Young Achievers Records 2019: कम उम्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल करने वाले छात्र

punjabkesari.in Friday, Dec 20, 2019 - 03:43 PM (IST)

नई दिल्ली: आधुनिक युग में कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं है, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो करियर को आसानी से ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। लेकिन कुछ ऐसे स्टूडेंट्स हैं जिन्होंने बेहद कम उम्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इन्हीं होनहारों में बहुत से नौजवान है जिन्होंने आने वाली युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम की है, जैसे- तमिलनाडु की 10वीं की छात्रा जे.धान्या तसनेम, राष्ट्रम आदित्य, नीट परीक्षा में पास करने वाले साजन राय दिव्यांग, आईआईटी गांधीनगर छात्र क्रिस फ्रांसिस और प्रवीण वेंकटेश।  

ये हैं कम उम्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल करने वाले छात्र 

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---पैरों से लिखकर 10 वीं परीक्षा की पास, IAS बनने का है सपना --देविका
दुनिया में सक्सेस स्टोरी की कमी नहीं है लेकिन आज एक ऐसी सक्सेस स्टोरी की बात करने जा रहे है जिसमें बिना हाथों के जन्म लेने वाली देविका ने पैरों से लिखकर दसवीं की परीक्षा दी थी। कहते हैं, इन्सान कोई भी जंग हाथों से नहीं बल्कि हौसले से जीतता है। केरल की देविका ने इसे सच कर दिखाया है। बिना हाथों के जन्मी देविका को सबसे पहला हौसला दिया उसकी पहली गुरु यानी मां ने। देविका को इस वर्ष 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में सभी विषयों में A+ स्कोर मिला है। "देविका की कहानी हमें सिखाती है कि इंसान अगर सफल होना चाहे तो कोई भी अक्षमता उसके आड़े नहीं आती, वो सभी मुश्किलों को हराकर आगे बढ़ सकते हैं।"

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---7वीं का छात्र बना डेटा साइंट‍िस्‍ट--सिद्धार्थ श्रीवास्तव पिल्ली
यह सफलता की कहानी महज 12 साल के छात्र की है, जो हैदराबाद में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में डेटा साइंटिस्ट के तौर पर काम करता है। इसके बाद से ही यह बच्चा चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें, सिद्धार्थ श्रीवास्तव पिल्ली सातवीं कक्षा के छात्र हैं और श्री चैतन्य स्कूल से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। उन्हें हैदराबाद की सॉफ्टवेयर कंपनी मॉन्टेनके स्मार्ट बिजनेस सॉल्यूशंस ने डाटा साइंटिस्ट की पोजिशन पर रखा है। सिद्धार्थ ने गूगल में काफी छोटी उम्र में काम करना शुरू कर दिया था और वह दुनिया को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस क्रांति कितनी खूबसूरत है।''    

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--- 10वीं की छात्रा को मिलेगा NASA जाने का मौका-  जे.धान्या तसनेम
तमिलनाडु की रहने वाली 10वीं की छात्रा जे.धान्या तसनेम को नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन जाने का मौका मिला है। कक्षा 10 में पढ़ने वाली जे.धान्या तसनेम NASA की यात्रा और अंतरिक्ष यात्रियों से बात करने के लिए तैयार हैं। बता दें कि अमेरिका स्थित ऑनलाइन ट्यूटरिंग व शैक्षिक भ्रमण सेवा कंपनी गो4गुरु के मंगलवार को जारी बयान के अनुसार, जे. धन्या अक्टूबर के पहले हफ्ते में नासा जाएंगी। तसनेम नेशनल स्पेस साइंस कंटेस्ट 2019 की तीन विजेताओं में एक हैं। यह एक ऑनलाइन साइंस एप्टीट्यूट एंड जनरल नॉलेज टेस्ट है। इसका आयोजन इस साल की शुरुआत में गो4गुरु ने किया था। 

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---महज 15 साल की उम्र में मिलेगी UGC की National Fellowship
हर जीवन की कहानी एक सी नहीं होती, लेकिन किसी मोड़ पर कुछ ऐसा होता है जिससे पूरी कहानी बदल जाती है। कुछ ऐसे भी होते हैं जो बेहद कम उम्र में बहुत सारी उपलब्धियां हासिल कर लेते हैं। इन्हीं होनहारों में से एक हैं सुषमा वर्मा। सुषमा वर्मा की उम्र इस समय मात्र 19 साल है। सुषमा ने महज 15 की उम्र में पोस्ट ग्रैजुएशन कर रिकॉर्ड बनाया और एक उपलब्धि अपने नाम की है। सबसे खास बात है कि छोटी उम्र में अपनी स्कूल पढ़ाई और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए सुषमा का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी नाम दर्ज हो चुका है। सुषमा का कहना है कि उनकी रिसर्च फेलोशिप का मुख्य उद्देश्य एमफिल और पीएचडी कर रहे ओबीसी स्टूडेंट्स की आर्थिक सहायता करना है।

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---बैसाखी पर मीलों सफर किया तय, डॉक्टर बनने का सपना हुआ पूरा 
हर साल बहुत से छात्र नीट परीक्षा में अच्छा रैंक हासिल कर डॉक्टर बनने का सपना पूरा करते है। एक ऐसे ही छात्र की बात करने जा रहे है जिसने दिव्यांग होने के बावजूद भी नीट परीक्षा पास कर मिसाल कायम की है। मिलिए साजन राय से जिन्होंने सपनों को साकार करने के लिए बैसाखी पर मीलों का सफर तय किया। नीट परीक्षा पास कर उसने यह साबित कर दिया कि चाहे परिस्थिति कितनी भी खराब हो इंसान कड़ी मेहनत कर अपने सपनों को साकार कर सकता है। "राय का मानना है कि शारीरिक रूप से विकलांग होना कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि एक चुनौती है जिसका सामना दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए।" 

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---कम उम्र में मैथ्स ओलंपियाड में गोल्ड मेडल जीते प्रांजल
सीबीएसई की ओर से यूनाइटेड किंगडम में इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड - 2019 प्रतियोगिता में प्रांजल ने गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया।  मैथ्स ओलंपियाड दुनिया भर में प्रतियोगिताओं का सबसे बड़ा और कठिन खेल माना जाता है। वह गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत की ओर से सबसे कम उम्र के छात्र बन गए हैं। इस प्रतियोगिता में 210 देश थे और 600 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था लेकिन प्रांजल ने गोल्ड मेडल जीतकर युवा पीढी के लिए मिसाल कायम की है। नेशनल-इंटरनेशनल लेवल के ये एग्जाम क्लास 1 से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए होते हैं। 

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Author

Riya bawa

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