खालसा कॉलेजों के सिख कोटे में गड़बड़ी

punjabkesari.in Monday, Aug 19, 2019 - 10:55 AM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के खालसा कॉलेजों व उच्च शिक्षा संस्थानों में मौजूदा शिक्षण सत्र के दौरान सिख अल्पसंख्यक कोटे के तहत हुए दाखिलों में बड़ी गड़बड़ी हुई है। इसके तहत भारी संख्या में अपात्र बच्चों को दाखिला कराया गया है। इसमें लाखों रुपए का खेल भी होने की संभावना जताई जा रही है। कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने रविवार को इसका खुलासा किया है। साथ ही बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के 4 खालसा कॉलेजों व गुरु गोबिंद सिंह यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त कमेटी के 6 संस्थानों में इस बार सिख कोटे की लगभग आधी सीटों पर गैर साबत सूरत सिख बच्चों का दाखिला हुआ है। PunjabKesari

जीके ने दावा किया कि इन दाखिलों के एवज में कमेटी के लोगों से मोटी रकम वसूली है, जिसकी वह पड़ताल कर रहे हैं। जीके ने बताया कि कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने 16 अगस्त 2019 को कमेटी के सभी कॉलेजों व संस्थानों के प्रिंसिपलों/ निदेशकों को पत्र संख्या 11822 लिखा है। इसमें सिरसा ने माना है कि सिख अल्पसंख्यक कोटे की सीटों पर दाढ़ी व केश काटने वाले बच्चों के इस बार दाखिला लेने में कामयाब होने की शिकायतें सामने आ रहीं है जो कि कौम के प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए ठीक चलन नहीं है। 

इसलिए ऐसे बच्चों पर सख्त नजर रखते हुए उन्हें नियत समय तक कक्षा में बैठने नहीं दिया जाए, जब तक कि वो सिक्खी की मुख्यधारा में वापस नहीं आ जाते। जीके ने कहा कि सिरसा की चिठ्ठी एक तरह से दाखिला घोटाले को दबाने की नाकाम कोशिश है। क्योंकि उनके कुछ खास समर्थकों के द्वारा इस घोटाले को अंजाम देने के लिए कथित रूप से कमेटी पदाधिकारियों का संरक्षण लिया गया था। इसका खुलासा वह जल्दी करेंगे। 

कैसे मिलता है सिक्खी का प्रमाण पत्र
बता दें कि जीके के अध्यक्ष रहते दिल्ली विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त 4 खालसा कॉलेजों को अल्पसंख्यक सिख संस्थान का दर्जा मिला था। इसके बाद 50 फीसदी सीटें सिख बच्चों के लिए आरक्षित हो गई थी। उक्त आरक्षित सीट पर दाखिल होने की पात्रता कमेटी दफ्तर गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब से बच्चे को जारी प्रमाण पत्र से मिलती थी। पात्रता की पहली शर्त ही विधार्थी के साथ उसके माता-पिता का साबत सूरत होना और नाम में सिंह/कौर लिखा होना अनिवार्य है। इस प्रमाण पत्र पर कमेटी के पदाधिकारी के द्वारा पूर्ण रूप से विधार्थी के सिख होने की जांच करने के बाद ही दस्तखत किए जाते थे। इसी प्रमाण पत्र को देखकर ही कॉलेज विधार्थी के नम्बर/रैंक और मैरिट के आधार पर सीट आवांटित करता है।


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Author

Riya bawa

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