हॉलिडे डेस्टिनेशन पर करें सुंदर मंदिरों का दर्शन
punjabkesari.in Sunday, Dec 12, 2021 - 02:09 PM (IST)
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Holiday Destination: साल भर में कई बार हम अलग-अलग जगहों पर घूमने का प्लान बनाते हैं और वहां पर छुट्टियां मनाकर हमें खूब मजा भी आता है लेकिन गर्मी का मौसम हो तो निश्चय ही आप किसी ऐसे गंतव्य का चयन करना चाहेंगे, जहां अपने जीवन की खूबसूरत शाम को आप यादगार बना सकें। अगर आप समुद्र की लहरों को प्यार करते हैं और पिकनिक का पूरा-पूरा लुत्फ उठाना चाहते हैं तो आपको वेलास की ओर रुख जरूर करना चाहिए।
महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में स्थित वेलास तीन ओर पहाड़ों से तो एक ओर समुद्र से घिरा हुआ है। समुद्रतटीय शहर होने के कारण वेलास में एक खूबसूरत तट भी है जहां मध्य नवंबर से लेकर मार्च से अप्रैल तक ऑलिव रिडले टर्टल देख सकते हैं। समुद्र तट के अलावा यहां बैंकोट किला भी देख सकते हैं। वेलास को हम एक भूला हुआ हॉलिडे डैस्टिनेशन कह सकते हैं लेकिन इस जगह को पहचान तब मिली, जब यहां ऑलिव रिडले टर्टल के अंडे मिले। यहां आप कछुओं को अपने घोंसलों से निकलकर अरब सागर में जाने का रास्ता बनाते हुए देख सकते हैं।
मराठा राजवंश के शासक और मंत्री नाना फडणवीस का गृहनगर और जन्मभूमि होने के कारण इस गांव को ऐतिहासिक महत्व हासिल है। वह पुणे में पेशवाओं के शासनकाल में कार्यरत थे। मुंबई से वेलास तक दो रूट हैं जो इस प्रकार हैं :
रूट-1 : मुंबई-नई मुंबई-रसायनी-दूरशेत-कोलाड-माणेगांव-गोरेगांव-मंदानगढ़। मुंबई से वेलास-पुणे राजमार्ग
रूट 2 : मुंबई-नई मुंबई-रसायनी-दूरशेत-रोहा-म्हसला-कोलमंडले। अगर आप पहले रूट से जाते हैं जो मुंबई के वेलास के 225 कि.मी. के रास्ते में 5 घंटे का समय लगेगा।
इस रूट पर आप महाराष्ट्र के कई लोकप्रिय शहर जैसे नई मुंबई, दूरशेत और कोलाड आदि देख सकते हैं। अगर आप दूसरे रूट से जाते हैं तो उसमें मुंबई से वेलास की 203 कि.मी. दूरी में मुंबई-पुणे हाइवे और एस.एच. 12 से 5.5 घंटे का समय लगेगा। पहले रूट से जल्दी पहुंच जाएंगे और इस रूट पर दूरशेत में भी रुक सकते हैं। वेलास से दूरशेत 150 कि.मी. दूर है।
प्रमुख आकर्षण
बैंकोट किला
बैंकोट किले को हिम्मतगढ़ भी कहा जाता है। मान्यता है कि 1545 में पुर्तगालियों से इसे आदिल शाह ने जीता था। वैसे तो यह किला अब नष्ट हो चुका है लेकिन अब भी इसके शानदार अवशेषों को देखा जा सकता है। यहां भगवान गणेश का मंदिर भी स्थित है और किले के बाहरी क्षेत्र में कब्रिस्तान भी है।
हरिहरेश्वर मंदिर
अन्य प्रमुख आकर्षणों में से एक है भगवान शिव का हरिहरेश्वर मंदिर। यह मंदिर सावित्री और अरब सागर के संगम स्थल पर स्थित है। इस मंदिर को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है क्योंकि यहां बड़ी संख्या में लोग अपने मृत संबंधियों का अंतिम श्राद्ध करने आते हैं।
आने का सही समय
वेलास में आप साल में कभी भी आ सकते हैं। हालांकि फरवरी और मार्च के महीने में आना सबसे सही रहता है। इस दौरान कछुओं को अपने घोंसलों से निकल कर अरब सागर में जाने का रास्ता बनाते हुए देख सकते हैं।
आसपास के आकर्षण
यहां आप किले और मंदिर आदि को देख सकते हैं। इस जगह अष्टविनायक के दो मंदिर, पाली का बल्लालेश्वर मंदिर और महाड़ का श्री वरद विनायक मंदिर स्थित है। इन दो मंदिरों के अलावा पाली का किला भी देख सकते हैं और सरसगढ़ तथा सुधागढ़ के पहाड़ी किले भी दर्शनीय हैं। कुंडालिका नदी के तट पर वॉटर स्पोट्रस जैसे रैपेलिंग, रिवर राफ्टिंग और रिवर क्रॉसिंग आदि कर सकते हैं।
कैसे पहुंचें
रेल मार्ग द्वारा : वेलास का निकटतम रेलवे स्टेशन पुणे जंक्शन है, जो यहां से 121 कि.मी. दूर है। महाराष्ट्र सहित यह स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग द्वारा : वेलास आने का सबसे सही साधन सड़क मार्ग है। इस शहर की सड़कें दुरुस्त हैं और वेलास के लिए प्रमुख शहरों से नियमित बसें चलती हैं। मुंबई से वेलास की दूरी 225 कि.मी. है।