World Book Day 2020: ये है विश्व पुस्तक दिवस से जुड़ी खास जानकारी

punjabkesari.in Thursday, Apr 23, 2020 - 05:34 AM (IST)

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पुस्तक का अपना एक लम्बा इतिहास है। सबसे पहले पुस्तकें मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखी जाती थीं। बाद में घास से बने एक प्रकार के कागज पैपीरस का उपयोग आरम्भ हुआ। लगभग 2000 वर्ष पहले लोगों ने चर्म-पत्रों तथा भेड़ों या बछड़ों की विशेष रूप से तैयार की गई खालों पर लिखना शुरू किया। इसके बाद उनके पन्ने बनवा कर और उन्हें बांध कर पुस्तकें तैयार कर ली जाती थीं।

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किसी पुस्तक की सभी प्रतियां हाथ से लिखी जाती थीं। इसलिए पुस्तकें संख्या में कम तथा मूल्यवान बहुत होती थीं किन्तु लगभग 500 वर्ष पूर्व यूरोप में गुटनबर्ग नामक वैज्ञानिक ने मुद्रण-कला का आविष्कार किया। वह अलग-अलग अक्षर ढालता और उन्हें जोड़कर शब्द बना लेता। इस तरह तैयार पंक्तियों तथा पन्नों की कई प्रतियां छापाखाने में छाप ली जातीं। इसके साथ ही चर्म-पत्र की जगह कागज का इस्तेमाल भी किया जाने लगा।

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मिट्टी की पट्टिका-पैपीरस पुस्तक
मिट्टी की पट्टिकाएं तथा पैपीरस हमारी आज की पुस्तकों की पूर्वज हैं। पुस्तक की मुद्रण-कला का जन्म तब हुआ, जब अलग-अलग अक्षर काटकर उनसे ठप्पा लगाने की बात सोची गई।

बैबीलॉन के लोग लगभग 5000 वर्ष पहले लिखने के लिए मिट्टी की पट्टिकाएं काम में लाते थे। मिस्र, यूनान तथा रोम में पैपीरस का प्रयोग किया जाता था।

मठों में बहुत पुस्तकें चर्म-पत्रों पर हाथ से लिखी गईं। लगभग 500 वर्ष पूर्व मुद्रण-कला का आविष्कार हुआ। मुद्रण के लिए अब बड़ी-बड़ी मशीनें काम में लाई जाती हैं तथा इन्हें तैयार करने में अधिक से अधिक स्वचालित विधियों का उपयोग होता है।

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पूरे परिवार के लिए पुस्तकें
लगभग सभी विषयों की पुस्तकें हैं। इसलिए परिवार का हर सदस्य अपनी रुचि की पुस्तक पढ़ सकता है। इस संबंध में पुस्तकालयाध्यक्ष (लाइब्रेरियन) तथा पुस्तक बेचने वालों से भी अच्छी सलाह मिल सकती है। उनके पास सभी पुस्तकों के लेखकों, नामों तथा विषयों की सूचियां होती हैं।

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Niyati Bhandari

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