विवाह पंचमी 2019: आखिर कब और क्यों मनाया जाता है ये दिन ?

punjabkesari.in Thursday, Nov 28, 2019 - 10:10 AM (IST)

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हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जोकि बहुत कम लोग जानते हैं। उन सभी त्योहारों में विवाह पंचमी एक ऐसा पर्व है, जिसे बाकी सभी त्योहारों के जैसे ही मनाया जाता है। बता दें कि ये भारत के साथ-साथ नेपाल में भी मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन भगवान राम व माता सीता का इस दिन विवाह हुआ था, इसलिए ये पर्व मनाया जाता है। इस साल ये दिन 1 दिसंबर को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम और सीता का विवाह मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष पंचमी को हुआ था। लेकिन इस दिन का धार्मिक महत्व होने के बावजूद मिथिलांचल और नेपाल में विवाह पंचमी पर शादी ब्याह नहीं किए जाते हैं। क्योंकि राम और सीता को विवाह के बाद बहुत से कष्टों को उठाना पड़ा था। भगवान राम और सीता को 14 वर्षों के वनवास पर जाना पड़ा था। जब सीता गर्भवती हुई तो राम ने उनका त्याग कर दिया। दोनों का जीवन कष्टों से भरा हुआ था। इसलिए विवाह की दृष्टि से इस दिन को अच्छा नहीं माना जाता।
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विवाह कथा
राम राजा दशरथ के घर पैदा हुए थे और सीता राजा जनक की पुत्री थी। मान्यता है कि सीता का जन्म धरती से हुआ था। राजा जनक हल चला रहे थे उस समय उन्हें एक नन्ही सी बच्ची मिली थी जिसका नाम उन्होंने सीता रखा था। सीता जी को “जनकनंदिनी” के नाम से भी पुकारा जाता है। यह मान्यता है कि एक बार सीता ने शिव जी का धनुष उठा लिया था जिसे परशुराम के अतिरिक्त और कोई नहीं उठा पाता था। राजा जनक ने यह निर्णय लिया कि जो भी शिव का धनुष उठा पाएगा सीता का विवाह उसी से होगा। सीता के स्वयंवर के लिए घोषणाएं कर दी गई। स्वयंवर में भगवान राम और लक्ष्मण ने भी प्रतिभाग किया। वहां पर कई और राजकुमार भी आए हुए थे पर कोई भी शिव जी के धनुष को नहीं उठा सका। राजा जनक हताश हो गए और उन्होंने कहा कि “क्या कोई भी मेरी पुत्री के योग्य नहीं है?” तब महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम को शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने को कहा। गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान राम शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगे और धनुष टूट गया।
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इस प्रकार सीता जी का विवाह राम से हुआ। भारतीय समाज में राम और सीता को आदर्श दंपत्ति का उदाहरण समझा जाता है। राम सीता का जीवन प्रेम, आदर्श, समर्पण और मूल्यों को प्रदर्शित करता है।


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