Exclusive Interview: देश के बच्चों तक पहुंचे मेरी दहाड़, उन्हें पता होना चाहिए कैसे थे हमारे पुर्वज

punjabkesari.in Friday, Jun 03, 2022 - 04:10 PM (IST)

नई दिल्ली : ‘सम्राट पृथ्वीराज’ को लेकर दर्शकों में खासा उत्साह है। अक्षय कुमार भी इसका जमकर प्रमोशन कर रहे हैं। इंडस्ट्री में पीरियड फिल्में पहले से बन रहीं हैं और दर्शकों को पसंद भी आती हैं। इस फिल्म का निर्देशन डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने किया है। मानुषी छिल्लर की यह पहली फिल्म है। अक्षय और मानुषी अभिनीत 'पृथ्वीराज' आज थिएटर में रिलीज हो गई है।

1. पृथ्वीराज चौहान पर फिल्म बनाने का आइडिया कैसे आया ?

मैंने अभी तक ज्यादातर एतिहासिक फिल्मों पर ही काम किया है। भारत के अतीत को अगर हम देखें तो ऐसा पराक्रमी सम्राट जिसका शोर्या इतना विशाल है और जिनकी समाज को लेकर अनोखी 
सोच थी। मुझे लगा ये चरित्र हमारे दर्शकों से अनजाना है, अगर आप डिस्कवरी के एपिसोड्स को छोड़ दें तो जो भी फिल्में बनीं है, वो आजादी के आस- पास ही बनी है। तो मुझे लगा कि इस पर 
फिल्म बननी चाहिए। 

Review: डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के निर्देशन का कमाल, ‘सम्राट पृथ्वीराज’ के रूप में छाए अक्षय कुमार

2. आजकल हिंदुत्व को जाग्रत करने की खूब बातें हो रहीं हैं, तो क्या हम इस फिल्म को भी इससे जोड़ कर देखें ? 

इस पर डायरेक्टर चंद्रप्रकाश जी कहते हैं कि मैं इसे हिंदुत्व के तौर पर नहीं बल्कि राष्ट्रियता के तौर पर देखता हूं। हमारी राष्ट्रियता क्या है, मैं भारत का नागरिक हू तो मेरा विश्वास किसमें होना चाहिए। जब आप हिंदुत्व की बात करते हैं, तो वो मेरे लिए राष्ट्रियता की बात है। देश के प्रति प्रेम मेरे लिए मायने रखता है। चाहे वो अक्षय जी हों या श्री आदित्या जी हम तीनों के दीमाग में एक बात स्पष्ट थी कि हम एक राष्ट्र नायक के बारे में बात कर रहे हैं। 

3. सम्राट पृथ्वीराज 800 साल से भी ज्यादा पुराने शासक थे, तो क्या इस फिल्म के जरिए नई पिढ़ी को मनोरंन के साथ - साथ इतिहास बोध कराने की कोशिश मानते हैं ? 

डायरेक्टर चंद्रप्रकाश कहते है जी हां बिल्कुल यही कोशिश है कि मनोरंजन के साथ - साथ इतिहास का बोध हो। मैं चाहता हूं लोगों में, बच्चों में, छात्रों में और नए निर्देशकों में इतहास के प्रति रुचि जागृत हो। 

4. इंडस्ट्री में बहुत सी अनुभवी अभिनेत्रियां हैं। आपने मानुषी को संयोगिता के रूप में क्यों चुना ?

