Bye Bye 2021: इस साल विश्व की ये बड़ी राजनीतिक घटनाएं रही चर्चा में, हिल गए कई देशों के सिंहासन
punjabkesari.in Tuesday, Dec 28, 2021 - 02:14 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः साल 2021 का सफर अब खत्म होने वाला है और गिने-चुने दिनों के बाद नववर्ष 2022 का आगाज होगा। इस पूरे साल ऐसी कई बड़ी घटनाएं हुई जो वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनीं और दुनियाभर में इन घटनाओं को लंबे समय तक याद रखा जाएगा। 2021 में कई बड़े-बड़े देशों के सिंहासन हिल गए। एक देश में लोकतांत्रिक सरकार को हटाया गया तो दूसरे देश में लंबे समय से चले आ रहे विदेशी शासन का खात्मा हुआ और सबसे नया गणराज्य अस्तित्व में आया। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने वहां की सत्ता पर कब्जा हासिल कर लिया। वहीं दूसरी तरफ कैरेबियाई द्वीप राष्ट्र बारबडोस अपनी स्वतंत्रता के 55 साल बंद ब्रिटेन से अलग होकर औपनिवेशक शासन के प्रभाव से मुक्त हुआ और दुनिया का सबसे नया गणराज्य अस्तित्व में आया। नजर डालते हैं साल 2021 की उन बड़ी घटनाओं पर जो कई दिनों तक मीडिया की सुर्खियां में बनीं रहीं।
अमेरिका में कैपिटल हिल हिंसा ने हिला दी थी दुनिया
अमेरिका में कैपिटल हिल में हुई हिंसा दुनियाभर में चर्चा का विषय बनीं और कई दिनों तक यह मुद्दा मीडिया में छाया रहा। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आने के बाद कैपिटल हिल में 6 जनवरी को डोनाल्ट ट्रंप के समर्थकों ने जमकर हंगामा किया, इसमें 5 लोगों की मौत हो गई। ट्रंप ने छह जनवरी की रैली में अपने समर्थकों से ‘लड़ने’ का आह्वान किया था जिसके बाद हिंसा के लिए ट्रंप को ही जिम्मेदार ठहराया गया। उनपर बार-बार भड़काऊ बयान देने के आरोप लगे थे। इसके बाद ट्रंप की दुनियाभर में आलोचना हुई और उनका ट्विटर अकाउंट बैन हो गया। हालांकि, इस घटना की अंतिम जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप का सिंहासन छीना
इस साल के शुरू में ही जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप का सिंहासन छीन कर अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर कब्जा किया। बाइडेन का राष्ट्रपतिबनना जाहिर तौर पर इस साल की सबसे बड़ी घटनाओं में सबसे प्रमुख मानी जाती है। अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर जो बाइडेन ने 20 जनवरी 2021 को पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसके साथ ही वो देश के इतिहास में सबसे उम्रदारज राष्ट्रपति बन गए। नवंबर 2021 में वो 79 वर्ष के हो गए हैं। बाइडेन ने 2021 में बार-बार 'अमेरिका इज़ बैक' का नारा दिया है। वे पदभार ग्रहण करने के बाद से अमेरिका के सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने के अपने वादे को पूरा करने के लिए तेजी से आगे बढ़े हैं। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते और विश्व स्वास्थ्य संगठन में वापस कर दिया, पांच साल के लिए नए START का नवीनीकरण किया, ईरान परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने की मांग की, और यमन में आक्रामक सैन्य अभियानों के लिए अमेरिकी समर्थन को समाप्त कर दिया।
म्यामांर में सैन्य तख्तापलट, सर्वोच्च नेता सू की गई जेल
