श्रीमद्भगवद्गीता: सदाचार के प्रति जागरूकता जरूरी

punjabkesari.in Wednesday, Mar 02, 2022 - 05:26 PM (IST)

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श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप 
व्याख्याकार : 
स्वामी प्रभुपाद 
अध्याय 1
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता 

अर्जुन सदाचार के प्रति जागरूक 

अहो बत महत्पांप कर्तुं व्यवसिता वयम।
यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यता:।

अनुवाद : ओह! कितने आश्चर्य की बात है कि हम सब जघन्य पापकर्म करने के लिए उद्यत हो रहे हैं। राज्यसुख भोगने की इच्छा से प्रेरित होकर हम अपने ही संबंधियों को मारने पर तुले हैं।

तात्पर्य : स्वार्थ के वशीभूत होकर मनुष्य अपने सगे भाई, बाप या मां के वध जैसे पापकर्मों में प्रवृत्त हो सकता है। विश्व के इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं किन्तु भगवान का साधु भक्त होने के कारण अर्जुन सदाचार के प्रति जागरूक है। अत: वह ऐसे कार्यों से बचने का प्रयत्न करता है।  (क्रमश:)


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Content Writer

Jyoti

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