गुजरात में बिनौला के खेतों में 1.3 लाख बच्चे मजदूरी कर रहे: गैर सरकारी संगठन

punjabkesari.in Tuesday, Oct 20, 2020 - 05:07 PM (IST)

अहमदाबाद, 20 अक्टूबर (भाषा) गुजरात में कपास की खेती के जरिये बिनौला उत्पादन के लिए करीब 1.30 लाख बच्चों को अवैध तरीके से खेतों में मजदूरी पर लगाया गया है और मजदूरी करने वाले इन बच्चों में बड़ी संख्या आदिवासी बच्चों की है। शहर स्थित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने यह दावा किया है।
इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य श्रम विभाग के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि वह एनजीओ द्वारा चिह्नित संबंधित क्षेत्रों में टीमों को भेजेंगे और अगर कोई भी गड़बड़ी पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।
एक गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर लेबर रिसर्च एंड एक्शन के सुधीर कटियार ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि बीज कंपनियों से किसानों को कम कीमत मिलना इसकी बड़ी वजह है और इसी के चलते खेती के लिए व्यस्कों के बजाय बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि उन्हें कम पैसे देने पड़ते हैं।

कटियार ने दावा किया, ‘‘ एक अध्ययन के अनुसार, आदिवासी बच्चों को एक दिन की मजदूरी सिर्फ 150 रुपये दी जाती है, जिस पर व्यस्क कभी काम करने को तैयार नहीं होंगे। बिनौला खेतों में 1.30 लाख बच्चे काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि 10 साल पहले उत्तरी गुजरात में इस तरह के खेतों में बच्चों से काम कराने को लेकर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के बाद अब यह उद्योग बनासकांठा, साबरकांठा, अरवल्ली, महीसागर और छोटा उदयपुर जिलों में स्थानांतरित हो गया।
कटियार ने कहा, ‘‘ हालांकि स्थानांतरण की वजह से पलायन और बाल तस्करी दक्षिणी राजस्थान क्षेत्र में उल्लेखनीय रूप से कम हुई लेकिन बिनौला उद्योग में बाल मजदूरी जारी है क्योंकि स्थानीय आदिवासी बच्चे इन खेतों में काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि इस अवैध चलन को रोकने के लिए बिनौला क्षेत्र की कंपनियों को किसानों को इसके लिए बेहतर कीमतें देनी चाहिए।

इस संबंध में संपर्क करने पर राज्य के उप श्रम आयुक्त एम सी कारिया ने पीटीआई-भाषा को बताया कि उन्होंने कटियार की ओर से उठाए गए मुद्दे का संज्ञान लिया है और जरूरत पड़ी तो कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि वह संबंधित क्षेत्रों में जांच के लिए दलों को भेजेंगे।


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PTI News Agency

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