इसका जवाब देते हुए चंद्रप्रकाश जी कहते हैं मेरे दिमाग में सिर्फ ये बात स्पष्ट थी कि जिन्होंने कर लिया उनके पास एक और भुमिका  ले जाने का कोई अर्थ नहीं हैं। जब मैं श्री आदित्या जी से मिला तो उन्होंने मुझसे कहा कि डॉक्टर साहब आपके दिमाग में कोई एक्ट्रेस है इस किरदार के लिए, तो मैनें कहा कि एक बार 2017 की मिस वल्र्ड मानुषी से आपको जरूर मिलना चाहिए। मैनें उनके इंटरव्यू के छोटे- छोटे क्लिप देखें थे। उनका स्वर बहुत अच्छा है, वो हिंदी भी बहुत अच्छी बोलती हैं। उन्हें पूरी दुनिया विश्व सुंदरी मानती है और संयोगिता भी बहुत खूबसूरत थीं। दूसरी बात हम 
दोनों ने 9 महीने तक हर रोज लगातार यह स्क्रिप्ट पढ़ी है और इसका परिणाम आप फिल्म में देखेंगे तो हैरान हो जाएंगे। 

5. फिल्म की एडवांस बुकिंग भी हो रही है, तो आपको क्या लगता है कि फिल्म कितना कमा पाएगी ?

मैनें कभी बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के बारे में नहीं सोचा। हां मैं चाहता हूं आदित्या चोपड़ा जी इस फिल्म से खूब पैसा कमाएं। यह फिल्म चलेगी तो लोग इतिहास के प्रति जागरुक भी होंगे। मेरा ये भी मानना है कि किसी भी फिल्म का मुल्यांकन उसकी कमाई से नहीं करना चाहिए। फिल्मों को एक ही तरह से जाना जाता है हिट या फ्लॉप। इसके पीछे का रिजन क्या है यह कोई जानना नहीं चाहता। 

अक्षय कुमार

1. हमने किताबों में मुगल शासकों के बारे में तो काफी पढ़ा है लेकिन सम्राट पृथ्वीराज को सिर्फ एक - दो पैराग्राफ में समेट दिया गया है ?

इस पर अक्षय कहते हैं कि सिर्फ सम्राट पृथ्वीराज ही नहीं चाहे वो महाराणा प्रताप हो या रानी लक्ष्मीबाई हो इनके बारे में बहुत कम पढ़ने को मिलेगा। हिंदु सम्राटों को एक-दो पैराग्राफ में ही समेटा गया है। 

2. जब आपके पास इस फिल्म का ऑफर आया तो आपने एकदम हां कर दिया या इतिहास को कुरेदने की कोशिश की ?

अक्षय कहते हैं सबसे पहले मैं बताना चाहूंगा कि जब मैं छटवीं औऱ सातवीं क्लास में पढ़ता था, तो उस समय बहुत कम हिंदु सम्राटों के बारे में पढ़ा। वहीं जब मैं चंद्रप्रकाश जी के साथ बैठा तो पूरे ढाई- तीन घंटे की नरेशन पढ़ी औऱ उसके बाद सबसे पहले मैनें चंद्रप्रकाश जी से सवाल किया कि क्या ये सब सच है, ये सच में हुआ था। इन्होंने कहा हां ये सब सच है। फिर मुझे लगा कि हमने इस बारे में कभी क्यों नहीं पढ़ा। हमने मुगलों के बारे में और ब्रिटिश के बारे में खूब पढ़ा है, मैं ये नहीं कहता कि हमें मुगल्स के बारे में नहीं जानना चाहिए, लेकिन पूरी किताब में बैलेंस रखना चाहिए। हमें हमारे योद्धाओं के बारे में बताना तो चाहिए। हैरान करने वाली बात तो ये है कि जब मैनें अपने बेटे आरव को कहा कि मैं इस फिल्म पर काम कर रहा हूं, तो उसने बोला कौन थे वो। अब इसमें उसकी गलती भी नहीं है, जब बताएंगे ही नही तो कैसे बताएंगे। 

3. आपने कई एतिहासिक फिल्मों में काम किया है और ये केसरी के बाद दूसरी एतिहासिक फिल्म है, तो क्या इस तरह की फिल्मों में रुचि ज्यादा हो रही है?

