सावधान! हर रोज 90 मिनिट रहें संभल कर, न करें कोई भी शुभ काम

punjabkesari.in Monday, Jun 12, 2017 - 09:54 AM (IST)

प्राचीनकाल से हमारे ऋषि-मुनि किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व मुहूर्त देखने की सलाह देते आएं हैं। माना जाता है की शुभ मुहूर्त में किए गए काम अच्छा फल देते हैं और अशुभ मुहूर्त में किया गया कोई भी कार्य परवान नहीं चढ़ता। कुछ ऐसी तिथियां हैं जिन्हें ज्यतिषशास्त्र में शुभ नहीं माना गया, विशेषकर राहुकाल का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।


मास शून्य तिथियां
चैत्र मास में दोनों पक्ष की अष्टमी और नवमी वैशाख में दोनों पक्षों की द्वादशी और ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष को चतुर्दशी और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी, आषाढ़ में कृष्ण पक्ष की षष्ठमी व शुक्ल पक्ष की सप्तमी, श्रावण मास में दोनों पक्षों की तृतीया व द्वितीया आश्विन में दोनों पक्षों की दशमी व एकादशी कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की पंचमी और शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी मृगशिर मास में दोनों पक्षों की सप्तमी व अष्टमी पौष मास  में दोनों पक्षों की चतुर्थी व पंचमी माघ मास में कृष्ण पक्ष की पंचमी और शुक्ल पक्ष की षष्ठी फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी व शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि मास शून्य तिथियां होती हैं। इन तिथियों के अंदर कोई शुभ काम न करें।


राहुकाल का रखें ध्यान
प्रतिदिन 90 मिनिट का होता है राहुकाल। रोजाना राहुकाल वेला को भी ध्यान में रखना चाहिए, जो साधारणत: स्थानीय समयानुसार सोमवार को सुबह 7.30 से 9 तक, मंगलवार को 15.00 से 16.30 तक, बुधवार को 12 से 13.30  तक, वीरवार को 13.30 से 15.00 तक, शुक्रवार को 10.30 से 12.00 तक, शनिवार को 9.00 से 10.30 तक व रविवार को सायं 16.30 से 18.30 बजे के काल में रहता है। इन योगों को देखकर काम करना चाहिए।


तिथि और उनके स्वामी
1, 6, 11 नंदा, 2, 7, 12 भद्रा, 3, 8, 13 जया 4, 9, 14 रिक्ता और 5, 10, 15 पूर्णा तिथियां कहलाती हैं। कई बार इनके साथ वार का शुभ संयोग बैठता है जो बहुत ही वांछित फल प्रदान करने वाला होता है। जैसे मंगलवार को जया, बुधवार को भद्रा, वीरवार को पूर्णा, शुक्रवार को नंदा तथा शनिवार को रिक्ता तिथियां कार्य की सिद्धिदायक होती हैं। इसी प्रकार नंदा तिथि रविवार या मंगलवार को भद्रा तिथि सोमवार या शुक्रवार को जया तिथि बुधवार को रिक्ता तिथि वीरवार को तथा पूर्णा तिथि शनिवार को आए तो बेहद कष्टकारी योग होता है। इस योग में कार्य करने से ज्यादातर मामलों में असफलता ही मिलती है।


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