Vishwakarma Puja 2020: लंका, द्वारका, हस्तिनापुर तथा इंद्रप्रस्त सब के निर्माता है भगवान विश्वकर्मा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 16, 2020 - 01:00 PM (IST)

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आज 16 सितंबर, अश्विन मास की चतुर्दशी के दिन कन्या संक्रांति के साथ-साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा श्रेष्ठ रहेगी। बता धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मुख्य रूप से इस दिन फैक्ट्रियों तथा कारखानों में विशेष रूप से पूजा की जाती है। सनातन धर्म की मान्यताओं की मानें तो इनकी उत्पत्ति भी देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन के समय हुई थी। जो अपने साथ अस्त्र और शस्त्र लेकर उत्पन्न हुए थे। प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार वज्र का निर्माण भी इनके द्वारा ही किया गया था। चलिए जानते हैं इसके अलावा इनके बारे में हमारे धार्मिक ग्रंथ क्या कहते हैं तथा इस दिन इनकी पूजा करने वालों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। 
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भगवान विश्वकर्मा ने किया था लंका महल का निर्माण
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने ही रावण की स्वर्ण लंका का निर्माण किया था। तो वहीं इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर का भी निर्माण किया था। इतना ही नहीं कौरव वंश की इस्तिनापुर नगरी का तथा द्वारका से लेकर सुदामा की नगरी का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। 

कहा जाता है इस दिन इनकी पूजा से जातक को अपने कारोबार में वृद्धि प्राप्त होती है। मगर इनकी पूजा के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी माना जाता है। आइए जानते हैं क्या है वो बातें-
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जरूर करें ये काम-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन अौजार आदि से संबंधित काम करने वालों लोगों को अपने औजारों की आराम देना चहिए। इस दिन किसी भी औजार का इस्तेमाल न करके इनकी पूजा करनी चाहिए। जिन लोगों की अपनी फैक्ट्री हो जहां तरह तरह के औजारों का इस्तेमाल होता हो उन्हें इस दिवन विधि वत कारोबार की तरक्की के लिए पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। अपनी क्षमता अनुसार व्यापार में वृद्धि की कामना से विश्वकर्मा की पूजा के बाद ब्राह्माणों को दान दक्षिणा देनी चाहिए।
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मशीन और औजारों की करें विधि वत पूजा- 
इस दि  औजारों और मशीनों का भूल वश भी अपमान नहीं करना चाहिए। कहा जाता ऐसा करने से विश्वकर्मा भगवान के क्रोध का सामना करना पड़ता है। इस बात का खास ध्यान रखें कि इस दिन पुराने औजारों को किसी भी हाल में घर से बाहर न फेंके।
 


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Jyoti

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