इतिहास की सबसे भीषण आग में जल रहा ऑस्ट्रेलियाः 50 करोड़ जानवरों की मौत, ऐसे शुरू हुई तबाही (Pics)
punjabkesari.in Sunday, Jan 05, 2020 - 11:09 AM (IST)
सिडनीः ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग के कारण भारी तबाही मची हुई है। इसे ऑस्ट्रेलिया के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा व भीषण अग्निकांड माना जा रहा है । ऑस्ट्रेलिया के जंगल लगातार 4 माह से धधक रहे हैं। आग को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने 13 जनवरी से शुरू होने वाली अपनी चार दिवसीय भारत यात्रा शनिवार को रद्द कर दी। हालांकि प्रधानमंत्री मॉरिसन ने कहा कि वह आगामी महीनों में सही समय पर एक बार फिर से यात्रा की तारीख तय करेंगे। वह 13 जनवरी से शुरू होने वाली अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापक द्विपक्षीय बातचीत करने वाले थे। चार महीने का समय बीत चुका है।लेकिन ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है।
सबसे अधिक मरे कोआला
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के इकोलॉजिस्ट के एक अनुमान अनुसार इस आग से झुलस कर अब तक 18 से अधिक लोगों व लगभग 50 करोड़ जानवरों की मौत हो चुकी है। इसमें स्तनधारी पशु, पक्षी और रेंगने वाले जीव सभी शामिल हैं। न्यू साउथ वेल्स के मध्य-उत्तरी इलाके में सबसे अधिक कोआला (जानवर) निवास करते हैं और जंगलों में लगी आग की वजह से उनकी आबादी में भारी गिरावट आई है।
Horrifying, apocalyptic footage of kangaroos fleeing as one of the Australian bushfires closes in -- captured in Monaro, New South Wales. pic.twitter.com/mhFhjHGENI
— Shiv Aroor (@ShivAroor) January 3, 2020
सैंकड़ों घर तबाह
जानकारी के अनुसार इस सप्ताह तट की ओर बढ़ रही आग ने 200 से अधिक घरों को भी नष्ट कर दिया है। कई लोग हालांकि अभी भी आग से प्रभावित क्षेत्रों में हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि आस्ट्रेलिया में इस सीजन में आग से संबंधित घटनाओं में कम से कम 18 लोगों की मौत हो चुकी है और यह संख्या आगे बढ़ने की संभावना है। विक्टोरिया के पूर्वी जीप्सलैंड में 43, जबकि न्यू साउथ वेल्स में 176 घर आग में नष्ट हुए हैं। इससे पहले बुधवार को न्यू साउथ वेल्स रूरल फायर सर्विस ने कहा था कि इस सीजन में 916 घर तबाह हुए हैं और 363 क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
इन क्षेत्रों में लगी है आग
ऑस्ट्रेलिया में आग सबसे पहले न्यू साउथ वेल्स स्टेट में लगी। राजधानी मेलबर्न और सिडनी इसी स्टेट में समुद्र के किनारे बसे हैं। यहां 70 लाख लोग रहते हैं। बाद में आग न्यू साउथ वेल्स के पड़ोसी स्टेट विक्टोरिया तक पहुंच गई। पिछले हफ्ते तटीय पर्यटक शहर मल्लकूटा के जंगलों में आग लगी थी। इस शहर से लगभग 4000 लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। यहां के वॉलेमी नेशनल पार्क, पोर्ट मैक्यूरी, न्यूकॉस्टल और ब्लूमाउंटेन्स इलाके के जंगलों में सबसे ज्यादा असर हुआ।
क्यों और कैसे लगी आग ?
ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग प्राकृतिक घटना है लेकिन, इस साल ऑस्ट्रेलिया में सूखा, रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची गर्मी और तेज हवाओं के कारण आग ज्यादा फैल गई। मौसम विभाग के मुताबिक, 2017 से ही पूर्वी ऑस्ट्रेलिया सूखे की मार झेल रहा है और नवंबर में बारिश रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई थी। मौसम विभाग द्वारा जारी विशेष रिपोर्ट में कहा गया था कि इस सीजन में गर्मी अधिक बढ़ सकती है, जिससे आग की घटनाएं सबसे ज्यादा बढ़ सकती हैं। सितंबर के महीने से ऑस्ट्रेलिया में गर्मी इसलिए बढ़ जाती है. क्योंकि यह पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है और इस समय सूर्य का दक्षिणायन होना शुरू होता है। ऐसे में सूर्य की रोशनी आस्ट्रेलिया पर सीधी पड़ती है।
कब शुरू हुईं आगजनी, कितना इलाका खाक हुआ खाक ?
सितंबर से ऑस्ट्रेलिया में आग लगने की घटनाएं शुरू हुईं। मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन में उत्तरी-पूर्वी न्यू साउथ वेल्स और दक्षिण-पूर्वी क्वींसलैंड में दिन का तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया, आर्द्रता सबसे कम है और हवाएं तेज चल रही हैं, जिस कारण आग लगने की स्थिति उत्पन्न होती है। जुलाई से अब तक न्यू साउथ वेल्स में 70 लाख एकड़ क्षेत्र जल चुका है। रूरल फायर सर्विस के मुताबिक, देश भर में 1.23 करोड़ एकड़ क्षेत्र आग की भेंट चढ़ चुका है। न्यू साउथ वेल्स में करीब 1400 घर जलकर खाक हो गए। कई जगहों पर आग की लपटें 230 फीट (70 मीटर) तक पहुंचीं। यह सिडनी ओपेरा हाउस की ऊंचाई 213 फीट से भी अधिक है।
विश्व की सबसे बड़ी फायर सर्विस दे रही सेवा:
न्यू साउथ वेल्स रूरल फायर सर्विस विश्व की सबसे बड़ी फायर सर्विस है। इसमें 74 हजार वॉलंटियर काम करते हैं। सरकार ने राहत कार्यों में जुटे वॉलंटियरों की वित्तीय मदद की घोषणा की है। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा, “वॉलंटियर्स ने इस काम के लिए वित्तीय मदद नहीं मांगी, लेकिन हम उन्हें समस्या नहीं आने देना चाहते।” आग में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए हेलिकॉप्टर की मदद ली जा रही है।