शास्त्र: रावण पर राम की विजय से भी पुराना है दशहरा का इतिहास

punjabkesari.in Monday, Oct 07, 2019 - 08:56 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

भारतीय संस्कृति पुरातन काल से ही शौर्य की उपासक रही है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसीलिए दशहरा का पर्व मनाया जाता है। साधारण लोग यही मानते हैं कि इस दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था। यानी सत्य का दामन पकड़े भगवान श्री राम ने असत्य और पापकर्मा का वध कर विजय प्राप्त की थी। समय ने इसे अधर्म पर धर्म की विजय करार दिया परंतु दशहरा का इतिहास वास्तव में इससे पुराना है। धार्मिक साहित्य खंगालें तो इस पर्व के संबंध में कई अन्य कथाएं भी मिलती हैं।

PunjabKesari Vijaya dashami 2019

एक मत के अनुसार मां भगवती दुर्गा ने नौ दिनों तक युद्ध किया और अंत में 10वें दिन महिषासुर नामक असुर का वध किया था। सृष्टि को महिषासुर के आतंक से मां भगवती जगदम्बे ने मुक्ति दिलाई थी। इस पर देवी-देवताओं ने मां भगवती दुर्गा की स्तुति की, प्रसन्नता के दीपक जलाए। महिषासुर ने तपस्या कर यह वरदान प्राप्त कर लिया था कि वह किसी पुरुष, देवता, मानव, पशु, पक्षी के हाथों से न मर सके बल्कि उसकी मृत्यु किसी कन्या के हाथ से हो। इसीलिए देवों के उद्धार हेतु मां दुर्गा को प्रकट होकर अत्याचार का पर्याय बन चुके महिषासुर का वध करना पड़ा।

PunjabKesari Vijaya dashami 2019

मां दुर्गा शक्ति रूपा हैं। इस दिन उनके वीर रूप की पूजा की जाती है। इसीलिए इसे दुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल से इस दिन शस्त्र पूजन किया जाता है तथा इसे वीरता के पर्व विजय दशमी का नाम दिया गया। इस दिन सायं प्रदोष काल में विजय नामक शुभ व सकल कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाला मुहूर्त होता है। इसी मुहूर्त में रावण दहन होता है। भगवान श्री राम ने रावण का वध इसी मुहूर्त में किया, ऐसा हमारे शास्त्रों में वर्णित है।

PunjabKesari Vijaya dashami 2019

वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण एक वीर, धर्मात्मा, ज्ञानी, नीति तथा राजनीति शास्त्र का ज्ञाता, ज्योतिषाचार्य, रणनीति में निपुण, कुशल सेनापति और वास्तु कला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्मज्ञानी और बहुत सी आलौकिक विधाओं का ज्ञाता था। वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और अनेक मायावी विधाओं में भी निपुण था परंतु इसकी एक गलती ने उसके परिवार सहित उसका विनाश कर डाला। रावण के अहं व उसकी आसुरी प्रवृत्ति उसके विनाश का कारण बनी। ब्रह्मा जी का वंशज तथा पुलस्त्य जैसे महामुनि का वंशज अपने अहं के कारण दुर्गति को प्राप्त हुआ।    


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News