अफगानिस्तान का खाली खजाना भरने के लिए अफीम की खेती को मान्यता देगा तालिबान !

punjabkesari.in Saturday, Oct 09, 2021 - 02:28 PM (IST)

काबुल: अफगानिस्तान पर कब्जे बाद तालिबान द्वारा देश में अफीम की खेती को खत्म करने का वादा दम तोड़ता नजर आ रहा है। अफगानिस्तान दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा अवैध आपूर्तिकर्ता बना हुआ है और इसके रुकने की कोई संभावना नहीं है।एक रिपोर्ट के अनुसार  तालिबान नेताओं ने संकेत दिया है कि वे अफीम की खेती को वैध बनाने पर विचार कर रहे हैं जिससे देश में नशीली दवाओं का कारोबार और फलने फूलने का खतरा बढ़ गया है। दरअसल आर्थिक तौर पर चारो खाने चित तालिबान अब अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अफीम व पोस्त की खेती को वैधता देने पर विचार कर रहा है।

 

रिपोर्ट के अनुसार तालिबान अब अफीम के कच्चे तत्‍व और उसके उपोत्‍पाद हेरोइन का खुलकर पोषण और खेती कर सकता है। तालिबान नेतृत्व के कुछ लोगों का मानना ​​है कि पोस्त को वैध बनाने से उन्हें अफगानिस्तान की युद्धग्रस्त अर्थव्यवस्था को विकसित करने में मदद मिलेगी। आंतरिक मंत्रालय काउंटर नारकोटिक्स के उप मंत्री हाजी अब्दुल हक अखोंड हमकर ने संकेत दिया कि खेती के संभावित "वैधीकरण" के लिए विकल्प अभी भी खुला है बशर्ते अफगानों को नुकसान न पहुंचे। कंधार में सूचना और संस्कृति निदेशक मावलवी नूर अहमद सईद का अनुमान है, "अगर ऐसा संभव है  तो इसे वैध बनाने पर काम करना सबसे अच्छा है। इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ने में मदद मिलेगी, और हमें इसमें बहुत अधिक प्रयास नहीं करना पड़ेगा क्योंकि यहां पहले से ही व्यापक रूप से खेती की जा रही है।"

 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में तालिबान नेतृत्व वाली नई सरकार  विदेशी सहायता रुकने, बेरोजगारी, कीमतों में वृद्धि, भुखमरी और सूखे के कारण देश में उत्पन्न मानवीय संकट के कारण बौखलाहट में है और व्यापार में तेजी के लिए विनाशकारी फैसले ले सकती है। अफगानिस्तान जो दुनिया की 90 प्रतिशत से अधिक हेरोइन का निर्यात करता है, को तालिबान की नीति के तहत नशीली दवाओं के व्यापार को नई गति मिल सकती है।  तालिबान को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से भुखमरी की कगार पर पहुंचे देश को राहत मिलेगी। यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम्स (UNODC ) के  अनुसार तालिबान को अपनी आय के मुख्य स्रोतों में अफीम व्यापार पर भरोसा है।

 

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका और अन्य देशों ने भी अफगानिस्तान के अवैध ड्रग कारोबार से उत्पन्न खतरों को नजरअंदाज  किया है। UNODC के  अनुसार वैश्विक अफीम और हेरोइन की आपूर्ति का 80 प्रतिशत से अधिक अफगानिस्तान से आ रहा है।  ऑस्ट्रेलिया और तुर्की जैसे देश  अफीम  का उपयोग ओपिओइड और अन्य महत्वपूर्ण दर्द निवारक दवाओं के लिए कानूनी  रूप में करते हैं। 

 

अफगानिस्तान दुनिया के शीर्ष अवैध दवा उत्पादक देशों में से एक रहा है। इस समय बड़ी संख्या में नशे के आदी लोग सड़कों पर हैं। कई रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि अफीम की खेती और मादक पदार्थों की तस्करी तालिबान के लिए मुख्य रूप से देश के दक्षिणी और उत्तरी हिस्सों में आय का एक बड़ा स्रोत प्रदान करती है। नशीली दवाओं की तस्करी का अधिकांश हिस्सा ईरान से होकर जाता है और तालिबान इससे मोटी कमाई करता है। तालिबान ने अब तक छोटे ड्रग डीलरों पर कार्रवाई की है लेकिन बड़े डीलरों को खुली छूट दे रखी है।


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Content Writer

Tanuja

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