...तो क्या इस कथा के बिना अधूरा माना जाता है वट सावित्री का व्रत?

punjabkesari.in Thursday, Jun 04, 2020 - 11:38 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक माह का अपना अलग ही महत्व है। इन्हीं में से एक ज्येष्ठ माह। अन्य महीनों की तरह इस माह में भी कई हिंदू पर्व और त्यौहार आते हैं। इन्हीं में से एक है ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि। मान्यताओं के अनुसार इस तिथि को पूर्णिमा के साथ-साथ वट सावित्री पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है। बता दें करवा चौथ की तरह वट सावित्री का व्रत भी पती की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। कहा जाता है जो भी विवाहित महिलाएं ये व्रत रखती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो वहीं अविवाहित महिलाओं द्वारा इस व्रत का पालन करने से मनचाहा वर मिलता है। इसके अलावा इस दिन व्रत कथा को पढ़ना या सुनना भी अति आवश्यक माना जाता है। मगर बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें इससे जुड़ी कथा के बारे में नहीं पता। जिस कारण कहीं न कहीं उनकी पूूजा अधूरी रह जाती है। 
Vat Savitri katha, Vat Savitri Vrat, vat savitri 2020, Vat Savitri fast, Vat Savitri Pujan, Vat Savitri Story, वट सावित्री व्रत, वट सावित्री कथा, Savitri, Satyavaan, Dharmik Katha in hindi, Religious Story, Hindu Dharmik Katha, Hindu Dharm, Punjab kesari
चलिए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी कथा, जिससे पढ़ने-सुनने के बाद आपकी पूजा मानी जाएगी- 

पौराणिक कथाओं की मानें तो प्राचीन काल में अश्वपति नामक का एक राजा था, जिसके घर में एक कन्या ने जन्म लिया, इस कन्या को सावित्री के नाम से जाना जाने लगा। जब सावित्री विवाह योग्य हुई तो राजा ने अपने मंत्री के साथ सावित्री को अपना पति चुनने के लिए भेज दिया। जिसके बाद सावित्री ने अपने मन के अनुकूल सत्यवान को अपना वर चुन लिया। बता दें सत्यवान महाराज द्युमत्सेन का पुत्र था। कथाओं के अनुसार द्युमत्सेन का राज्य उनसे हर लिया गया था और वे जो अंधे थे, अपनी पत्नी सहित वनों में रहते थे।

सावित्री द्वारा विवाह करके लौटने पर नारद जी ने अश्वपति को बधाई दी और यह भविष्यवाणी की, सत्यवान अल्पायु का है। उसकी जल्द ही मृत्यु हो जाएगी। नारद जी की बात सुनकर राजा अश्वपति अधिक चितिंत हो गए। उन्होंने सावित्री से किसी अन्य को अपना पति चुनने की सलाह दी, परंतु सावित्री ने उत्तर दिया कि आर्य कन्या होने के नाते जब मैं सत्यवान का वरण कर चुकी हूं तो अब वे चाहे अल्पायु हो या दीर्घायु, मैं किसी अन्य को अपने हृदय में स्थान कभी नहीं दे सकती।

इसके बाद सावित्री ने नारद जी से सत्यवान की मृत्यु का समय ज्ञात कर लिया। नारद जी द्वारा बताए हुए दिन से 3 दिन पूर्व से ही सावित्री ने उपवास शुरू कर दिया। निश्चित तिथि के अनुसार जब सत्यवान लकड़ी काटने जंगल के लिए चला तो सास−ससुर से आज्ञा लेकर वह भी सत्यवान के साथ चल दी। जंगल में पहुंचकर सत्यवान लकड़ी काटने के लिए वृक्ष पर चढ़ा मगर अचानक से  उसके सिर में भयंकर पीड़ा होने लगी और वह नीचे उतर गया। सावित्री ने उसे बरगद के पेड़ के नीचे लिटा कर उसका सिर अपनी जांघ पर रखा। 
Vat Savitri katha, Vat Savitri Vrat, vat savitri 2020, Vat Savitri fast, Vat Savitri Pujan, Vat Savitri Story, वट सावित्री व्रत, वट सावित्री कथा, Savitri, Satyavaan, Dharmik Katha in hindi, Religious Story, Hindu Dharmik Katha, Hindu Dharm, Punjab kesari
देखते ही देखते यमराज ने ब्रह्मा जी के विधान की रूपरेखा सावित्री के सामने स्पष्ट की और सत्यवान के प्राणों को लेकर चल गए। कुछ मान्यताओं ये भी हैं कि कि वट वृक्ष के नीचे लेटे हुए सत्यवान को सर्प ने डंस लिया था। 

पति को ले जाने वाले यमराज के पीछे-पीछे अब सावित्री चलने लगी। यमराज ने उसे कई बार लौट जाने का आदेश दिया, इस पर वह बोली महाराज जहां पति वहीं पत्नी। यही धर्म है, यही मर्यादा है। 

ऐसा कहा जाता है सावित्री की धर्म निष्ठा से प्रसन्न होकर यमराज बोले कि पति के प्राणों के अतिरिक्त कुछ भी मांग लो, मैं अवश्य तुम्हें दे दूंगा। सावित्री ने यमराज से सास-श्वसुर के आंखों की ज्योति और दीर्घायु मांगी। यमराज तथास्तु कहकर आगे बढ़ गए। इसके बाद भी वे यमराज का पीछा करती रही। यमराज ने अपने पीछे आती सावित्री से वापस लौट जाने को कहा तो सावित्री बोली कि पति के बिना नारी के जीवन की कोई सार्थकता नहीं। 

एक बार फिर यमराज उसके पति व्रत धर्म से खुश होकर उसे वरदान मांगने के लिए कहा। इस बार उसने अपने ससुर का राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की। तथास्तु कहकर यमराज आगे चल दिएए। अभी भी सावित्री यमराज के पीछे चलती रही। 

इस बार सावित्री ने सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान मांग लिया तथास्तु कहकर जब यमराज आगे बढ़े तो सावित्री बोली आपने मुझे सौ पुत्रों का वरदान तो दिया है, पर पति के बिना मैं मां किस प्रकार बन सकती हूं?

अब इसके लिए आपकों मेरे पति मुझे लौटाने होंगे। 

सावित्री की धर्मिनष्ठा, ज्ञान, विवेक तथा पतिव्रत धर्म की बात जानकर यमराज ने सत्यवान के प्राणों को अपने पाश से स्वतंत्र कर दिया। 

जिसके बाद सावित्री सत्यवान के प्राण को लेकर वट वृक्ष के नीचे पहुंची जहां सत्यवान का मृत शरीर रखा था। सावित्री ने वट वृक्ष की परिक्रमा की तो सत्यवान जीवित हो उठा। 
Vat Savitri katha, Vat Savitri Vrat, vat savitri 2020, Vat Savitri fast, Vat Savitri Pujan, Vat Savitri Story, वट सावित्री व्रत, वट सावित्री कथा, Savitri, Satyavaan, Dharmik Katha in hindi, Religious Story, Hindu Dharmik Katha, Hindu Dharm, Punjab kesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News