Vastu: जानें, कौन सा रंग बढ़ाता है क्रोधाग्नि- कौन सा करता है समस्याओं का समाधान

punjabkesari.in Wednesday, Aug 04, 2021 - 04:43 PM (IST)

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वास्तु शास्त्र में रंगों का अधिक महत्व माना गया है, कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन कोई एक न एक रंग अहमितयत रखता है, तो वहीं इन्ही रंगों का अपना प्रभाव भी होता है। तो आइए जानते हैं कि वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रंग किस प्रकार से मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। 

क्रिमसन : यह रंग मनुष्य के नैसर्गिक स्वभाव को दर्शाता है। आदमी को अपने कार्य और बुद्धि के बल पर यह रंग ऊंचाई पर ले जाता है। कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान आसानी से हो सकता है।

स्कारलेट रंग : मनुष्य के गुस्से को और बढ़ाता है और उसके कार्य को मार्गरहित बना देता है। यह रंग मानव के प्यार को खुदगर्ज बना देता है। यह रंग विभिन्न लाल रंग के अच्छे गुणों को नष्ट कर देता है।

ऑरेंज रंग : यह रंग अपने लक्ष्य को हासिल करने में सहायता करता है। यह रंग अहंकार और आत्मसंतोष को मानव के अंदर जगाता है और लोगों को प्रभावित करता है। यह रंग मनुष्य को, कोई भी रास्ता जो प्रसिद्धि की ओर ले जाए, उसी को अपनाने में मदद करता है। यह रंग मानव को अपनी सीमाओं का एहसास दिलाता है।

एमरल्ड : यह रंग बहुत ही शक्तिशाली है। यह रंग मनुष्य को किसी भी परिवेश के साथ जूझने का आत्मबल प्रदान करता है।

ऑलिव : अन्य रंगों की तुलना में यह रंग कमजोर और फीका है। यह रंग मनुष्य को किसी भी तरह से सहयोग नहीं करता है।

ऐपल ग्रीन : यह रंग मनुष्य को अति भावुक, सहनशील बना देता है। यह रंग मनुष्य को खुशियां, आशाएं प्रदान करता है।

सी ग्रीन : यह रंग सबसे गाढ़ा हरा रंग है। यह मनुष्य के अंदर ङ्क्षहसा की भावना जगाता है।

लैवेंडर : यह एक हल्का रंग है, जो लोग इस रंग को पसंद करते हैं, उनमें कोमलता का भाव जन्म लेता है। ये लोग अपने काम को देखते हुए दूसरों की सहायता करते हैं जिससे उनका भी लाभ हो।

पर्पल : यह एक राजकीय रंग है। यह रंग मनुष्य को कुछ भी हासिल करने में सहायता करता है।

मजैंटा : इस रंग को पसंद करने वाले लोग साधारण स्वभाव के होते हैं ये लोग बहुत ही यथार्थवादी होते हैं पर अपनी विशेषताओं को भी बनाए रखते हैं।

सफेद : यह रंग शुद्धता का प्रतीक है। जो लोग इस रंग को पसंद करते हैं वे लोग अपने काम को सही ढंग से करते हैं।

ग्रे : यह रंग परिवर्तन का प्रतीक है। इस रंग को पसंद करने वाले बहुत ही गंभीर प्रवृत्ति के होते हैं।

बैंगनी : यह ठंडा, कब्जनाशक, वमन तथा दस्त को रोकने वाला रंग है।

प्रमेह की बीमारी में लाभदायक है। स्नायु रोगों तथा आंखों की जलन शांत करने वाला है। खट्टी-मीठी डकारों को रोकता है। अमाशय को ठीक रखता है। लू को शांत करता है। बैंगनी रंग शांत और सुखदायक माना गया है। बैंगनी रंग का प्रकाश कमरे को शीतल रखता है तथा विभिन्न रोगों के कीटाणुओं को नष्ट करता है। यह हृदय रोग के लिए भी बड़ा ही लाभदायक माना गया है।

गुलाबी : जिनको यह रंग भाए वे शरीर से चाहे कमजोर हों किंतु मन के बलवान होते हैं। हौसला कम होने के कारण तथा आलस के कारण उनको हम कड़े स्वभाव के नहीं कह सकते। वे दिखावे का शिष्टाचार, बोलचाल का प्रयोग करके अपने अति संवेदनशील होने की छाप हम पर लगाने के चाहवान होते हैं परन्तु वे काफी घबराए से, परेशान से लगते हैं। वे दूसरे लोगों की प्रशंसा में आगे रहते हैं तथा इसकी अति करके वे दीन-हीन तथा बिके हुए गुलाम से लगने लगते हैं। इसी वृत्ति के कारण वे पक्के जी हजूरिए बन जाते हैं और अपने ऊपर के मालिक, अफसर आदि को खुश करने के लिए वे काफी अन्यायपूर्ण सलाह मानने या जी-हां, जी-हां करने से भी नहीं हिचकिचाते। मेल-जोल कायम रखने के लिए झुकना या समझौता करना बुरा नहीं मानते। वास्तु शास्त्र और विभिन्न रंग : प्रत्येक राशि एवं गृह का अपना एक रंग होता है, जो जातक के लिए शुभ होता है। प्रत्येक रंग का अपना प्रभाव होता है। यदि हम भवन का रंग एवं उसकी आंतरिक गृह सज्जा अपनी राशि के अनुकूल रंग से कराएं तो भी भवन निर्माण में हुए वास्तुदोष को दूर कर सकते है तथा अपने जीवन को सुखी-समृद्ध बना सकते हैं। —पं. कमल राधाकृष्ण श्रीमाली


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Content Writer

Jyoti

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