म्यामांर में तख्तापलट और सूकी का जेल जाना इस साल की प्रमुख घटनाओं में से एक है। एक फरवरी को म्यांमार में सेना ने तख्तापलट कर दिया था। इसके साथ ही म्यांमार की सर्वोच्च नेता रही आंग सान सू की सहित कई नेताओं को हिरासत में ले लिया था। म्यांमार में सैन्य तख्तापलट ने देश को अराजकता में डाल दिया। देश में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सैन्य प्रशासन जुटा लेकिन फिर भी सार्वजनिक जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इसके बाद तख्तापलट की अनुवाई करने वाले सेना के जनरल मिन ऑन्ग ह्लाइंग ने म्यांमार में एक साल की इमरजेंसी लगा दी। तख्तापलट के लिए म्यांमार में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सैकड़ों आम नागरिकों की जान चली गई। वहीं हाल में नोबेल पुरस्कार विजेता सू की को सेना के खिलाफ अंसतोष भड़काने और कोविड नियमों के उल्लंघन दो साल की सजा सुनाई गई है।
इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को छोड़ना पड़ा पद
इजराइल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को जून 2021 में 12 साल के कार्यकाल के बाद पद छोड़ना पड़ा। इसराइली संसद में नई गठबंधन सरकार के पक्ष में बहुमत होने के चलते नेतन्याहू को अपना पद गंवाना पड़ा था उनके बाद 49 साल के नेफ्ताली बेनेट इजराइल के प्रधानमंत्री बनें। बेनेट की अगुवाई में अलग- अगल विचारधारा के दलों ने गठबंधन कर इजराइल में नई सरकार का गठन किया। आम चुनाव से पहले इजराइल में नेतन्याहू के खिलाफ लगे भ्रष्ट्राचार के आरोप के कारण जनाक्रोश भी देखा गया था। यह भी दिलचस्प है कि इजराइल में दो साल से भी कम समय में चार बार चुनाव के कराए गए। इस कारण वहां राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई थी। नेतन्याहू इजराइल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं। वे पांच बार इजराइल के प्रधानमंत्री चुने गए। पहली बार वे 1996 से 1999 तक प्रधानमंत्री रहे, इसके बाद 2009 से 2021 तक वे लगातार सरकार का नेतृत्व करते रहे।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी, तालिबान ने गनी का तख्ता पलटा
15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया और तालिबान ने राष्ट्रपति पैलेस पर कब्जा कर लिया। इसके साथ ही अफगानिस्तान में फिर से तालिबान की वापसी हुई। एक साल पहले 2020 में अशरफ गनी को अफगानिस्तान की सत्ता में दोबारा वापसी हुई थी लेकिन वह राष्ट्रपति के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि 9/11 हमले की 20वीं बरसी से पहले 31 अगस्त तक सभी अमेरिकी सेनाओं को वापसी पूरी हो जाएगी, विदेशी सैनिकों के अंतिम टुकड़ी की वापसी शुरू होते ही तालिबान ने अपने हमले तेज किए और 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया। अशरफ गनी को देश छोड़कर भागना पड़ा। इस तख्तापलट के बाद से तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान की स्थिति बिगड़ती जा रही है। तालिबान के सत्ता में आते ही लोगों को तालिबानी सरकार के शासन का खौफ सताने लगा, जिसके बाद लोगों ने अफगानिस्तान छोड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान कई आम नागरिकों की जाने भी गईं। वहीं, तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिकी सैनिक 20 साल बाद पूरी तरह अफगानिस्तान छोड़ कर चले गए।
16 वर्षों बाद मर्केल युग का अंत, चांसलर एंजेला की हुई विदाई
8 आठ दिसंबर 2021 को 16 वर्षों से जर्मनी की चांसलर रहीं एंजेला मर्केल का युग खत्म हो गया और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ओलाफ शॉल्त्स ने जर्मनी की बागडोर अपने हाथों में ली। जर्मन पार्लियामेंट ने एंजेला मर्केल के उत्तराधिकारी के रूप में ओलाफ शोल्ज को नए चांसलर के रूप में नियुक्त किया है। बता दें कि 22 नवंबर 2005 को मर्केल जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनी थीं। एंजेला मर्केल के कार्यकाल की बात करें तो उन्होंने अपने कार्यकाल में चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों, पांच ब्रिटिश प्रधानमंत्रियों, चार फ्रांसीसी राष्ट्रपतियों और आठ इतालवी प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। साथ ही उन्होंने अपने कार्यकाल में चार प्रमुख चुनौतियों- वैश्विक वित्तीय संकट, यूरोप का ऋण संकट और कोविड-19 वैश्विक महामारी का सामना किया है।
