साधारण विद्यार्थी भी बन सकता है ब्रिलियंट, उसके रूम में करें थोड़ा फेरबदल

punjabkesari.in Saturday, Oct 28, 2017 - 12:08 PM (IST)

आज शिक्षा का स्तर बहुत बढ़ गया है। जिससे हर विद्यार्थी पर यह दबाव है कि वह परीक्षा में अच्छे से अच्छा प्रदर्शन करे। कई बार कठिन प्रयासों के बावजुद कई विद्यार्थी पूरी क्षमता का प्रदशर्न नहीं कर पाते। विद्यार्थियों के साथ ऐसा कई बार होता है कि कई घंटे पढ़ने के बाद भी न तो विषय याद होता है और न ही पढ़ा हुआ कुछ समझ में आता है। कुछ विद्यार्थियों का तो पढ़ने में मन ही नहीं लगता। उनके माता-पिता परेशान रहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ता नहीं है। इतना ही नहीं, कई बार तो उन्हें डाक्टरी परामर्श के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। कुछ को तो याददाश्त बढ़ाने की दवा भी दी जाती है, जिससे बच्चे को याद किया पाठ भूले नहीं। 


वास्तु विद्वान मानते हैं की इन सभी समस्याओं के निवारण में वास्तु महत्वपूर्ण भुमिका निभाता है। विद्यार्थी किस दिशा में और कैसे बैठकर पढ़ रहा है इसका भी प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ता है। वास्तु के कुछ आसान उपायों द्वारा साधारण सा विद्यार्थी भी ब्रिलियंट बन सकता है। 


बच्चों का अध्ययन कक्ष शौचालय के नीचे नहीं बनाना चाहिए। 


कमरे में शीशा ऐसी जगह पर न लगाएं जहां पुस्तकों पर उसकी छाया पड़ती हो। ऐसा होने से बच्चों पर पढ़ाई का बोझ बढ़ता है।


स्टडी टेबल का आकार गोल, आयताकार या चौकोर हो। तिरछे आकार अौर टूटी हुई टेबल होने पर बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता अौर उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


स्टडी टेबल को सदैव उत्तर दिशा में रखने से बच्चे में सकारात्मक ऊर्जा आती है। उसकी स्मरण शक्ति में भी बढ़ौतरी होती है। 


पढ़ते समय उसका मुख भी उत्तर दिशा की अोर होना चाहिए। जिससे उसकी थकान दूर होकर ऊर्जा का संचार होता है।


पढ़ाई करते समय पीठ के पीछे खिड़की होने से बच्चे को ऊर्जा की प्राप्ति होगी अौर वह मन लगाकर पढ़ाई करेगा।


स्टडी टेबल के सामने 2 फुट का स्थान होने से बच्चे को मिलने वाली ऊर्जा में रुकावट नहीं पड़ती। स्टड़ी रूम अस्त-व्यस्त न हो। जो पुस्तकें प्रयोग में न आ रही हो उन्हें वहां से हटा देना चाहिए।


अध्ययन कक्ष का रंग पीला अौर वायलेट होना चाहिए। कुर्सी अौर टेबल का रंग भी ब्राइट होना चाहिए। कंप्यूटर को सदैव दक्षिण पूर्वी दिशा में रखें।


स्टडी रूम में विद्या की देवी मां सरस्वती का चित्र या प्रतिमा ऐसे स्थान पर लगाएं जहां से बच्चे की नजर उन पर पड़ती रहें। इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा अौर बच्चे पर भी मां की कृपा बनी रहेगी।


कमरे की खिड़की पूर्व दिशा में बनवाएं अौर उसे अधिकतर समय खोलकर रखें। ऐसा करने से ताजी हवा एवं सूर्य के प्रकाश के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति अौर नेगेटिव एनर्जी का नाश होता है।

 

बच्चे को पेय पदार्थ अधिक मात्रा में दीजिए। बच्चे का मन अपने आप पढ़ाई के साथ हर गतिविधि में लगने लगेगा।
 


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