आपकी Kitchen से जुड़ी ये बातें क्या आप जानते हैं!
punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2019 - 06:08 PM (IST)
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आजकल वास्तु के संबंध में लोगों में काफी भ्रम एवं असमंजस की स्थिति है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। वास्तु शास्त्र का मूल आधार भूमि, जल, वायु एवं प्रकाश है जो जीवन के लिए अति आवश्यक है। इनमें असंतुलन होने से नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है। उदाहरण के द्वारा इसे और स्पष्ट किया जा सकता है। सड़क पर बाएं ही क्यों चलते हैं क्योंकि सड़क के बाईं ओर चलना आवागमन का एक सरल नियम है। नियम का उल्लंघन होने पर दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है, इसी तरह वास्तु के नियमों का पालन न करने पर व्यक्ति विशेष का स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उसके रिश्ते पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
वास्तु में रसोई घर के कुछ निर्धारित स्थान दिए गए हैं, इसलिए हमें रसोई घर वहीं पर बनाना चाहिए? वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई घर, चिमनी, धुएं की चिमनी आदि मकान के विशेष भाग में निर्धारित की जाती है, ताकि हवा का वेग धुएं तथा खाने की गंध को अन्य कमरों में न फैलाए तथा इससे घर में रहने व काम करने वालों का स्वास्थ्य न बिगड़े।
रसोई घर की गलत दिशा-
यदि रसोई घर नैऋत्य कोण में हो तो यहां रहने वाले हमेशा बीमार रहते हैं।
यदि घर में अग्नि वायव्य कोण में हो तो यहां रहने वालों का अक्सर झगड़ा होता रहता है। मन में शांति की कमी आती है और कई प्रकार की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
यदि अग्नि उत्तर दिशा में हो तो यहां रहने वालों को धन हानि होती है।
यदि अग्नि ईशान कोण में हो तो बीमारी और झगड़े अधिक होते हैं। साथ ही धन हानि और वंश वृद्धि में भी कमी होती है।
यदि घर में अग्नि मध्य भाग में हो तो यहां रहने वालों को हर प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यदि रसोई घर से कुआं सटा हुआ हो तो गृहस्वामिनी चंचल स्वभाव की होगी। अत्यधिक कार्य के बोझ से वह हमेशा थकी-मांदी रहेगी।
रसोई कहां हो-
रसोई घर हमेशा आग्नेय कोण में ही होना चाहिए।
रसोई घर के लिए दक्षिण पूर्व क्षेत्र सर्वोत्तम रहता है। वैसे यह उत्तर-पश्चिम में भी बनाया जा सकता है।
यदि घर में अग्नि आग्नेय कोण में हो तो यहां रहने वाले कभी भी बीमार नहीं होते। ये लोग हमेशा सुखी जीवन व्यतीत करते हैं।
यदि भवन में अग्नि पूर्व दिशा में हो तो यहां रहने वालों का ज्यादा नुक्सान नहीं होता है।
रसोई घर हमेशा आग्नेय कोण, पूर्व दिशा में होना चाहिए या फिर इन दोनों के मध्य में होना चाहिए। वैसे तो रसोई घर के लिए उत्तम दिशा आग्नेय ही है।
क्या करें क्या न करें
उत्तर-पश्चिम की ओर रसोई का स्टोर रूम, फ्रिज और बर्तन आदि रखने की जगह बनाएं।
रसोई घर के दक्षिण-पश्चिम भाग में गेहूं, आटा, चावल आदि अनाज रखें।
रसोई के बीचों-बीच कभी भी गैस, चूल्हा आदि न जलाएं और न ही रखें।
कभी भी उत्तर दिशा की तरफ मुख करके खाना नहीं पकाना चाहिए। सिर्फ थोड़े दिनों की बात है, ऐसा मान कर किसी भी हालत में उत्तर दिशा में चूल्हा रखकर खाना न पकाएं।
स्मार्ट टिप्स-
रसोई में तीन चकले न रखें, इससे घर में क्लेश हो सकता है।
रसोई में हमेशा गुड़ रखना सुख-शांति का संकेत माना जाता है।
टूटे-फूटे बर्तन भूलकर भी उपयोग में न लाएं, ऐसा करने से घर में अशांति का माहौल बनता है।
अंधेरे में चूल्हा न जलाएं, इससे संतान पक्ष से कष्ट मिल सकता है।
नमक के साथ या पास में हल्दी न रखें, ऐसा करने से मतिभ्रम की संभावना हो सकती है।
रसोई घर में कभी न रोएं, ऐसा करने में अस्वस्थता बढ़ती है।
रसोई घर पूर्व मुखी अर्थात खाना बनाने वाले का मुंह पूर्व दिशा में ही होना चाहिए। उत्तर मुखी रसोई खर्च ज्यादा करवाती है।
यदि आपका किचन आग्नेय या वायव्य कोण को छोड़कर किसी अन्य क्षेत्र में हो, तो कम से कम वहां पर बर्नर की स्थिति आग्नेय अथवा वायव्य कोण की तरफ ही हो।
रसोई घर की पवित्रता व स्वच्छता किसी मंदिर से कम नहीं होनी चाहिए। ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।
रसोईघर के लिए दक्षिण-पूर्व क्षेत्र का प्रयोग उत्तम है, किन्तु जहां सुविधा न हो वहां विकल्प के रूप में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र का प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु उत्तर-पूर्व मध्य व दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र का सदैव त्याग करना चाहिए।
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