JNU की ऐडमिशन पॉलिसी में नहीं होगा बदलाव

punjabkesari.in Monday, Mar 20, 2017 - 03:04 PM (IST)

नई दिल्ली  : जेएनयू में अब रिसर्च प्रोग्राम में दाखिले की इसकी मौजूदा पॉलिसी ज्यादा दिनों तक लागू नहीं रहेगी। गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) के नोटिफिकेशन के खिलाफ जेएनयू के छात्रों की याचिका को खारिज किया है और कहा कि सभी यूनिवर्सिटियों को कमिशन की गाइडलाइंस पर अमल करें और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। बता दें कि एमफिल और पीएचडी कोर्सों में जेएनयू की मौजूदा ऐडमिशन पॉलिसी में लिखित परीक्षा का वेटेज 70 है और इंटरव्यू का 30 जबकि यूजीसी के नियम के मुताबिक वाइवा को 100 फीसदी वेटेज दिया जाएगा। गौरतलब है कि जेएनयू के छात्र इंटरव्यू का वेटेज 30 से भी घटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने बताया कि छात्रों के प्रदर्शन के बाद जेएनयू प्रशासन लिखित परीक्षा को 80 फीसदी वेटेज देने को तैयार हो गया था।

कोर्ट के इस फैसले का असर खासौतर पर पिछड़े इलाकों की छात्राओं पर पड़ सकता है। जेएनयू की मौजूदा पॉलिसी से उनको दाखिले में आसानी होती है। 26 और जिले को इस स्कीम में शामिल किया गया था और इन क्षेत्रों के छात्रों को पांच पॉइंट अतिरिक्त मिलते थे। दरअसल, इस फैसले छात्र लीडर्स संतुष्ट नहीं हैं वह इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं। जेएनयूएसयू के अध्यक्ष मोहित पांडे ने कहा, 'यूनिवर्सिटी के वकील ने ऐडमिशन पॉलिसी से संबंधित नोटिफिकेशन के बारे में कोर्ट के समक्ष पूरे तथ्य प्रस्तुत नहीं किए हैं। इसलिए हम फैसले से सहमत नहीं हैं और डिविजन बेंच के पास जाएंगे।' एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमने मौजूद फ्रेमवर्क के अंदर सर्वाधिक समावेशी पॉलिसी लाने की कोशिश की लेकिन छात्रों ने हमसे सहयोग नहीं किया और कोर्ट चले गए। अब हमारे पास यूजीसी के नोटिफिकेशन को अक्षरश: लागू करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।' 


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