गुजरात : अदालत ने 2013 में दर्ज दुष्कर्म के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई

punjabkesari.in Tuesday, Jan 31, 2023 - 10:57 PM (IST)

अहमदाबाद, 31 जनवरी (भाषा) गांधीनगर की एक अदालत ने मंगलवार को स्वयंभू बाबा आसाराम को 2013 में एक पूर्व महिला शिष्या द्वारा दायर बलात्कार के मामले में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

अदालत ने कहा कि पीड़िता की उम्र आरोपी की बेटी की उम्र से भी कम है और उसने समाज के खिलाफ ‘बहुत ही गंभीर’ अपराध किया और धार्मिक लोगों द्वारा शोषण की घटना को रोकने के लिए ‘‘अधिकतम सजा’’ दी जानी चाहिए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.के.सोनी ने आसाराम पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माने से प्राप्त राशि पीड़िता को दी जाएगी।
एक दिन पहले अदालत ने आसाराम को सूरत की महिला शिष्या के साथ वर्ष 2001 से वर्ष 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म करने के आरोप में वर्ष 2013 में दर्ज मामले में दोषी करार दिया था। महिला शिष्या के साथ दुष्कर्म की घटना तब हुई थी जब वह आसाराम के अहमदाबाद के मोंटेरा आश्रम में रह रही थी। अभियोजन पक्ष ने आसाराम को इसी तरह का अपराध जोधपुर आश्रम में करने के मामले में दोषी ठहराए जाने का हवाला देते हुए उसे ‘आदतन अपराधी’ बताया और सख्त सजा की मांग की थी। अदालत ने टिप्पणी की कि आसाराम अपराध की प्रकृति को देखते हुए सहानुभूति का हकदार नहीं है और उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देकर बचाव करने को वैध नहीं माना जा सकता। न्यायाधीश ने आदेश में कहा,‘‘ समाज में धार्मिक लोगों द्वारा शोषण को रोकने के लिए ऐसे जघन्य अपराध के दोषियों को खुला नहीं छोड़ा जा सकता और उन्हें कानून में उल्लेखित अधिकतम सजा दी जानी चाहिए।’’ वहीं बचाव पक्ष ने कहा कि वह इस फैसले को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती देगा। वर्तमान में जोधपुर जेल में बंद 81 वर्षीय आसाराम 2013 में राजस्थान में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

मंगलवार को गांधीनगर की अदालत में आसाराम की वीड़ियो कांफ्रेंस के जरिये अदालत पेशी हुई और इस दौरान न्यायाधीश ने फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष ने बताया कि अपराध में साथ देने और उकसाने के मामले में अदालत ने आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन, उसकी बेटी और चार अन्य शिष्यों सहित कुछ छह लोगों को सबूतों के अभाव में आरोप मुक्त कर दिया। विशेष लोक अभियोजक आरसी कोडेकर ने बताया, ‘‘अदालत ने मंगलवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(सी) (दुष्कर्म) और धारा- 377 (अप्राकृतिक अपराध) के तहत दोषी ठहराया। न्यायाधीश ने 50 हजार रुपये की जुर्माना राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया। बाकी धाराओं में एक साल की सजा सुनाई गई और उसपर मामूली जुर्माना लगाया गया।’’
उन्होंने बताया कि अदालत ने आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(सी) और 377 के अलावा धारा- 342 (अवैध तरीके से बंधक बनाना), 354 (महिला की सुचिता को भंग करने के लिए आपराधिक बल प्रयोग), धारा-357 (हमला) और धारा- 506 (आपराधिक धमकी) के तहत भी दोषी करार दिया। अभियोजन द्वारा मांगी गई उम्र कैद की सजा का विरोध करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने अदालत ने गुहार लगाई कि आसाराम की उम्र और पहले ही उम्र मिली उम्र कैद की सजा को देखते हुए 10 साल कारावास की सजा दी जाएग। आदेश में अदालत ने कहा कि आसाराम ने पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया जिसकी उम्र उसकी बेटी की उम्र से भी कम थी और इस अपराध को हल्के में नहीं लिया जा सकता। अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी ने समाज के खिलाफ गंभीर अपराध किया है और ऐसे जघन्य अपराध में सहानुभूति की कोई जगह नहीं है और कानून में उल्लेखित अधिकतम सजा दी जानी चाहिए।’’न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह केवल समाज की ही नहीं बल्कि अदालत की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि वह नजीर पेश करे और ऐसे व्यवहार को रोके। महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम सभी जिम्मेदारियों को साझा करते हैं।’’ अदालत ने कहा कि यह देखा गया है कि हमारे समाज में धार्मिक नेता को ऐसे व्यक्ति के तौर पर देखा जाता है तो अध्यात्म के जरिये प्रेम का प्रसार करेगा और सतसंग के जरिये भक्ति, धर्म और ज्ञान का प्रसार कर ईश्वर के सानिध्य में ले जाएगा। अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘यहां तक धार्मिक ग्रंथों में भी कहा गया है कि भगवान वहां रहते हैं जहां महिलाओं का सम्मान होता है...अगर हम महिलाओं को सम्मान देंगे तो हम पुरुषों के प्रति उनके रुख और धारना को बदल सकते हैं। संविधान का अनुच्छेद-15 भी महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान करता है।’’अदालत ने टिप्पणी की कि जब पीड़िता का यौन उत्पीड़न हुआ तो उसकी उम्र 20 से 21 साल के बीच थी जबकि आसाराम की उम्र 61 से 62 साल के बीच थी, यह साबित करता है कि उत्पीड़न की शिकार पीड़िता की उम्र उसकी बेटी की उम्र से भी थी और इस तरह के अपराध को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।

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PTI News Agency

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