टाइम ट्रेवल कर 121 साल बाद लौटी है ग्रेटा थनबर्ग ! वायरल तस्वीरों ने मचाई सनसनी
punjabkesari.in Thursday, Nov 21, 2019 - 03:29 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में दुनिया के प्रमुख नेताओं को लताड़ लगाकर अपने भाषण से लोगों को आकर्षित करने वाली ग्रेटा थनबर्ग (16) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इसका कारण 121 साल पुरानी एक तस्वीर है। दरअसल, ग्रेटा थुनबर्ग जैसी दिखने वाली एक लड़की की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। इसके बाद से ट्विटर पर लोग ग्रेटा थुनबर्ग को टाइम ट्रेवलर बता रहे हैं और कह रहे हैं कि वह भूतकाल से वर्तमान में पर्यावरण को बचाने के लिए आई हैं।
पढ़ने में ये भले ही अजीब या झूठ लग रहा हो लेकिन 121 साल पुरानी तस्वीर को देख कर आप भी हैरान रह जाएंगे। एक लड़की जिसकी तस्वीर 121 साल पहले ली गई थी, अब वायरल हो रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के आर्काइव से खोजकर निकाली गई इस तस्वीर में तीन बच्चों को एक कुएं से पानी निकालते हुए देखा जा सकता है। एक लड़की जो तस्वीर में आगे बैठी हुई है, वह बिल्कुल ग्रेटा थनबर्ग जैसी दिख रही है। इस लड़की की चोटियां, इसके चेहरे की बनावट, इसकी आंखें- सब कुछ बिल्कुल ग्रेटा जैसी ही । साथ ही यह लड़की भी तस्वीर में वैसे ही घूरती दिख रही है, जैसी ग्रेटा की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को घूरती हुई तस्वीर कुछ हफ्तों पहले सामने आई थी।
कहां की है ग्रेटा जैसी लड़की की तस्वीर?
इतिहासकारों के मुताबिक यह फोटो 1898 में कनाडा में एक सोने की खदान के पास ली गई थी।इस साल की शुरुआत में, स्वीडन की रहने वाली ग्रेटा थनबर्ग ने पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण को लेकर जबरदस्त जागरूकता जगा दी थी। उनका UN क्लाइमेट एक्शन समिट में दिया गया, 'हाऊ डेयर यू' भाषण भी बहुत चर्चित रहा था और सोशल मीडिया पर इसे काफी शेयर किया गया था।
जानें कौन है ग्रेटा थनबर्ग
स्टॉकहोम में 3 जनवरी 2003 को जन्मी ग्रेटा की मां मालेना एमान एक अंतरराष्ट्रीय ओपेरा सिंगर हैं, जबकि पिता स्वांते थनबर्ग भी अभिनय की दुनिया का एक जाना माना नाम हैं। केवल आठ वर्ष की उम्र में ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना और उसे इस दिशा में बरती जा रही लापरवाही को लेकर चिंता होने लगी। ग्रेटा ने 'फ्राइडेज फॉर फ्यूचर' नाम का एक आंदोलन चला रखा है जिसके लिए शुक्रवार को बच्चे अपना स्कूल छोड़कर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदर्शन करते हैं। दुनिया भर से ग्रेटा के इस आंदोलन को समर्थन मिला है।