संपत्ति की खोज दरिद्र का लक्षण है

punjabkesari.in Wednesday, Mar 15, 2017 - 02:52 PM (IST)

असल में जो व्यक्ति जितना दरिद्र होगा उतनी ही संपत्ति की खोज करता है। संपत्ति की खोज दरिद्र का लक्षण है। जो व्यक्ति बीमार होगा, वह स्वास्थ्य की खोज करेगा। स्वास्थ्य की खोज बीमार का लक्षण है। जो व्यक्ति अंधेरे में होगा, वह प्रकाश की खोज करेगा। प्रकाश की खोज अंधेरे में होने का लक्षण है। यश की खोज हीन होने का लक्षण है। हीनता के भाव को मनोवैज्ञानिक इन्फीरियोरिटी काम्पलैक्स कहते हैं। जिस व्यक्ति में जितनी हीनता का भाव होगा उसमें बड़े पदों पर होने की उतनी ही आकांक्षा पैदा होगी क्योंकि अपनी हीनता के भाव को भुलाने का और कोई उपाय नहीं है, सिवाय इसके कि बड़ी से बड़ी कुर्सियों पर, बड़े से बड़े पदों पर बैठ जाया जाए।


लेकिन स्मरण रखें, चाहे कितना ही धन इकट्ठा हो जाए, दरिद्रता नहीं मिटती। कितने ही बड़े पद पर पहुंच जाएं, हीन भाव नष्ट नहीं होते इसलिए दरिद्रता भीतर है और धन बाहर है तथा दोनों का कोई संबंध नहीं है। हीन भाव भीतर है और पद बाहर इसीलिए तो यह होता है कि एक पद मिले तो उससे बड़े पद की आकांक्षा पैदा हो जाती है। वह पद मिल जाए तो और बड़े पद की आकांक्षा पैदा हो जाती है। यह ऊपर पहुंच जाने की कोशिश इस बात का सबूत है कि हमें यह बोध है कि हम बहुत हीन हैं, हमें सिद्ध करना है।


इसलिए दुनिया में जिन लोगों में हीनता की भावना सर्वाधिक होती है वे लोग बड़े-बड़े काम कर गुजरते हैं। बड़े काम उनसे हो जाते हैं। बड़े काम का अर्थ जिन्हें दुनिया बड़ा कहती है। बड़े काम, बड़े युद्ध। हिटलर, स्टालिन या मुसोलिनी जैसे लोग बहुत हीनता के भाव से पीड़ित होते हैं। सिकंदर या चंगेज खां, तैमूरलंग जैसे लोग बहुत हीनता के भाव से पीड़ित लोग थे। इन्हें तब तक चैन न था जब तक इन्होंने यह न दिखा दिया कि लाखों लोग हमारे कब्जे में हैं। हम उनकी गर्दन जब चाहें मरोड़ दें। जब तक उन्हें यह विश्वास न आ गया कि हम शक्तिशाली हैं तब तक वे भागते गए और यह विश्वास कभी नहीं आता, आखिर तक नहीं आता इसलिए जितना जो व्यक्ति शक्तिशाली होता जाता है, शक्ति इकट्ठी करता जाता है, उतनी ही निर्बलता उसको पकडऩे लगती है, उतनी ही उसे अपनी सुरक्षा की व्यवस्था करनी होती है।


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