पुलिस बांट रही खाद के टोकन, अपराधी हो गए बेखौफ : दीपेंद्र हुड्डा
punjabkesari.in Wednesday, Oct 20, 2021 - 08:47 PM (IST)
चंडीगढ़, (अर्चना सेठी)- सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश में खाद की घोर किल्लत और खाद की कालाबाजारी पर गहरी ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए कहा कि मंडियों में लुटा-पिटा किसान अब अगली फसल बुआई न हो पाने, फसल बर्बादी के डर से खाद पाने के लिए मिन्नतें कर रहा है। किसान का पूरा परिवार यहां तक कि घर के बुजुर्ग और बच्चे भी भूखे-प्यासे लाइनों में लगकर खाद का इंतजार कर रहे हैं लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल रही है।
किसान इस बात से दुखी है कि पर्याप्त खाद नहीं मिली तो अगली फसल की बिजाई भी नहीं हो पाएगी। इससे किसान पर दोहरी मार पड़ रही है। उसकी एक फसल तो बर्बाद हो गई और अब रबी की फसल की बिजाई नहीं हो पाएगी। इससे सबसे बुरी तरह से वो किसान मारा जाएगा जो ठेके पर जमीन लेकर खेती करके अपने परिवार को पालता है। उन्होंने आरोप लगाया कि खाद किल्लत के पीछे सीधे-सीधे कालाबाजारी प्रमुख कारण है। क्योंकि खाद किल्लत और कालाबाजारी का करीबी रिश्ता है, जो बिना सरकारी संरक्षण के संभव नहीं। दीपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश में खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाने और खाद की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की।
दीपेंद्र ने बताया कि पूरे प्रदेश में खाद किल्लत बनी हुई है। 62 को-ऑप्रेटिव मार्कीङ्क्षटग सोसायटीज और करीब 600 पैक्स समितियों में भी खाद उपलब्ध नहीं है। उन्होंने खाद की कमी नहीं होने के सरकार के खोखले दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर हरियाणा में खाद की किल्लत नहीं है तो थानों, पुलिस चौकियों से टोकन बांटने की नौबत क्यों आ गई है। पुलिस खाद के टोकन बांट रही है और प्रदेश में अपराधी बेखौफ हो गए हैं। प्रदेश भर से आ रही खबरें सरकारी दावों को झुठला रही हैं। खबरों से स्पष्ट है कि प्रदेश में 3 लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी. की जरूरत के सापेक्ष इस समय मात्र 40 हजार मीट्रिक टन डी.ए.पी. ही उपलब्ध है।
सांसद दीपेंद्र ने कहा कि प्रदेश के लगभग हर जिले में खाद की किल्लत को लेकर मचे हाहाकार के चलते किसानों को मजबूरन प्रदेश से सटे आसपास के जिलों में जाना पड़ रहा है। हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, पलवल आदि जिलों में सरसों की अगेती बुआई का समय है तो पानीपत, करनाल, अम्बाला जिलों में आलू बिजाई के लिए किसानों को डी.ए.पी. खाद किल्लत झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार खाद उपलब्धता के झूठे दावे करने की बजाय तुरंत पर्याप्त खाद उपलब्ध करवाने पर ध्यान दे।