BRI के जरिए छोटे देशों को ऋण जाल में फंसाने के अलावा पारिस्थितिकी को भी नुकसान पहुंचा रहा चीनः Report

punjabkesari.in Sunday, Jan 02, 2022 - 05:13 PM (IST)

बीजिंगः चीन पर अपनी अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना के जरिए न सिर्फ कई छोटे देशों को  ऋण जाल में फंसा रहा है बल्कि पर्यावरण व पारिस्थितिकी को भी नुकसान पहुंचा रहा है। 'इनसाइडओवर' की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन  अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना को विभिन्‍न देशों के लिए आपसी लाभ के एक अवसर के रूप बताता है लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है । इस नई रिपोर्ट में  चीन के कपट को उजागर किया गया है।

 

रिपोर्ट में बताया गया कि BRI परियोजना बेकार खर्च, पारिस्थितिकी के विनाश और भारी कर्ज बोझ का पर्याय बन गई है और इसका उद्देश्य बस संबंधित देश के प्राकृतिक संसाधनों या आम लोगों के हितों की कीमत पर वहां के नेताओं और चीनी कंपनियों के लिए मुनाफा कमाना है। साल 2018 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, BRI से संबंधित 1,814 परियोजनाओं में से 270 में ऋण स्थिरता, श्रम और पर्यावरण मानकों, राष्ट्रीय सुरक्षा, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार से संबंधित समस्याएं थीं। अफ्रीका में चीनी कंपनियों ने कॉन्‍ट्रैक्ट के बदले रिश्वत देना स्वीकार किया है। 2017 में मैकिन्से सर्वे से पता चलता है कि अफ्रीका में 60-80 फीसदी चीनी कंपनियों ने अनुबंध हासिल करने में रिश्वत देने की बात स्वीकार की।

 

इसमें अफ्रीका के कई देशों और अन्‍य मुल्‍कों का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि चीन ने इन देशों में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। इसकी वजह से इन देशों में कुप्रबंधन और भ्रष्‍टाचार की समस्‍या पैदा हुई, जिसकी वजह से यहां के नेताओं और चीनी कंपनियों को तो लाभ मिल रहा है, लेकिन कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में ये देश चीन के जाल में फंसते जा रहे हैं और चीन इसका इस्‍तेमाल नव-औपनिवेशिक विस्‍तार के तौर पर कर रहा है।

 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस परियोजना के तहत विभ‍िन्‍न देशों में रेलवे, पुल, सड़क सहित जो भी निर्माण गतिविधियां हो रही हैं, उसमें पर्यावरण व पारिस्थितिकी से जुड़े नियमों का भी पालन नहीं हो रहा है और चीन के कर्ज तले दबी संबंधित देशों की सरकारें इस संबंध में चीनी कंपनियों के खिलाफ कोई सख्‍त कदम नहीं उठा पा रही हैं। इस तरह ये परियोजनाओं विभिन्‍न स्‍थानों पर पर्यावरण व पारिस्थितिकी को भी नुकसान पहुंचाती हैं।

 


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Content Writer

Tanuja

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