बेरूत में विनाशकारी विस्फोटक की मिस्ट्री से उठा पर्दा, तबाही को लेकर शिप के कैप्टन ने खोले Shocking राज (Pics)

punjabkesari.in Saturday, Aug 08, 2020 - 10:52 AM (IST)

बेरूत: लेबनान की राजधानी बेरूत में तबाही की वजह बना केमिकल यहां कैसे पहुंचा, इसको लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। लेबनान के एक शहर को आग, धुएं और मौत की आगोश मेंडुबो देने वाला ये खतरनाक विस्फोटक (अमोनियम नाइट्रेट) एक रूसी कार्गो शिप के जरिए 7 साल पहले यहां लाया गया था विनाश की इस खेप को 2013 में लाने वाले कैप्टन बोरिस प्रोकोशेव के मुताबिक, कंसाइनमेंट मालिक ने उन्हे एक्स्ट्रा कार्गो को उठाने के नाम पर शिप को बिना तय शेड्यूल के लेबनान में रोकने को कहा था। जहाज के कप्तान के मुताबिक उन्हें ये फैसला खटका था क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर एक जगह इतना केमिकल रखना सही फैसला नहीं था।

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प्रोकोशेव ने बताया कि शिप में 2750 टन बेहद ज्वलनशील केमिकल मौजूद था, जिसे जॉर्जिया से मोजांबिक जाना था लेकिन तभी उन्‍हें जहाज को बेरूत डॉयवर्ट करने का आदेश मिला। उनके मुताबिक विनाश का यह फैसला शायद किसी खास मकसद और लालच की वजह लिया गया हो। जहाज में मौजूद क्रू को अफ्रीका की ओर रवानगी से पहले जॉर्डन के पोर्ट ऑफ अक़ाबा से सड़क बनाने के काम आने वाले भारी उपकरणों की लोडिंग करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया था जबकि विनाश की वजह बने अमोनियन नाइट्रेट की ये खेप अफ्रीका के एक विस्फोटक बनाने वाले कारोबारी तक पहुंचाने के लिए जहाज में लाई गई थी। लेकिन बेरूत पहुंचने के बाद शिप फिर कहीं नहीं गया, जिसकी वजह एक्स्ट्रा कार्गो लोडिंग और पोर्ट फीस को लेकर शुरू हुआ कानूनी विवाद रही।

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70 साल के तत्कालीन इंचार्ज रहे प्रोकोशेव ने उस दौरान के पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसमें एक्स्ट्रा कार्गो लाने का जिक्र भी शामिल था। काला सागर के तट स्थित रूसी रिसॉर्ट टाउन सोची स्थित घर से फोन पर चर्चा करने वाले अधिकारी से पहले ये भी पूछा गया था कि क्या इतना केमिकल पूरी शिप को बर्बाद करने के लिए काफी था। इस पूरे प्रकरण में उस समय शिप के मालिक समेत कई लोगों की कानूनी प्रकिया के तहत गिरफ्तारी हुई, और कई महीनों बाद इस अमोनियम नाइट्रेट को एक गोदाम में ले जाया गया । दुर्भाग्य से बीते मंगलवार को इसी मौत के सामान तक आग पहुंची तो ऐसा धमाका हुआ जो शायद इससे पहले किसी और रिहायशी शहर में नहीं हुआ होगा। धमाके में 145 की मौत हुई और 5 हजार से ज्यादा जख्मी हो गए। इमारतें जमींदोज हो गईं और लाखों लोग बेघर हो गए। अब कहा जा रहा है कि अगर उस दौरान शिप में अतिरिक्त कार्गो लोड हो जाता तो शायद वह बेरूत से आगे बढ़ने में कामयाब हो जाता।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसी जहाज में काम करने वाले यूक्रेन के एक कर्मचारी बोरिस म्यूनिख ने बताया कि बाकी क्रू मेंबर्स ने खुदाई के काम आने वाले औजार, भारी रोड रोलर, शिप के दरवाजों के ऊपरी हिस्से में रखा, और उसी के नीचे बनी जगह में अमोनियम नाइट्रेट की खेप रखी गई थी। बोरिस ने भी फोन पर बताया कि जहाज काफी पुराना और एक ओर थोड़ा झुका था, इसलिए हमने कोई खतरा मोल नहीं लेने का फैसला किया। जहाज के कप्तान और 3 क्रू मेंबर्स उस समय शुरू हुई कानूनी लड़ाई की वजह से करीब 11 महीने वहीं रुके थे। इस दौरान न तो उन्हें कोई सेलरी मिली और जिंदा रहने भर का थोड़ा राशन और भोजन मिल जाता था। उन सभी के वहां से निकलने के बाद ही अमोनियम नाइट्रेट को शिप से उतारा गया होगा। प्रोकोशेव ने शिप मालिक की पहचान रूसी व्यवसाई आईगर ग्रेशुकिन के तौर पर की , लेकिन उनसे संपर्क करने की कोशिशे नाकाम रहीं।

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Tanuja

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