करवा चौथ: चंद्रमा के साथ-साथ होती है देवी लक्ष्मी के इस भक्त की भी पूजा

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2019 - 02:37 PM (IST)

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जैसे कि आप सब जानते हैं कि 17 अक्टूबर यानि आज कार्तिक मास की चतुर्थी को देश भर के विभिन्न जगहों पर करवा चौथ का व्रत मनाया जा रहा है। आज हर तरफ़ सुंदर महिलाएं सजी-संवरी पूरे 16 श्रृंगार किए हुए दिखाई दे रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखती हैं व अविवाहित महिलाएं अच्छा व मनचाहा वर पाने के लिए व्रत करती है। इस दिन चंद्रमा की पूजा का अधिक महत्व है। साथ ही इस दिन विवाहित महिलाएं चंद्रमा को देखकर व अर्घ्य देकर ही अपना व्रत खोलती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इसके अलावा इस दिन देवी लक्ष्मी के उल्लू की पूजा का भी विधान है। अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी खास जानकारी-

प्राचीन कथाओं के अनुसार महालक्ष्मी जी कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन यानि की दिवाली के दिन पृथ्वीलोक में अपने भक्तों के लिए स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर पधारीं। देवी लक्ष्मी इधर से उधर, एक भक्त से दूसरे भक्त के घर, फिर तीसरे फिर चौथे, बारी-बारी सभी भक्तों के घर जा रही थी और उन सब पर अपना आशीर्वाद बरसा रही थी। भक्त भी बड़े तन, मन और धन से मां लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना में लीन थे। लगभग हर घर में बड़ी ही श्रद्धा पूर्वक माता महालक्ष्मी जी की वंदना व आरती गाई जा रही थी।

तभी देवी के वाहन उल्लू पक्षी को बहुत दुख हुआ और उल्लू के मन में विचार आया की वह स्वयं माता महालक्ष्मी जी का वाहन है फिर भी उसकी पूजा तो दूर बल्कि उसे कोई पूछता तक नहीं। दुखी मन से  माता लक्ष्मी कहा हे! माता आपकी पूजा सब करते हैं परंतु मैं आपका वाहन होने के बाद भी दुत्कारा जाता हूं, मेरी इस पीड़ा का समाधान करें। जिसके बाद माता महालक्ष्मी जी सारी बात समझ गई और बोली हे! पुत्र आज मैं तुझे यह वरदान देती हूं कि आज के बाद हर साल मेरी पूजा यानि की दिवाली से ठीक 11 दिन पहले तुम्हारी भी पूजा होगी।

कहा जाता है माता लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद के बाद से ही हर साल दीपावली से ठीक 11 दिन पहले कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि यानि ‘करवा चौथ’ के दिन माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू पक्षी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर उल्लू प्रसन्न हो जाए तो माता लक्ष्मी भी शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं।


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Jyoti

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