गुजरात चुनाव: रुझानों में भाजपा भारी बहुमत से रिकार्ड जीत की ओर

punjabkesari.in Thursday, Dec 08, 2022 - 01:46 PM (IST)

अहमदाबाद, आठ दिसंबर (भाषा) गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) रिकार्ड जीत की ओर बढ़ती दिख रही है। पांचवें दौर की मतगणना के बाद वह विधानसभा की 182 सीटों में से 155 पर बढ़त हासिल कर चुकी है।

निर्वाचन आयोग के मुताबिक कांग्रेस 18 सीटों के साथ दूसरे और आम आदमी पार्टी छह सीटों के साथ तीसरे स्थान पर है। तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने बढ़त हासिल कर रखी है।

आंकड़ों के मुताबिक भाजपा को अभी तक 53.62 प्रतिशत मत मिले हैं जबकि कांग्रेस को 27 और आप को 13 प्रतिशत।

यही रूझान आगे भी जारी रहे तो भाजपा ना सिर्फ गुजरात विधानसभा चुनाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी, बल्कि वह 149 सीटों पर जीत के कांग्रेस के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ देगी।

कांग्रेस ने 1985 के चुनाव में माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में 149 सीटें जीती थी। राज्य विधानसभा के चुनाव में किसी भी दल द्वारा जीती गई सीटों की यह सर्वाधिक संख्या है। अभी तक यह एक रिकार्ड है।

भाजपा राज्य में लगातार सातवीं विधानसभा चुनाव जीत की ओर अग्रसर है। साल 1995 से उसने राज्य के सभी विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है। भाजपा यदि यह चुनाव जीत लेती है तो वह पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों के लगातार सात चुनाव के जीत के रिकार्ड की भी बराबरी कर लेगी।

‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस)’ के शोध कार्यक्रम ‘लोकनीति’ के सह-निदेशक संजय कुमार ने कहा कि भाजपा अगर गुजरात का चुनाव जीत लेती है तो इससे उसकी हौंसला आफजाई होगी।

उन्होंने कहा कि यह भाजपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह भरेगा और इस धारणा को मजबूत करेगा कि पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव जीतेगी।

मोदी सरकार बढ़ती महंगाई, धीमी वृद्धि और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से जूझ रही है, लेकिन आर्थिक परेशानियों से गुजरात में भाजपा की लोकप्रियता में सेंध लगने की संभावना नहीं है। गुजरात दशकों से भाजपा का गढ़ रहा है। मोदी 2001 से 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे।

गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना राज्य के 37 मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में बृहस्पतिवार सुबह शुरू हुई।

‘आप’ के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, जिससे कांग्रेस की परेशानी बढ़ी हुई है।

गुजरात में बहुमत के लिए कुल 182 सीट में से किसी भी पार्टी को 92 का आंकड़ा छूना होगा। चुनाव बाद के सर्वेक्षणों में भाजपा के आसान जीत दर्ज करने और लगातार सातवीं बार राज्य में सरकार बनाने का पूर्वानुमान लगाया गया है।

इस महीने की शुरुआत में हुए दो चरणों के चुनाव के नतीजों पर कांग्रेस और आप के प्रदर्शन पर अधिक नजरें थीं। दोनों दल राज्य में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल करने के लिए संघर्ष में उलझी हुई दिख रही हैं।

कांग्रेस से 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव के अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराने की उम्मीद नहीं थी। अब तक के रुझानों के मुताबिक कांग्रेस को आम आदमी पार्टी ने खास नुकसान पहुंचाया है। पार्टी की ओर से चुपचाप और बगैर भारी शोर शराबे के चुनावी अभियान चलाने की रणनीति विफल साबित होती दिख रही है।

कांग्रेस ने मुख्य रूप से घर-घर अभियान पर जोर दिया। साल 2017 के चुनावों में आक्रामक प्रचार करने वाले उसके नेता राहुल गांधी इस बार के चुनाव से दूर रहे। उनका पूरा जोर भारत जोड़ो यात्रा पर रहा। कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता भी चुनाव प्रचार से दूर रहे।

यह देखा जाना बाकी है कि इस चुनाव में आप के प्रदर्शन से क्या उसके नेता अरविंद केजरीवाल को 2024 में होने वाले संसदीय चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में अपनी जगह पक्की करने में मदद मिलती है या नहीं।

आप ने इस चुनाव में आक्रामक तरीके से चुनाव अभियान चलाया था। गुजरात का चुनाव उसके लिए खुद को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने का एक अवसर भी था।

भाजपा के कई विधायक अब तक के रुझानों में आगे चल रहे हैं। इनमें जीतू वाघानी, हार्दिक पटेल, पूर्णेश मोदी, कनुभाई देसाई और कई अन्य चर्चित चेहरे शामिल हैं।

कांग्रेस के दो प्रमुख नेता परेश धनानी और जिग्नेश मेवानी क्रमश: अमरेली और बडगाम में अपने-अपने प्रतिद्वंद्वियों से पीछे है। हालांकि उसके सबसे वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया पोरबंदर से जीत की ओर बढ़ रहे हैं।

आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी खम्भालिया विधानसभा सीट से आगे हैं। जमजोधपुर, देडियापारा, धारी, व्यारा, बोताड, भिलोदा, गरियाधर और लिंबायत और कुछ अन्य सीटों पर भी आप के उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं।

आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया सूरत के कतरगाम सीट पर पीछे हैं। वराछा रोड से आप के उम्मीदवार अल्पेश कथीरिया भी पीछे हैं।

धनेरा और वागोडिया से निर्दलीय उम्मीदवारों ने बढ़त हासिल कर रखी है।

भाजपा ने राज्य में 27 साल के शासन के बाद सत्ता विरोधी भावनाओं से जूझते हुए यह चुनाव लड़ा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी के लिए ‘तुरुप का इक्का’ थे और सत्तारूढ़ दल ने सत्ता विरोधी लहर के मुकाबले के लिये ‘ब्रांड मोदी’ पर भरोसा किया।

चुनावों में प्रमुख मुद्दों में बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि, राज्य के कुछ हिस्सों में पानी नहीं पहुंचना, बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण और किसानों को अत्यधिक बारिश के कारण फसल क्षति का उचित मुआवजा नहीं मिलना था।

इस बार मतदान प्रतिशत 2017 की तुलना में लगभग चार प्रतिशत कम हुआ। राज्य में 2017 में 68.39 प्रतिशत के मुकाबले इस बार सिर्फ 64.33 प्रतिशत मतदान हुआ।

साल 2017 में भाजपा ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थी। भारतीय ट्राइबल पार्टी को दो और एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के खाते में गई थी। तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जीत हासिल की थी।



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