अफगानिस्तान के छात्र पाबंदियों के साथ लौटे काबुल

punjabkesari.in Sunday, Feb 27, 2022 - 01:31 PM (IST)

काबुल: अफगानिस्तान के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित उच्च शैक्षणिक संस्थानों में से एक काबुल विश्वविद्यालय तालिबान के देश पर कब्जा करने के छह महीने बाद शनिवार को फिर से खुल गया। छात्र-छात्राओं को कक्षाओं में अलग-अलग बैठने को कहा गया। साथ ही, छात्राओं के लिए इस्लामी पोशाक अनिवार्य की गयी है। हिजाब पहनकर आईं कई छात्राएं विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार के बाहर कतार में खड़ी थीं। छात्र अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अचानक बंद की गई कक्षाओं को बहाल करने को लेकर उत्सुक दिखे। तालिबान के सिपाही विश्वविद्यालय परिसर के तीन प्रवेश द्वारों पर पहरा दे रहे थे।

 

पहले विश्वविद्यालय में सह-शिक्षा की व्यवस्था थी जिसमें छात्र और छात्राएं को एक साथ बैठने की अनुमति थी। अधिकतर छात्रों ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि क्या उम्मीद करें लेकिन यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वे नियमित पाठ्यक्रम को फिर से शुरू कर सकते हैं और अध्ययन के अपने चुने हुए क्षेत्रों में आगे बढ़ सकते हैं। विश्वविद्यालय काफी हद तक अमेरिकी उदार कला मॉडल का अनुसरण करता है। संगीत विभाग को अब बंद कर दिया गया है। उच्च शिक्षा मंत्रालय के लिए तालिबान के प्रवक्ता अहमद तकी ने ‘एसोसिएटेड प्रेस' को एक वीडियो क्लिप में कहा, ‘‘काफी देरी के बाद सौभाग्य से सभी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को आज से खोल दिया गया।''

 

उन्होंने कहा, ‘‘इस्लामी अमीरात अफगानिस्तान की योजनाओं और नीतियों के आधार पर शिक्षा जारी रहेगी।'' मानव विज्ञान विषय की छात्रा बहिजा अमन (21) ने कहा, ‘‘पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मेरी कक्षाओं में अध्यापक भी पहले वाले ही हैं। मुझे खुशी है कि उन्होंने आखिरकार हमें विश्वविद्यालय लौटने दिया।'' अमन को स्नातक डिग्री पूरा करने और फिर डॉक्टरेट करने की उम्मीद है। पिछले छह महीने से वह घर पर ही पढ़ाई कर रही थीं। विश्वविद्यालय को खोले जाने का बहुत प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। तालिबान सरकार की ओर से कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की गई और परिसर में मीडिया के लोगों को भी प्रवेश नहीं दिया गया।

 

इस सप्ताह विश्वविद्यालय ने फेसबुक के जरिए एक बयान में घोषणा की कि छात्र शनिवार को कक्षाओं में लौट आएंगे और कक्षाएं धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का पालन करेंगी। अधिकतर विश्वविद्यालयों की तरह तालिबान के कब्जे के तुरंत बाद काबुल विश्वविद्यालय भी बंद हो गया था। यह मुद्दा कि क्या छात्राएं बिना किसी प्रतिबंध के वापस कक्षाओं में आ सकेंगी, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रमुख चिंता रही है। कई लोगों को आशंका थी कि तालिबान छात्राओं के कक्षाओं में आने पर प्रतिबंध लगा देगा जैसा कि 1996-2001 के दौरान पिछले शासन में उसने किया था। तालिबान ने कहा है कि उसे महिलाओं की शिक्षा पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन कक्षाओं को अलग करने और इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित होने की आवश्यकता है।

 

कुछ सरकारी विश्वविद्यालय इस महीने की शुरुआत में लाघम, नंगरहार, कंधार, निमरोज, फराह और हेलमंद प्रांतों में फिर से खोले गए। तालिबान ने यह भी कहा था कि महिला छात्रों को विशेष रूप से महिला प्रशिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन, विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर लौटने वाले छात्रों ने कहा कि उनके अध्यापक पुरुष और महिला दोनों थे। औपचारिक प्रतिबंध नहीं होने के बावजूद छह महीने पहले तालिबान के सत्ता में आने के बाद से कक्षा सात और इससे ऊपर की लड़कियों को देश के अधिकतर हिस्सों में स्कूल जाने से रोक दिया गया। तालिबान ने कहा है कि लड़कियां मार्च के अंत तक स्कूल लौट सकेंगी।


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Content Writer

Tanuja

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