए कहा कि हमें हर वोट के लिए लड़ना होगा। उन्‍होंने कहा कि कंजर्वेटिव सरकार के बनने का मौका है और इसका मतलब है कि वोट में कटौती होगी। शुक्रवार को जारी हुए नैनोज रिसर्च पोल के अनुसार कंजर्वेटिव्‍ज को 31.6 फीसदी लोगों का समर्थन मिलने की बात कही गई है जबकि लिबरल पार्टी को 31.5 फीसदी समर्थन मिलने का दावा किया गया है। इसके अलावा वामपंथी विचारधारा के न्‍यू डेमोक्रेट्स को 19 फीसदी लोगों के समर्थन का दावा किया गया है। टोरंटो के व्हिट्बी शहर में मीडिया से उन्होंने कहा, 'मैं स्‍वीकृति के लिए कोई भी वोट नहीं ले रहा हूं। मैं जानता हूं कि कनाडा के लोग जिस तरह का भविष्य चाहते हैं, उस पर वे प्रतिबिंबित कर रहे हैं।' 

 

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ट्रूडो हारे तो बढ़ेंगी भारतीयों की परेशानी 
माना जा रहा है कि अगर ट्रूडो हारे तो  भारतीयों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्योंकि कनाडा फर्स्ट का नारा लेकर आई कंजरवेटिव पार्टी अगर जीती तो भारतीयों को वीजा लेने में भारी परेशानी आ सकती है। कंजरवेटिव पार्टी आने से स्टूडेंट वीजा मिलना मुश्किल हो सकता है। कंजरवेटिव पार्टी इमीग्रेशन नियमों को इतना सख्त करेगी कि वीजा लेना मुश्किल हो सकता है।  अगर कंजरवेटिव पार्टी जीती तो वीजा और पीआर नियम सख्त हो जाएंगे। हालांकि स्टूडेंट वीजा पर कुछ संदेह है, क्योंकि इस समय कनाडा में शिक्षा एक बहुत बड़ा कारोबार बन चुका है।


पंजाब के लोगों की धड़कनें तेज

  • कनाडा आम चुनाव पर पंजाब के लोगों की सीधी नजर है। एक बार फिर लिबरल पार्टी से जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री पद की दौड़ में है।
  • 2015 में जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले साल 80 हजार छात्रों को स्टूडेंट वीजा दिया गया था। जो बढ़ते बढ़ते 2019 तक प्रति वर्ष डेढ़ लाख तक पहुंच चुका है।
  • लिबरल पार्टी को हमेशा इमीग्रेंटस के लिए नरम रवैया रखने वाला माना जाता है।
  • इस समय पंजाब के ज्यादातर छात्र पढ़ने के लिए कनाडा का रुख कर रहे हैं।
  • लोगों का मानना है कि अगर जस्टिन ट्रूडो यह चुनाव हारते है, तो पंजाबियों के लिए बड़ी मुश्किल हो सकती है।

 


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Tanuja

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