UNHRC में चीन ने दलाई लामा के पुनर्जन्म मुद्दे पर की दखलअंदाजी, मिला करारा जवाब

punjabkesari.in Thursday, Oct 06, 2022 - 01:53 PM (IST)

जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 51 वें सत्र के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में चीन ने दलाई लामा के अगले अवतार को चुनने में हस्तक्षेप करने की कोशिश की। तिब्बत राइट्स कलेक्टिव (TRC) की रिपोर्ट के अनुसार, "जीवित बुद्धों के पुनर्जन्म के धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक रीति-रिवाजों पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार" नामक एक कार्यक्रम में, चीनी सरकार ने दलाई लामा के पुनर्जन्म पर अपने अधिकार क्षेत्र की "पुष्टि" करने का दावा किया। यह केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (CTA) कशाग (कैबिनेट) द्वारा हाल ही में अपनी स्थिति पर जोर देने के बाद आया है कि दलाई लामा के पुनर्जन्म के मामले में "किसी भी सरकार और न ही किसी व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का अधिकार है"।

 

रिपोर्ट में चाइना तिब्बतोलॉजी रिसर्च सेंटर (CTRC) के सीनियर फेलो और डायरेक्टर-जनरल झेंग डुई के हवाले से कहा गया कि "14 वें दलाई लामा के पुनर्जन्म से संबंधित मामले चीन में तिब्बती बौद्ध धर्म के घरेलू मामलों से संबंधित हैं, जिन्हें चीनी तिब्बती बौद्ध समुदाय और बहुसंख्यक धार्मिक विश्वासियों की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए, और चीनी सरकार के प्रबंधन को स्वीकार करना चाहिए " । उन्होंने कथित तौर पर कहा कि इस दावे का "न केवल पर्याप्त ऐतिहासिक आधार है, बल्कि वर्तमान कानून के प्रावधानों के अनुरूप है, जिसे कोई अलगाववादी ताकतें हिला नहीं सकती हैं"। चीन ने अवैध रूप से तिब्बत पर आक्रमण किया और आज भी तिब्बत को  कब्जाने के अपने प्रयासों को जारी रखा है। TRC की रिपोर्ट के अनुसार, चीन यह भी दावा करता है कि  तिब्बत चीन का हिस्सा रहा है। 

 

उधर, धर्मगुरु दलाईलामा के अवतार को लेकर चीन की ओर से किए जा रहे प्रचार पर निर्वासित तिब्बत सरकार ने दो टूक कहा है कि तिब्बतियों के धार्मिक गुरु दलाई लामा के अवतार पर चीन को निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। वास्‍तव में चीन चाहता है कि अगले दलाई लामा का निर्धारण चीन ही करे। धर्मगुरु दलाईलामा के अवतार को लेकर चीन सरकार ने 2007 में तथाकथित कानून बनाया है। जब से यह तथाकथित कानून बना है तब से चीन ने तिब्बत के सभी मठों का प्रशासनिक कार्य अपने अधीन कर लिया है। मुख्य इसके अलावा मुख्य रूप पुनर्जन्म वाले धर्मगुरुओं की पहचान की शक्ति पर पूर्ण रूप से नियंत्रण कर लिया है। चीन अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इसका उपयोग करना जारी रखा है।

 

तिब्बती प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने इस संबंध में एक पत्र जारी करते हुआ कहा कि चीन अपने इस तथाकथित कानून के प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न कार्यशालाएं व चर्चाएं आयोजित कर रहा है। इस कानून के माध्यम से धर्मगुरु दलाईलामा अवतार प्रक्रिया में अपना अधिकार रखना चाहता है। यह भी एक तथ्य है कि दलाईलामा के अवतार के मुद्दे पर तिब्बती समुदाय के भीतर और बाहर भी चर्चा जारी है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन इस स्थिति पत्र को जारी करते हुए अवतार के बारे में लोगों को बताने का प्रयास किया है।


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Content Writer

Tanuja

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