संतोषगढ़ में अष्टमी पर निकाली मां जगदम्बा की शोभायात्रा, हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर मांगीं मुरादें
punjabkesari.in Wednesday, Oct 13, 2021 - 06:48 PM (IST)
संतोषगढ़ (मनीश): नवरात्रों के शुभ अवसर पर आज अष्टमी के दिन संतोषगढ़ नगर में हर वर्ष की भांति मां जगदम्बे जी के भवन की शोभायात्रा को बड़ी श्रद्धा और धूमधाम के साथ निकाली गई। सुबह से ही वार्ड नंबर-9 में अश्विनी चब्बा के प्रांगण में इस झांकी की तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गईं थीं और मां के भजनों की गूंज से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया था। दोपहर बाद से ही यहां दूर-दूर से आए हजारों लोगों का तांता लगना शुरू हो गया था और सभी मां के दीदार को हाथ जोड़े श्रद्धामयी भाव से मां के जयकारे लगा रहे थे।
शाम को जैसे ही मां दुर्गा का रूप लिए रोहन शर्मा और भैरों बाबा का रूप धारण किए चन्द्र प्रभाकर तथा हनुमान के रूप में शिवांश चब्बा को तैयार करके भवन में लाया गया तो मां के जयकारों से सारा नगर गूंज उठा और फिर इस भवन को सैंकड़ों लोगों द्वारा कन्धों पर उठाकर पूरे बाजार में से पुराने बस स्टैंड तक ले जाया गया और फिर वापस उसी प्रांगण में लाकर रख दिया गया। मां के इस भवन को जब बाजार में ले जाया जा रहा था तो चारों तरफ श्रद्धालुओं की कतारें लगी हुई थीं और सभी जोरों से मां तथा भैरों बाबा के जयकारे लगा रहे थे। अंत में मूर्झित अवस्था में मां तथा भैरों बाबा को उठाकर अंदर ले जाया गया जहां भक्तों ने मां के पैर छू कर आर्शीवाद लिया तथा मन्नतें मांगी। फिर आरतियां करते हुए मां तथा भैरों बाबा की मूर्झा को उतारा गया और सभी को प्रसाद बांटा गया।
वर्षों से चली आ रही है परम्परा
सभा के प्रधान शिव कांत पराशर और निर्देशक सरबन सैणी द्वारा दी गई जानकारी के तहत प्राचीन समय से ही अष्टमी के दिन एक कुंवारे ब्राह्मण लडक़े को मां के रूप में तथा दूसरे को भैरों बाबा के रूप में सजाया जाता है। शाम को जैसे ही मां और भैरों बाबा को झांकी के लिए भवन में लाया जाता है तो मां की अपार शक्ति से दोनों मूर्झित हो जाते हैं और कुर्सी के बनाए सिहांसन पर बैठी मां मूर्छित अवस्था में झूलती रहती हैं लेकिन उनके हाथ में पकड़ी तलबार कभी नहीं छूटती। इसी तरह भैरों बाबा जो भवन में लगी घंटी को पकड़ कर मूर्छित अवस्था में जोर-जोर से झूलते रहते हैं लेकिन उनके हाथ से भी कभी घंटी नहीं छूटती। ईलाके के लोगों का मानना है कि मूर्छित अवस्था में मां के समक्ष श्रद्धा से जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो अवश्य पूरी होती है तथा इसी वजह से हर वर्ष हजारों लोग यहां आकर मनोकामना करते हैं तथा अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर माँ का शुकराना करते हैं और मां का आर्शीवाद लेते हैं। रात को रामलीला में भी इसी तरह से मां की झांकी निकाली गई।