नेपाल में भारी उथलपुथल, ओली को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका
इस साल जुलाई में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका दिया। सुप्रीम कोर्ट ओली को पद मुक्त कर शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है. शीर्ष अदालत ने संसद विघटन के राष्ट्रपति के फैसले को लगातार दूसरी बार रद्द कर दिया है । दरअसल ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति भंडारी ने पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था। राष्ट्रपति ने 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 30 याचिकाएं दाखिल की ग जिनपर फैसला ओली के खिलाफ आयाय़ नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने तमाम याचिकाओं के संदर्भ में संसद की पुनर्स्थापना का फैसला किया है और शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया।
चीन में नए राजनीतिक इतिहास को मंजूरी, शी जिनपिंग को मिला बड़ा दर्जा
राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दर्जे को और ऊंचा कर उन्हें पार्टी के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण नेताओं के समकक्ष रख दिया गया। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने देश के एक नए राजनीतिक इतिहास को मंजूरी दे दी जिसके तहत राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दर्जे को और ऊंचा कर उन्हें पार्टी के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण नेताओं के समकक्ष रख दिया गया। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने शी जिनपिंग को तीसरी बार राष्ट्रपति पदभार सौंपा। चीन में राष्ट्रपति पद के लिए किसी भी नेता को केवल दो कार्यकाल ही दिया जाता है, लेकिन शी जिनपिंग के लिए सीपीसी ने विशेष प्रस्ताव लाकर दो कार्यकाल की बाध्यता को खत्म कर दिया। अब शी जीवनभर चीनी प्रमुख पद पर बने रहेंगे। वह माओ त्से तुंग के बाद चीन के दूसरे ऐसे राष्ट्रपति होंगे, जो जीवन भर देश की नुमाइंदगी करेंगे।
400 साल बाद ब्रिटेन के चंगुल से आजाद हुआ ये देश
छोटा सा देश बारबाडो 400 साल बाद ब्रिटेन के चंगुल से आजाद हो गया। भारत की राजधानी दिल्ली से भी बहुत छोटा देश बारबाडोस दुनिया का सबसे नया गणतंत्र बन गया। दक्षिण-पूर्वी कैरेबियन सागर में स्थित कैरेबियाई द्वीप राष्ट्र बारबाडोस 30 नवंबर 1966 को ही आजाद हो गया था लेकिन यह ब्रिटेन के औपनिवेशक शासन के प्रभाव में बना रहा। हालांकि हाल ही में बारबडोस ने आधिकारिक तौर पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को अपने राष्ट्र के प्रमुख पद से हटा दिया और वर्ष 1625 में ब्रिटेन का उपनिवेश बनने के करीब 400 वर्ष बाद दुनिया का सबसे नया गणराज्य अस्तित्व में आया। हालांकि बारबडोस 54 राष्ट्रमंडल देशों में एक बना रहेगा। राष्ट्रमंडल उन देशों का एक अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है जो अधिकतर ब्रिटिश साम्राज्य व उस पर निर्भर क्षेत्र थे। इसकी स्थापना 1949 में लंदन घोषणापत्र द्वारा की गई थी और महारानी एलिजाबेथ द्वितीय राष्ट्रमंडल की प्रमुख हैं। बारबाडोस ने हाल ही में अपनी मानसिक गुलामी की बेड़ियों को तोड़ते हुए ये ऐलान किया था कि अब वो ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ को अपना राष्ट्राध्यक्ष नहीं मानेगा बल्कि उनकी जगह बारबाडोस में नए राष्ट्रपति को राष्ट्राध्यक्ष का दर्जा दिया जाएगा।