देखिए ऐसा है कि अच्छी स्क्रिप्ट, अच्छा निर्देशक और अच्छा प्रोड्यूसर  मिल जाए तो काम क्यों नहीं करेंगे। 

4. मानुषी छिल्लर की ये डेब्यू फिल्म है, कैसा रहा उनके साथ काम करना ?
  

अक्षय हंसते हुए कहते हैं कि मैं अपनी बात बताता हूं जब मैं इंडस्ट्री में आया था, तो मुझे कैमेरा फेस करना तक नहीं आता था, डरता भी था, लाइने कैसे बोलनी है समझ नहीं आता था। लेकिन अब  
जो जनरेशन है वो तो सब जानती है। मानुषी के साथ काम करके लगा ही नहीं कि वो पहली फिल्म कर रहीं हैं, ऐसी लगता था वो चालीसवीं या पचासवीं फिल्म कर रहीं है। वो सब बड़े - बड़े चैनल्स 
के साथ इंटरव्यू कर चुकीं हैं। 

5. छोरियां छोरों से कम नहीं होती, यह हरियाणा की एक कहावत है और मानुषी हरियाणा से हैं, इस पर आप क्या कहेंगे ?

जी मैं तो हमेशा से कहता हूं कि महिलाएं हमसे कम नहीं बल्कि ज्यादा हैं। मैने यह खुद एक्सपिरिएंस किया है।  वक्त आने पर उनकी पॉवर ज्यादा होती है। मेरे पास इसका साइंटिफिक रिजन भी है। उसके बाद अक्षय एक किस्सा शेयर करते हुए बताते हैं कि कैनेड़ा में टेक्निकल प्राब्लम की वजह से एक प्लेन की एमरजेंसी लैंडिंग हुई थी, तो लोगों को बोल दिया गया था कि कुछ भी हो सकता है, पहली बार पानी के उपर लैंडिंग हो रही है। यह सुनकर सब घबराए हुए थे, सबका दिल धक-धक कर रहा था, सब अपने- अपने भगवान को याद कर रहे थे। उसके बाद जैसे - तैसे प्लेन लैंड हुआ सबको फटाफट उतारा गया। उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जो हैरान करने वाला था। दरअसल वहां बदबू आ रही थी। 87 पर्सेंट मर्दों का पेशाब डर से निकल गया था औऱ इसमें सिर्फ 6 पर्सेंट महिलाएं शामिल थी। 

6. विक्की कोशल, कार्तिक आर्यन, आयुष्मान खुराना और राजकुमार राव जैसे एकटर्स का अच्छा काम कर रहे हैं। आप इन्हें चुनौती मानते हैं ?

जी नहीं चुनौती की तो बात ही नहीं है। देखिए साल में इंडस्ट्री में 180 फिल्में बनती हैं। हम गिनती की 9 से 10 फिल्में कर पाते हैं, कुछ लोग है 2 से 3 फिल्में करते हैं। इस तरह 40 फिल्में लगा 
लिजिए उसके बाद आप ये बताइए 140 फिल्मों का क्या होगा। तो कॉम्पिटिशन सोचने का तो कोई मतलब ही नहीं होता। 

7. इस फिल्म में आपकी दहाड़ कहां तक जाएगी। आपको क्या लगता है ?  
जी देखिए मैनें ये फिल्म अपने बेटे की एक लाइन पर की थी, तो मैं चाहता हूं मेरी दहाड़ हर उस बच्चे के पास जाए जो स्कूल में पढ़ता है और जो नहीं भी पढ़ता है वो भी अपने इतहास के बारे में जानें। उन्हें पता होना चाहिए हमारे पुर्वज कैसे थे। सच कहूं तो मैने इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत की है। ये तो वक्त ही बताएगा कि लोगों को कितनी पसंद आती है। ये जरूर कहूंगा कि यह मेरी बेहतरीन फिल्मों में से एक है।


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Content Writer

Jyotsna Rawat

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