न केवल हिंदू धर्म में बल्कि बौद्ध धर्म में भी महत्व रखता है पीला रंग?

punjabkesari.in Thursday, Oct 21, 2021 - 06:03 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कहा जाता है दुनिया का सबसे बड़ा तीसरा धर्म है, बौद्ध धर्म, जिसकी उत्पत्ति ईसाई और इस्लाम धर्म से भी पहले की है। कहा जाता है इस धर्म में अभ्यास और जागृति का विशेष महत्व है। तो वहीं इस धर्म में धर्म को सबसे अधिक कर्म को प्रधानता प्रदान की गई है। इस धर्म के मुताबिक केवल कर्म से जीवन में सब कुछ पाया जा सकता है। अर्थात जीवन में सुख और दुख स्थिति कर्म से ही उत्पन्न होती है। इस धर्म में मोक्ष को भी वरियता प्रदान की गई है और सभी कर्म चक्रों से मुक्त हो जाना ही मोक्ष है। कर्म से मुक्त होना या ज्ञान प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग को अपनाते मनुष्य को चार आर्य सत्य को समझते हुए अष्टांग मार्ग का अभ्यास कहना चाहिए, इसी से मोक्ष की प्राप्ति संभव है। बौद्ध धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ को त्रिपिटक के नाम से जाना जाता है। बता दें भगवान बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक माना गया है। इस धर्म में दो संप्रदाय हैं, जिन्हें हिनयान और महायान कहा जाता है। बौद्ध धर्म के प्रमुख चार तीर्थ स्थल हैं। ये सब बातें तो ऐसी हैं जिनके बारे में लगभग लोग जानते हैं, परंतु इनके जीवन से जुड़ी बहुत से बातें ऐसी हैं जिनके बारे में लोग नहीं जानते। तो आइए जानते हैं क्या हैं ये बातें- 

भगवान बुद्ध
बौद्ध धर्म के ग्रंथों के अनुसार भगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ और तथागत नामों से भी जाना जाता है। इनके पिता कपिलवस्तु के राजा थे और जिनका नाम शुद्धोदन था। इनकी माता का महामाया देवी था। बात करें इनकी पत्नी व पुत्र की तो इनकी पत्नी का नाम था यशोधरा और पुत्र का नाम था राहुल। इनका यानि भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुम्बिनी में हुआ था, जिन्हेंने बोध गया में ज्ञान की प्राप्ति की थी। तो वहीं सारनाथ में भगवान बुद्ध ने प्रथम उपदेश दिया था। लोक मत है कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व हुआ था। 

कुशीनगर का इतिहास
कहा जााता है कि कुशीनगर का वर्णन इतिहास में प्रमुखता से मिलता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग और फाहियान ने भी इस प्राचीन नगर के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। इसके अलावा वाल्मीकि रामायण में भी कुशीनगर का वर्णन किया गया है। कहा जाता है यह स्थान त्रेतायुग में भी विकसित था और भगवान राम के पुत्र कुश की राजधानी थी। जिसके चलते  इसे 'कुशावती' नाम से जाना जाता था। 

भगवान बुद्ध की लेटी हुई मूर्ति
कुशीनगर का प्रमुख आकर्षण महापरिनिर्वाण विहार या निर्वाण मंदिर है। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की 6.10 मीटर लंबी लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है, जो पीले रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं। मान्यता है कि 1876 में खुदाई के दौरान यह प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जिस प्रतिमा का संबंध पांचवीं शताब्दी से माना जाता है।

बौद्ध धर्म में क्या है पीला रंग का महत्व
कहा जाता है बौद्ध धर्म में पीले रंग को विशेष महत्व प्रदान है। इस धर्म में इस रंग को पवित्रता से भी जोड़ कर देखा जाता है। साथ ही साथ इसे शुभ माना जाता है। बौद्ध धर्म में पीला रंग सत्कार और उपकार का भी प्रतीक कहलाता है, इस रंग को आत्मत्याग का प्रतीक माना गया है। बता दें आत्म त्याग का अर्थ है कि खुद को दुनियावी चीजों से दूर रहकरन माया-मोह के बंधन से मुक्त हो जाना। जिसके बाद ही व्यक्ति के लिए ईश्वर की प्राप्ति के द्वार खुल सकते हैं। 


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Content Writer

Jyoti

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