हुरला में बिठ पर्व की धूम, बुरांस के फूलों से हुई देवता की पूजा

punjabkesari.in Monday, Apr 18, 2022 - 11:05 AM (IST)

कुल्लू: जिला के हुरला में देवता मार्कंडेय ऋषि को समर्पित बिठ उत्सव दैविक रीति-रिवाजों के अनुसार मनाया गया। कारकूनों और हारियानों ने इस मौके पर हुरला के साथ लगती पहाड़ी से बुरांस के फूलों को एकत्रित कर बिठ को तैयार कर हुरला में देर शाम को पहुंचाया तो इसके बाद बीठ के फूलों को पाने के लिए हुई खींचतान देखने लायक थी। घाटी के देवताओं ने इस दौरान हारियानों को आशीर्वाद दिया। श्रेष्ठ मास माने जाने वाले बैसाख में घाटी के देवता अपनी दैविक शक्तियों को अर्जित करने के लिए पहाड़ों पर अपने दैविक स्थलों पर जाते हैं और देवशक्तियों को अर्जित करते हैं। इसके अलावा दैविक शक्तियों के जरिए देवता अपने हारियान क्षेत्र को एक साल तक ओलों और अतिवृष्टि के कहर से भी बचाते हैं। मकराहड़ मे देव दरबार में शुक्रवार सुबह हारियान देवाशीष लेने के लिए जुटे। इसके बाद ढोल-नगाड़ों की थाप पर कारकून करीब दस किलोमीटर ऊंची पहाड़ी पर पहुंचे। यहां पर कारकूनों ने जोगनी पूजन की प्रक्रिया को पूरा किया तो इसके बाद बुरांस के फूलों का देवता जिसे बिठ कहा जाता है।  उसे तैयार किया गया। इसे कारकूनों द्वारा सिर पर उठाकर हुरला में देवता के मंदिर में पहुंचाया गया। हुरला में बिठ के पहुंचने पर जोरदार स्वागत कारकूनों द्वारा किया गया। मंदिर में लाने के बाद बिठ के साथ देवताओं और देवलुओं ने अढ़ाई बार परिक्रमा की। इसके बाद दो गुटों में बंटे कारकूनों और हारियानों में बिठ के फूलों को प्राप्त करने के लिए खींचतान आरंभ हो गई। दोनों गुटों में इसके लिए कशमकश हुई और बुरांस के फूलों को देवता के शेष के तौर पर हारियानों ने एकत्रित किया। उक्त खींचतान दैविक उत्सव का आकर्षण की भी केंद्र रही। बताया जाता है कि उक्त फूलों को जो भी प्राप्त करता है वह भाग्यशाली होता है।


 

 


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